hindi stories with moral : तन्वी..! प्रियंका बता रही थी कि तुम्हारे स्कूल में मम्मी पापा को बुलाया गया था पर तुमने तो कभी हमसे कुछ बताया ही नहीं… क्यों..? सुनैना ने अपनी बेटी तन्वी से कहा…
हां नहीं बताया.. तन्वी ने कहा
पर क्यों..? तेरे स्कूल का कोई भी अनुष्ठान होता है तू कभी नहीं बताती, वह तो मुझे हमेशा प्रियंका से ही पता चलता है बाद में, अरे मुझे भी मेरी बेटी को मंच पर देखना है.. सुनैना ने कहा
पर आपकी यह ख्वाहिश कभी पूरी नहीं होगी मां… तन्वी ने कहा सुनैना: पर क्यों..?
तन्वी: देखो मां.. मैं एक बड़े स्कूल में पढ़ती हूं कोई सरकारी स्कूल तो है नहीं, यह तो आप भी अच्छे से जानती है, तो इस स्कूल में टीचर मम्मी पापा से बस इंग्लिश में ही बातें करते हैं.. आप दोनों में से सिर्फ पापा को इंग्लिश आती है और पापा के पास मेरे स्कूल में जाने का समय नहीं होता, ऐसे में आप बचती है, तो मां जब आपको इंग्लिश आती ही नहीं,
तो आप वहां जाकर क्या करेंगी..? उल्टा पिछली बार की तरह मेरी बेइज्जती ही करवाएंगी, पिछली बार आपकी हरकतों की वजह से सब मुझे गवाँर की बेटी कह कर चिढ़ा रहे थे, दोबारा मुझे वह सब नहीं झेलना
सुनैना को तन्वी के बातों का बड़ा बुरा लगा, ऐसा भी नहीं था कि वह अनपढ़ थी, पर हिंदी में अपनी पढ़ाई के कारण उसकी इंग्लिश बिल्कुल ही कमजोर थी, सोचा था जो कुछ उसने इंग्लिश ना आने की वजह से झेला था कभी, वह उसकी बेटी ना झेले, इसलिए उसने तन्वी को अपने हैसियत से आगे बढ़कर इतने बड़े स्कूल में पढ़ने के लिए डाला,
जिसके लिए वह दिन-रात मेहनत भी करती थी, तन्वी के पापा सोहन के पैसों से घर तो चल जाता था, पर तन्वी की पढ़ाई के लिए सुनैना सिलाई का काम करती थी.. वह सिलाई के साथ-साथ सिलाई स्कूल भी चलाती थी, इतनी जद्दोजहत के बाद ही वह तन्वी की पढ़ाई का खर्चा उठा पाती थी, 11वीं में पढ़ रही तन्वी मां के इस मेहनत को नहीं देख पा रही थी, उसे दिख रहा था तो बस अपनी मां का इंग्लिश ना आना
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खैर तन्वी के इस बात पर सुनैना और कुछ नहीं कहती और वह अपने कामों में व्यस्त हो जाती है, एक दिन तन्वी के स्कूल में एक बड़ा प्रोग्राम होता है, तो जिस तरह के कपड़े बच्चों को सिलवाने थे वह और कोई दरजी समझ ही नहीं पा रहा था, तो प्रियंका (तन्वी कि पड़ोसी और सहपाठी) उसने सुनैना को बताया…
सुनैना ने हुबहू वैसे ही कपड़े तैयार कर दिए, जब प्रियंका ने वह ड्रेस अपनी टीचर को दिखाया तो टीचर सुनैना के बारे में जानकर उसके घर ही चली गई और 20 लड़कियों के कपड़े सिलने का ऑर्डर दे दिया
तन्वी को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आई और उसने अपनी मां से कहा क्या जरूरत थी प्रियंका को वह ड्रेस सिलकर देने की..? पहले सब मुझे गवाँर की बेटी कहते थे अब दर्जी की बेटी कहेंगे… मां अगर उस दिन प्रोग्राम के बाद किसी ने मुझे चिढ़ाया तो फिर देख लेना मैं फिर कभी स्कूल नहीं जाऊंगी..
