” चलो रिया , रितिक जल्दी से नहा धो लो कॉलेज का समय हो रहा है आज नववर्ष का पहला दिन है तो साथ में पूजा भी करनी है !” शैलजा ने रसोई में से ही आवाज लगाई।
” मम्मी मम्मी वो रितिक के पेट में बहुत जोर का दर्द हो रहा है !” तभी रिया दौड़ती हुई आई और बोली।
” क्या…!” शैलजा हाथ में पकड़ी कड़छी को छोड़ती हुई बच्चों के कमरे में भागी वहां देखा रितिक बेड पर पड़ा कराह रहा है शैलजा बेटे को देख घबरा गई।
” रिया जल्दी से गर्म पानी की बॉटल ला सिकाई करती हूं पेट में हो सकता है रात को कुछ उल्टा सीधा खा लिया हो।” शैलजा घबरा कर बेटे का सिर अपनी गोद में रख बोली।
“नही मम्मी ऐसा कुछ भी नही खाया भाई ने काफी देर से पेट में दर्द है इसके !” रिया बोली।
शैलजा परेशान हो गई । उसके पति रमन भी ऑफिस के काम से बाहर गए हुए थे वो समझ नही पा रही थी क्या करे।
” रिया तुम ऐसा करो कैब बुक करो हम भाई को डॉक्टर के पास ले चलते है !” आखिरकार शैलजा बोली।
” नही मम्मी मुझे डॉक्टर के पास नही जाना !” रितिक कराहते हुए बोला।
” नही बेटा डॉक्टर के पास तो जाना होगा पता नही कोई इन्फेक्शन है की क्या है जो घरेलू उपाय से दर्द ठीक ही नही हुआ !” शैलजा चिंतित हो बोली।
वो अपना पर्स लेकर आई तो देखा दोनो भाई बहन बैठे है।
” क्या हुआ कैब नही बुक की !” शैलजा बोली।
” अप्रैल फूल मम्मी देखा कैसे पागल बनाया !” दोनो भाई बहन चिल्लाते हुए बोले।
” भाई तुझे तो फिल्मों में होना चाहिए क्या एक्टिंग करता है !” रिया हंसते हुए रितिक से बोली। इधर शैलजा जो अभी तक चिंतित थी अब उसकी चिंता गुस्से में तब्दील हो गई।
” तडाक… तड़ाक़ ” अचानक कमरा दो थप्पड़ों को आवाज से गूंज उठा।
” बहुत मजा आ रहा है ना तुम दोनो को मजाक है ना ये सब अपनी संस्कृति भूल विदेशी संस्कृति अपनाओ और अपने मां बाप को सताओ यही आजकल के बच्चों के शौक रह गए है ना शर्म आनी चाहिए तुम्हे !” शैलजा दोनो के चांटा लगा बोली।
” मम्मी हमने तो बस मजाक किया था !” गाल सहलाते हुए रिया बोली।
” मजाक नही होती हर चीज आज हिंदू साल की शुरुआत है सोचा था पूजा पाठ के साथ इसकी शुरुआत करेंगे पर नही तुम आजकल के बच्चे अपनी संस्कृति अपने संस्कार तो भूलते जा रहे हो !” शैलजा गुस्से में बोल अपने कमरे में आ गई।
” मम्मा सॉरी अगर आप हर्ट हुए थे पर हमने बस थोड़ा सा मजाक किया था !” दोनो बच्चे शैलजा के पीछे पीछे आ माफी मांगते हुए बोले।
” बेटा किसी दूसरे का कल्चर अपनाना अच्छी बात है पर अपने कल्चर को भूल कर नही …हम अंग्रेजों के दिए नए साल को तो खूब धूमधाम से मनाते है पर जो हमारा खुद का नया साल है जिसमे हमे भगवान की पूजा करनी चाहिए , अच्छे काम करने चाहिए उसे हम मूर्ख दिवस के रूप में मना अपनो को दुख पहुंचाते है जो बिल्कुल गलत है !” शैलजा बच्चों के माफी मांगने से शांत हो गई थी वो समझ गई थी बच्चे पाश्चात्य संस्कृति के रंग में नही ढले है संस्कार अभी भी है वरना उसे मनाने नही आते वो।
” मम्मा आइंदा से हम ऐसा नही करेंगे प्लीज माफ कर दो अब से हम इस दिन को हिंदू नव वर्ष के रूप में ही मनाएंगे मूर्ख दिवस के रूप में नही। क्योंकि हमारी संस्कृति किसी को मूर्ख बनाना नही दोनो हाथ जोड़ उसका सत्कार करने की है !” रिया बोली।
शैलजा ने दोनो बच्चों को गले लगा लिया। थोड़ी देर बाद तीनो ईश्वर की पूजा से अपने नववर्ष का स्वागत कर रहे थे।
दोस्तों ये सच है कि पहली अप्रैल को हिंदुओ का नव वर्ष शुरू होता है जिसे आजकल की युवा पीढ़ी नही जानती पश्चिम संस्कृति में रंगे बच्चों के लिए ये दिन मूर्ख दिवस ही है । उन्हे अपनी संस्कृति का ज्ञान दीजिए अपने संस्कार दीजिए । जो की दूसरों को गले लगाने के है उन्हे मूर्ख बनाने के नही।
दोस्तों हो सकता है आप में से कुछ लोग मुझसे इत्तेफाक ना रखते हों पर ये मेरी अपनी सोच है और मेरे घर में अप्रैल फूल नही मनाया जाता।
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल
पहली अप्रैल को हिन्दू नववर्ष नही शुरू होता है यह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शुरू होता है कभी पहली अप्रैल को चेत्र शुक्ल प्रतिपदा पड़ सकती हैं