कितनी अच्छी हवा आ रही है न मम्मा… ये लो चाय और चाय के साथ हवा भी पियो…और हां, हम लोग न कल पूरी जा रहे हैं। श्रुति कह कर चली गई।
पुरी और मुस्कुराती रेवती जी अतीत की दुनिया में विचरने लगी।
समर आकर कहता है ,मम्मा gm(good morning)
आज जल्दी जाग गया है? बात क्या है?
वो क्या है न मम्मा हमलोगों ने पूरी जाने का प्लान किया है।
हमलोग से मतलब ?
मैं, तुम दीदी और जीजू।
पर सौगात तो दिल्ली मे है।
मम्मा वो आज शाम को आ रहे हैं श्रुति कहती है।
तुमलोग जाओ बेटा मुझे छोड़ दो, मन नहीं है मेरा जाने का।
समर कहता है क्यूं नहीं जाना है ? जरा सुने तो।
बेटा तेरे पापा के साथ पुरी जाना चाहती थी… पर उन्हें अपने काम से कभी समय ही नहीं मिला, अब पुरी धाम को मन से निकाल दिया है।
अच्छा ठीक है।
क्या ठीक है, जो तुम बोल दिए ।
दीदी जिद्द मत करो नहीं सुनेगी जीजू आ रहे हैं न, वही समझाएंगे।
“ओके बाबा “
सौगात__सब इतने टेंस में क्यूं हो ?
श्रुति__मम्मा जाने से मना कर रही है।
हां जीजू , अब आप ही कुछ करिए ।
” देखता हूं “
रात में खाने के टेबल पर खाते वक्त सब चुप हैं, तभी सौगात कहता हम कहीं और चलेंगे।
कहां ? श्रुति कहती है।
सरप्राईज है।
दूसरे दिन मम्मी के साथ रास्ते भर मस्ती करते खाते पीते पहुंच जाते हैं।
ये जगह पहचानी सी लग रही है…अरे हां याद आया पशुपति । हम यहां अपनी शादी के बाद आए थे… और हम कितना मस्ती किए थे । तुम्हारे पापा उफ्फ मत पूछो वो बारिश में…।
उधर तीनों एक दूसरे से हाई फाई करते हैं…।
सौगात__मैं बोला था न यहां आकर मम्मी बहुत खुश होगी ।मैं जीत गया चलो मेरे पांच सौ निकलो।
बच्चे अपनी जीत की खुशी मना रहे थे और मम्मी उनके प्यार में अपनी जिद्द आगे हार की।
श्रुति___अरे चाय ठंडी हो गई मम्मा आंखों के आगे हाथ लहराते हुए कहती है कहां खोई हो ?
अ.. हां… हां कहीं नहीं बेटा।
पैकिंग भी करनी है।
हां ठीक है कह मुस्कुरा देती है और पैकिंग के लिए कमरे में आ गई
रीता मिश्रा तिवारी
भागलपुर