दोहरी राजनीति – गुरविंदर टुटेजा

 संजीव बाहर इतना शोर क्यों हो रहा है…??

अरे रचना आज जुलुस निकल रहा हैं…सब अलग-अलग आएगें हाथ जोड़कर वोट मांगने…और बड़े-बड़े वादे कर जायेंगे…!!!!

 कल पीछे वाली भाभी बोल रही थी कि पार्षद के लिए उनके पहचान के कोई खड़ें हैं…उनको ही वोट दें और जुलुस में भी चलना…!!

मैंने तो साफ मना कर दिया…!!

सच रचना ! जब वोट मांगने आते हैं तो पैर पड़तें हैं व बड़े-बड़े वादें करते हैं कि हम ये करेंगे हम वो करेंगे 

और जब जीत जातें हैं तो जनता कितनी ही परेशान हो जाये फोन तक नहीं उठातें फिर तू कौन और मैं कौन..??

पर संजीव !  इन सब में जो सच्चें व अच्छें होतें हैं वो बेचारे मात खा जातें हैं और जो दोगलें होते है वो पैसे खिलाकर व मीठी बातें करके लोगों को फुुसलाकर वोट लेकर जीत जातें हैं..!!

और तो और संजीव तुम्हें पता है कि मैंने कितनों को देखा हैं जो सबके साथ  वोट मांगने आ जाते हैं और दिलासा देतें हैं कि हम आपके साथ हैं..मुझे तो आश्चर्य होता है कि कितने दोहरे चेहरे लेकर इंसान हमारे आस-पास घूम रहें हैं और ऐसा ही कोई जीत भी जाता हैं…!!!!

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रचना … तुम्हें थोड़ें समय पहले का किस्सा बताऊँ…गज्जू भैया जो ठेला चलातें हैं उनका बेटा बहुत बीमार है बेचारा जो मदद के लिए सब जगह गुहार लगाता रहा पर कोई ने मदद नहीं की फिर मैंने उसके बेटे को एडमिट करवाया और दो दिन का पेमेन्ट भी करके आया और बोलकर आया कि जरूरत हो तो बेलना…!!!!

संजीव तुमने बताया नहीं…??

वो छोड़ों तुम्हें पता हैं वो गज्जू भैया कह रहें थे कि जब वोट लेना था तो पैसा व शराब की बोटलें दे गये हम सबने उन्हें जीता दिया आज कोई मदद नहीं कर रहा हैं आप जैसे सच्चे लोग ही नेता बन जायें तो हम जैसे कितनों का भला हो जायें…!!!!

 हाँ संजीव…इतना पता हैं कि आज हमारे आस-पास हर इंसान दो चेहरें लिए घूम रहा हैं हमारा भविष्य बन जाता हैं..और जब जरूरत हो तो गायब हो जाता हैं तो मैं तो यही चाहती हूँ कि हम वोट दें तो पहचान व पैसा छोड़कर ये देखें कि कौन सही है…उसे ही वोट दों…!!!!

#दोहरे_चेहरे

मौलिक व स्वरचित 

गुरविंदर टुटेजा

 उज्जैन (म.प्र.)

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