घमंड हुआ चूर (हास्य ) – अनुराधा श्रीवास्तव “अंतरा”

जिला अस्पताल के सीएमओ साहब आज फिर किसी बात पर उखड़ गए थे और बड़े बाबू को डांट फटकार लगाने लगे। वैसे तो यह सीएमओ साहब का रोज का काम था.. जरा जरा सी बात पर आपे से बाहर हो जाते फिर यह भी ना देखते कि सामने वाले को क्या-क्या बोले जा रहे हैं…..

बड़े बाबू से भी रहा न गया तो वह भी बोल पड़े …”साहब हम भी बड़े बाबू हैं …बड़े बड़े अफसरों के आगे के दांत निकाल लिए हैं।”

“क्या बोले ?” सीएमओ साहब गुस्से से दांत पीसते हुए बड़े बाबू को आंखें दिखाते हुए बोले।

बड़े बाबू भी जो जोश में बोल तो गए पर अब अपनी बात संभालते हुए बोले.. “अरे साहब कहावत है.. हमने भी कह दी बाकी आप से बड़ा कौन है”… बात आई गई हो गई।

धीरे-धीरे सीएमओ साहब के रिटायरमेंट  का दिन नजदीक आने लगा.. तो साहब ने बड़े बाबू को पेंशन के कागज तैयार करने का आदेश दे दिया। बड़े बाबू भी बड़ी शिद्दत से पेंशन और नोड्यूज के कागज तैयार कर साहब के दस्तखत बनवाते रहे। सीएमओ साहब रिटायर हो गए।

बड़े दिन हुए जब पेंशन नहीं आई तो उन्हें चिंता  सताई तब वह ट्रेजरी ऑफिस पता लगाने चले गए।

सीएमओ साहब का तेवर तो वहीं था…   खींचते हुए बोले “इतने दिन हो गए पेंशन क्यों नहीं भेजी?”

” आप पहचान करवाने आए थे क्या ? पेंशन बिना पहचान के रिलीज नहीं कर सकते”  बाबू ने भी उसी  तेवर से जवाब दिया।

दरअसल जब सरकारी नौकरी कोई ज्वाइन करने जाता है तो उसके शरीर की दो निशानी को पहचान के तौर पर उसकी सर्विस बुक में लिखा जाता है ताकि  यह  उसके पहचान के तौर पर आजीवन काम आ सके ..जैसे नाक पर तिल , माथे पर चोट का निशान , हाथ में 6 उंगलियां आदि …किसी जमाने में यही पहचान का सहारा होता होगा पर अब तो पहचान पत्र, पैन कार्ड और आधार कार्ड है लेकिन यह  रीत अभी भी चली आ रही है।

” अपने टूटे हुए दांत दिखाइए” बाबू पहचान की प्रक्रिया करते हुए बोला….” यह दोनों नकली दांत हटाइए ताकि पहचान की प्रक्रिया पूरी हो सके …जल्दी कीजिए …मेरे पास वक्त कम है”

” पर मेरे तो दांत कभी टूटे ही नहीं थे …यह तो मेरे असली दांत है”

” पर पेंशन के कागज में आपकी पहचान के तौर पर लिखा है कि आपके आगे के दो दांत गायब है… बिना पहचान के आपको  पेंशन नहीं मिल सकती”

सीएमओ साहब के काटो तो खून नहीं वाला हाल हो गया… सारी अकड़ निकल गई…. अगर पेंशन ना मिली तो जीवन यापन कैसे होगा… पहले तो बड़ी हनक दिखा रहे थे फिर बाबू के सामने गिड़गिड़ाते हुए बोले…” क्या पहचान बदली नहीं जा सकती …लगता है कागज में गलत लिख दिया है… मेरी पहचान तो कुछ और ही है।”

” देखिए अब कुछ नहीं हो सकता …कागज ट्रेजरी ऑफिस आ गए हैं …अब आपका अपने विभाग से कोई लेना देना नहीं है ..अब तो आपके पास एक ही रास्ता है …अपने आगे के दोनों  दांत उखड़वाने होंगे …तभी आपकी पहचान मिलेगी और आपको पेंशन दी जा सकती है”… 

करो या मरो वाली स्थिति में सीएमओ साहब डेंटिस्ट के पास पहुंचे  और  दांत उखड़वाकर अपनी पेंशन निकलवाने ट्रेजरी ऑफिस पहुंचे.. दांत  निकलने की वजह से चेहरा दोगुना हो चुका था  लेकिन अकड़ और घमंड चूर चूर हो गया था।

नमस्ते सीएमओ साहब की आवाज कान में पड़ने पर नजर उठाकर देखा तो सामने बड़े बाबू हंसते हुए खड़े थे “अरे यह क्या हो गया आपको?”

” तुमने मेरी पहचान में यह सब क्या लिख दिया”  चेहरा सूजा होने के बावजूद भी गुस्से से तमतमाते हुए  सीएमओ साहब उलझे शब्दों में बोले

“अरे साहब ..हमने तो आपसे कहा ही था …अच्छे-अच्छे अफसरों के आगे के दांत गायब किए हैं …ऐसे ही थोड़े कहा था। वक्त वक्त की बात है… कल तक जो दांत पीस पीस कर अफसरी के घमंड में चूर आप हमें  भला बुरा कहते थे… आज वह  दांत ही नहीं रहे”  बड़े बाबू चिढ़ाने वाली मुस्कुराहट से बोलते हुए ट्रेजरी ऑफिस के बाहर निकल गए

अब तो सीएमओ साहब को समझ में आ गया था कि यह सब बड़े बाबू ने जानबूझकर उनसे बदला लेने के लिए किया है लेकिन होनी को अब कौन टाल सकता है। जो होना था वो तो हो गया। पेंशन के चक्कर में दांत भी उखड़ गए और जीवन भर किए गए उद्दंड व्यवहार की वजह से  एक नई पहचान अलग से मिल गई ।😝

तो भाई मोरल ऑफ द स्टोरी यह है कि आप भले ही कितने बड़े पद पर हो आप की पेंशन का कागज बाबू ही बनाएगा… इसीलिए अपने साथ काम करने वाले किसी भी कर्मचारी के साथ ऐसा अभद्र व्यवहार मत करिए कि आखिरी समय में आपकी भी दांत उखड़ जाए😅😅😅😅😅😅

#घमंड 

मौलिक

स्वरचित

अनुराधा श्रीवास्तव “अंतरा”

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