hindi stories with moral : कावेरी संयुक्त परिवार में पली बढ़ी बहुत ही सुशील और सज्जन लड़की थी। चार भाई बहनों में सबसे बड़ी थी इसलिए उम्र से कुछ ज्यादा ही समझदार थी। अपनी हर इच्छा को हमेशा छोटे भाई बहनों के लिए भूल जाती थी। घर छोटा था और लोग ज्यादा इसलिए कावेरी को कभी मन मुताबिक रहना, सोना नसीब नही हुआ। वो हमेशा सोचती काश पापा बड़ा घर लेते तो हम आराम से रह पाते। उसकी ये ख्वाहिश शायद शादी के बाद पूरी हो जायेगी ऐसा वो सोचती थी और खुश हो लेती।
घर में बड़ी होने के कारण शादी भी जल्दी तय हो गई। समय से कमाता ,खाता लड़का मिल गया, खानदान भी अच्छा था तो बिना देर किए उसकी सगाई कर दी। बस शादी से पहले कावेरी की एक अधूरी ख्वाहिश थी कि उसके ससुराल मे बड़ा सारा घर हो। और उसकी ये इच्छा भी लगभग पूरी होने वाली थी उसको ऐसा लग रहा था क्योंकि उसने अपने मौसा जी से सुना कि कावेरी का ससुराल एक बहुत बड़ी पुश्तैनी हवेली में है जहां उसके मौसाजी के रिश्तेदार भी रहते है
कावेरी को शादी से ज्यादा घर को देखने की जल्दी थी।क्युकी वो अब आराम से अपनी जिंदगी गुजारना चाहती थी बिना अपनी इच्छाओं का गला घोंटे हुए। वो चाहती थी उसका एक अलग कमरा हो जिसको वो अपने तरीके से सजा सके, उसको घर सजाने का बहुत शौक जो था।
कावेरी की शादी का दिन भी आ गया और वो अपनी हवेलीनुमा ससुराल में विदा होकर आ गई। जैसे ही उसने हवेली का बड़ा सा द्वार देखा, मन प्रफुल्लित हो गया। सोचने लगी इतनी बड़ी हवेली है तो कमरे भी बड़े बड़े होंगे। जैसे ही उसने गृह प्रवेश किया वो भौचक्की रह गई ये देखकर कि ये घर तो उसके मायके के घर से भी बहुत छोटा था। उसको बात ही बातों में पता लगा कि कहने को ये हवेली उसके ससुराल वालों की ही है पर यहां सबके हिस्से अलग अलग हैं। उसके दादा ससुर 6 भाई हैं तो बस उन्ही के परिवार के अलग अलग हिस्से बने हुए हैं और एक कमरा , उसी के साथ लगी रसोई , बीच में दालान जहां उसके सास ससुर का पलंग है बस इतना छोटा सा घर उसके ससुर जी के हिस्से में आया है जहां वो, उसके पति, सास, ससुर जी साथ रहने वाले है ।उसको लगा उसकी इच्छा जो अभी हूक भर रही थी वापस दिल के अंदर दब सी गई।
खेर वो समझदार थी तो उसने अपने आपको उसी घर परिवार के अंदर ढाल लिया। पर उसके पति ओमकार जी जिनके काफी अच्छे संबंध थे सब लोगो से और उनके दोस्त, जान पहचान वाले भी बहुत थे तो कोई न कोई आता जाता रहता था तब कावेरी को लगता उसको बड़े घर वाला पति न सही पर बड़े दिल वाला पति जरूर मिला है और वो भी अतिथि सत्कार में कभी पीछे नहीं रहती। कभी कोई एक रात रुकने आता तो हमेशा उसको अपने कमरे में सुलाती खुद चाहे कहीं भी सोती। धीरे धीरे समय निकलता जा रहा था और कावेरी का परिवार भी बढ़ता जा रहा था उसके तीन बच्चे दो बेटी और एक बेटा हो गया
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अब उसको कहीं न कहीं लगता घर तो बड़ा होना चाहिए क्युकी तीन बच्चो के साथ एक कमरे में रहना बहुत मुश्किल भरा काम है और ये भला कावेरी से अच्छा और कौन जान सकता था। फिर भी कावेरी ने अपने उसी छोटे से आशियाने को अपनी किस्मत मान लिया और उसकी ख्वाहिश कभी पूरी होगी ऐसा सोचना भी छोड़ दिया।
