चरित्रहिन – कामिनी मिश्रा कनक : hindi stories with moral

hindi stories with moral : काजल भरी नैन ,  गुलाबी होंठ , खुले बाल , माथे पर लाल रंग कि बिंदी और लाल रंग  की साड़ी  में  सुमन का रूप देखकर  कोई भी उस पर मोहित हो जाता ….राधा जी और मीना के तो होश ही  उड़ गए सुमन को देखकर  !

सुमन को देखते ही मीना को कुछ बात याद आ गयी……

अरे राधा जी आपको पता है , कल मेरे पति थोरा ऑफ़िस से आने में लेट  हो गए  उन्होंने क्या देखा ।

राधा- हाँ हाँ मीना जल्दी बता मैं लेट हो रही हूँ !

मीना- राधा जी बता रही हूँ , सुनोगे तो पैरो के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी !

राधा- अच्छा बता क्या बात है !

मीना- मेरे पति बता रहे थे कि  कल  चाँदनी बाज़ार से अनुराधा जी कि बहू  सुमन को आते देखा !

राधा- अपनी अनुराधा की बहू  , ये सुमन …………

मीना- हाँ हाँ  यही  …….सुमन

राधा- मुझे तो यकिन नहीं हों रहा है ……कि सुमन ………….?

मीना- अरे हाँ सच्ची मैं आपसे झूठ थोड़ी न कहूँगी !

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राधा- अच्छा चल  अनुराधा के घर चलते हैं …..

मीना- अरे राधा जी छोड़ो ना आप  लेट  हो रही थी ना ………क्यों किसी के भी घर जाना…….

राधा-  तुझे चलना है तो चल नहीं तो मैं अकेली ही चली जाऊंगी !

मीना- राधा जी आप  लेट हो रही है ……………… आप कहीं और जा रही है , हम फिर कभी चलेंगे !

राधा- मैं  अभी जाऊँगी , अभी सुमन का रूप देखा ना तूने ,  आ रही है महरानी कही से गुल्छरे उड़ा कर ।

मीना- छोड़ो राधा जी हमें क्या………..??? आप कही जा रही थी । आप लेट हो जाओगी !

राधा- मैं लेट  हो रही हूँ या नहीं …………वो मैं देख लूंगी ये अनुराधा जी बड़ी बड़ी बातें करती थी अपनी बहू के बारे में  ……….. जरा सुमन  कैसी है  मैं  बताकर तो आऊँ ! विदेश से लायी है बहू ………..हुऊ……………मैं बताती हूँ अब विदेशी बहू कैसी है । मेरी बेटी में कोई कमी थी जो अपने बेटे का विवाह सुमन जैसी चरित्रहिन लड़की से करवाया । 

मीना- अच्छा राधा जी आप अपनी बेटी मालती का रिश्ता ले कर गयी थी अनुराधा जी के पास  !

राधा- और क्या मीना अनुराधा ने तो मेरी बात भी नहीं सुनी !

मीना- क्या……..

राधा- हाँ और क्या…………..और  ये कह दिया कि उनका बेटा किसी को पसन्द करता है  । ये है उसके बेटे कि पसन्द …………सुमन जैसी चरित्रहिन लड़की जो रात के समय  बाज़ारों में घूमती है ………….अच्छा हुआ  अनुराधा के साथ बहुत अमीरी दिखती थी …..अब गरमी इनकी मैं उतारती हूँ !

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मीना- अच्छा चलिए  अनुराधा जी के घर चलते है , ।

राधा और मीना अनुराधा जी के घर पहुँच जाती है ………..

अरे अनुराधा कहा हो  ……. देखो कौन मिलने आया है रेखा आवाज़ देते हुए……………..

अनुराधा जी अपने कमरे से बाहर आती है  ……. अरे मीना  और राधा जी आज इधर कैसे आना हुआ  ।

राधा- वो आपसे ही मिलने आए है कैसी है आप  और आपकी बहू कैसी है ……

अनुराधा कुछ कहती तभी वहा सुमन आ गयी …….

काकी प्रणाम सुमन राधा का पैर छूते हुए , और मीना को नमस्ते बोलते हुए

मीना जी आप कैसी है ……

मीना- आवाज़ लरखराते हुए ….. वो ……वो सुमन मैं ठीक हूँ …. तुम बताओ तुम कैसी हो …..?