प्रोग्राम के दिन तन्वी तो सुनैना को नहीं जाने देना चाहती थी… स्पर स्कूल के टीचर्स ने सुनैना को आने के लिए बार-बार कह दिया तो सुनैना उनकी बात रखने के लिए स्कूल के प्रोग्राम में आ गई… स्टेज पर डांस करने आई तन्वी जब दर्शकों की भीड़ में अपनी मां को देखती हैं, मारे गुस्से से उसका चेहरा लाल हो जाता है..
पर वह स्टेज पर से कुछ कर भी नहीं पा रही थी… प्रोग्राम खत्म हो गया उसके बाद बारी थी सबको सम्मानित करने की… तन्वी को भी ट्रॉफी दी गई जिसे देखकर सुनैना के आंखों में खुशी के आंसू आ गए… फिर टीचर्स ने मंच पर कहा यह हमारा यह प्रोग्राम शायद ही इतना अच्छा हो पाता, जो हमारी कॉस्ट्यूम डिजाइनर ऐन वक्त पर सबके कॉस्ट्यूम डिजाइन न किए होते.. आज हम अपने डिजाइनर को भी सम्मानित करना चाहते हैं.. यह कहकर सुनैना को मंच पर बुलाया गया
स्कूल की प्रिंसिपल: यह है हमारे प्रोग्राम में भाग ली हुई लड़कियों की कॉस्ट्यूम डिजाइनर.. यह इतने दिनों तक कहां थी.? तन्वी ने कभी बताया ही नहीं कि उसकी मां इतनी टैलेंटेड है.. आई एम सो प्राउड ऐसे पैरेंट के बच्चे हमारे स्कूल में पढ़ते हैं.. इसलिए तन्वी भी बहुत ब्राइट है…
तन्वी यू आर सो लकी दैट यू हैव मदर लाइक दिस, रिमेंबर वन थिंग मदर इस द फर्स्ट स्कूल अॉफ एवरी चाइल्ड, सो मेक हेर ऑलवेज प्राउड… (तन्वी तुम बहुत खुशकिस्मत हो जो तुम्हें ऐसी मां मिली, एक चीज हमेशा याद रखना की एक बच्चे का पहला विद्यालय उसकी मां ही होती है)
अपनी प्रिंसिपल की यह बात सुनकर आज तन्वी बहुत दुखी थी और वह मन में सोचती है के उसने हमेशा अपनी मां को नीचा दिखाया.. मां को इंग्लिश नहीं आती बस इस बात पर उन्हें हमेशा दुतकारा.. पर फिर भी वह चुपचाप अपना काम करती रही.. आज शायद मां की जो मेहनत ना होती तो मैं भी इस स्कूल में नहीं पढ़ रही होती..
गवाँर मेरी मां नहीं, मैं और पूरी दुनिया है, जो एक मां को सिर्फ अंग्रेजी के दम पर नाप रही है… मां चाहे अनपढ़ ही क्यों ना हो.? बच्चे को पहली सीख तो वही देती है
उसके बाद तन्वी मंच पर कहती है.. मैंम आई वांट टू से समथिंग, बट इन हिंदी… सो दैट माय मदर कैन अंडरस्टैंड माई फीलिंग्स… (मैं कुछ कहना चाहती हूं लेकिन हिंदी में, जिससे मेरी मां मेरी भावनाओं को समझ सके) फिर तन्वी कहती है मां आज मैं आपसे वादा करती हूं कभी भी किसी की बातों में आकर आपको शर्मिंदगी महसूस नहीं करवाऊंगी..
इंग्लिश बस एक भाषा मात्र है वह किसी के टैलेंट को नहीं बता सकती.. ठीक उसी तरह मेरी मां मेरा गुरूर है जो किसी के गवाँर कहने से मेरे विचार नहीं बदल सकती… आज मैं सबके सामने कहती हूं अगर अंग्रेजी ना आने से मेरी मां गवाँर है तो मुझे फक्र है गवाँर की बेटी कहलाने में.. क्योंकि हम हिंदुस्तान में रहते हैं जहां हिंदी भाषा ही हमारी पहचान है.. तन्वी की बातों से वहां तालियों की गड़गड़ाहहट गूंज उठी
धन्यवाद
#गवाँर
रोनिता कुंडु
रोनिता जी ! हार्दिक शुभकामनाएं एवं अभिनंदन !
Absolutely