कभी ओमकार जी से कहती कि आपके सब साथियों ने देखो कितने बड़े बड़े घर बना लिए अपनी इस कंपाउंडर की नौकरी में, क्योंकि वो आपकी तरह फ्री सेवा नही करते लोगों की और एक आप हो जो बस रिश्ते बनाने में लगे हो । घर बड़ा नही पर दिल बहुत बड़ा है आपका । पर सुनिए जी बड़े दिल से काम नहीं चलता जब बच्चों की शादी होगी तो लड़का , लड़की देखने आने वाले पहले घर देखते हैं और मुझे लगता है हमारे इस छोटे से घर को देखकर रिश्ते आने से पहले ही टूट जाएंगे
अरे कावेरी तुमसे किसने कहा कि लोग घर से शादी करते हैं हंसते हुए ओमकार जी बोले
अरे शादी ब्याह में घर का आकार नही दिल का आकार देखा जाता है यदि ऐसा होता तो बड़े काकाजी के दोनो बच्चे अब तक कुंवारे नही बैठते। उनमें और मुझमें यही अंतर है बस
वो घर बड़ा रखते हैं और मैं दिल बड़ा रखता हूं । वो पैसे कमाते हैं और मैं दुआ और आशीर्वाद।
और जब मैं नही रहूंगा तो ये रिश्ते ही काम आयेंगे ये बड़ा घर नही। जो काम पैसे से नही होता वो दुआओं से होता है सुना है ना तुमने
बस जी अब चुप भी करिए ….बस नही चाहिए मुझे बड़ा घर , अब खुश कहकर कावेरी अपने काम पर लग गई।
अब कावेरी ने घर का टॉपिक बंद ही कर दिया हमेशा के लिए
और धीरे धीरे वो ही छोटा घर उसे बड़ा लगने लगा था क्योंकि बच्चों की भी शादी हो गई। बेटियां अपने ससुराल चली गई और बेटा बहु अपने नौकरी पर दूसरे शहर में।
कभी कभार आना होता तो दो एक दिन ऐसे ही निकल जाते तो कभी वो दोनो बेटे के पास चले जाते
कावेरी बड़े घर की अधूरी ख्वाहिश के साथ अब खुश थी।
वो मान चुकी थी कि उसकी किस्मत में भी शायद उसकी ख्वाहिशों का पूरा होना नही है।
अचानक दो दिनों बाद
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कावेरी….. कावेरी….
ओमकार जी की चीख सुन कावेरी रसोई से दौड़ी चली आई
क्या हुआ जी ऐसे क्यों चिल्लाए कावेरी हड़बड़ाते हुए बोली
मेरे सीने में अचानक दर्द उठ रहा है। किसी को बुलाओ, डॉक्टर …. डॉक्टर कहते हुए ओमकार जी बेहोश हो गए।
कावेरी को तो जैसे सांप सूंघ गया। वो किसी तरह उठी और सब आस पड़ोसियों को बुला लिया ।सब बिना देर किए उसकी एक आवाज पर दौड़े चले आए क्योंकि ओमकार जी ने रिश्तेे ही तो भरपूर कमाए थे पूरी जिंदगी में
सबने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की उन्हें बचाने की, हॉस्पिटल लेकर गए पर चार घंटो के अंदर ही ओमकार जी दिल का दौरा पड़ने से दुनिया को और कावेरी को अलविदा कह कर हमेशा के लिए चले गए। कावेरी बिलकुल अकेली रह गई अपने उस छोटे से घर में।
वो उस घर को छोड़कर जाना नही चाहती थी क्योंकि उसे वहां ओमकार जी का आभास और एहसास होता था। बेटे बहु ने बहुत जिद की साथ चलने की पर कावेरी जी के पड़ोसियों ने और ओमकार जी के दोस्तों और मिलने वालों के परिवार ने कहा कि वो यहां जब तक चाहे रहें हम उनको अकेलेपन का एहसास नही होने देंगे और सबके साथ रहने से उनका मन भी लगा रहेगा। हम उनका पूरा ध्यान रखेंगे।
कावेरी जी ने एक काम वाली बाई अपनी सहायता के लिए रख ली और समाज सेवा में जुट गई क्योंकि वो भी अब जान चुकी थी कि घर बड़ा हो न हो पर दिल ज़रूर बडा होना चाहिए
दोस्तो आपकी क्या राय है ? मुझे अपने विचारों से जरूर अवगत करवाएं।
धन्यवाद
स्वरचित और मौलिक
निशा जैन
vm
आप ने बिल्कुल सही बात कही, घर बड़ा हो या न हो घर में जगह हो या न हो पर दिल में एक दूसरे के लिए जगह होनी चाहिए दिल बड़ा होना चाहिए ।