सुमन – हम सब ठीक है ……

तभी रेखा जी बोली अच्छा सुमन तुम इतना सजधज कर कहा गयी थी ….. अभी आते हुए देखा  तुम्हें ….

सुमन कुछ कहती अनुराधा बोली रेखा तुम्हारा पूरा ध्यान मेरी बहू पर ही रहता है क्या……मेरी बहू कही भी जाए उसे तुम्हें क्या ……?

रेखा -अरे अनुराधा तुम  जरा अपनी बहू पर लगाम लगाओ तुम्हारी बहू के लक्छन ठीक नहीं है। 

अनुराधा- ग़ुस्से में बस रेखा ज़ुबान को लगाम दो तुम कौन होती हो ये सब बोलने बाली

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रेखा- रहने दो अनुराधा अब हम से छुपाओ मत हमें सब मालूम है तुम्हारी बहू के चरित्र के बारे में ….

सुमन- बस काकी बस आप ऐसा कैसे कह सकती है । आप मेरे बारे में जानती ही क्या है ।

रेखा- सब जानती हूँ रात के अंधेरे में तुम कहा जाती हो !

अनुराधा- ख़बरदार  जो मेरी बहू को कुछ और कहाँ तुम भी एक बेटी की माँ हो ….

रेखा- मेरी बेटी को जानती ही क्या है आप आपने रिस्ता नहीं किया तो क्या उसकी शादी  कही और नहीं हो सकती है ,,

वो तो बहुत ख़ुश है ससुराल में  ।

सुमन- हाथ जोड़ते हुए काकी अभी आप सब जाइए !

रेखा- अरे मीना देख जब खुद की बात आयी तो कैसे हाथ जोड़ रही है  मैं सब जानती हूँ तुम चाँदनी बाज़ार मे रात के अँधेरे में क्या करने जाती हों ..

अनुराधा- बस राधा तुम कुछ नहीं जानती हो भगवान के लिए चुप हो जाओ ……

रेखा- मैं सब जानती हूँ वो जगह ऐसे ही नहीं बदनाम है , तुम्हें मीना के पति ने आते हुए देखा !

तभी सुमन बोली

हर बदनाम गली में जाने वाली नारी चरित्रहिन नहीं होती है काकी खैर कोई नहीं आपको समझा पाना मुश्किल है ……..

आप सब तो औरत पर ही सवाल उठाएँगीअरे मीना दीदी आपने अपने पति से नहीं पूछा की वो वहाँ  बदनाम गली में क्या करने गए थे ……

मीना- वो तो आदमी है कही ऑफ़िस के काम से गए थे !

सुमन- आदमी  सिर्फ़ काम के लिए जा सकता है और एक औरत जाए तो  वो चरित्रहिन हो जाती है ।

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रेखा जी – बस सुमन तुम्हारी काली करतूत पता चल गया है उसे छुपाने कि कोशिश मत कारों …..

बस करो आप सब ये क्या सुमन के लिए बोली जा रही है आप सब जानती ही क्या है …….

रेखा – मालती  तुम यहाँ कैसे और तुम सुमन का पकछ क्यों ले रही हो तुम नहीं जानती इसे

मालती- माँ मैं सब जानती हूँ आज सुमन नहीं होती तो सायद मैं मुँह दिखने के लायक़ नहीं होती …..

सुमन- अच्छा मालती तुम बैठो यहाँ तुम्हें आराम कि ज़रूरत है ।

मालती- सुमन मुझे बोलने दो ….नहीं तो माँ तुम्हें क्या सब बोलेगी ! माँ जिस लड़के से आपने मेरी शादी करायी तो वो शराबी , जुआरी निकला वो मुझे जुआँ में हार गया और चाँदनी बाज़ार में बेच दिया , वो तो मुझे जब ले कर जा रहे थे तो सुमन ने देख लिया और रात के अँधेरे में वहाँ से निकाल कर अपने घर ले आयी ।

रेखा और मीना की नज़रें झुक गयी

रेखा जी रोते हुए सुमन बेटा मुझे माफ़ कर दो …..बिना सोचे समझे मैंने तुम्हें क्या कुछ नहीं कहा , तुम्हें ग़लत समझ बैठी ,अनुराधा जी आप भी मुझे माफ़ कर देना ……आपकी बहू तो हीरा है हीरा

कामिनी मिश्रा कनक

फ़रीदाबाद

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