तुमसा नहीं देखा भाग – 42 – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi

यशिका अपना ऑफिस शिफ्ट करती है और अभिमन्यु देविका को मिलने के लिए बोलता है अब आगे : यशिका सुबह अपने नए ऑफिस में पहुँचती है वहां अमर पहले ही पहुँच गया था और अपनी निगरानी में वो सब कुछ सेट करवा रहा था । दिनेश और बाक़ी स्टाफ भी था जो सब चीजों को … Read more

तुम सा नहीं देखा भाग – 2 – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi

यशिका को शाह ग्रुप से फोन आता है कि उन्हें ये प्रोजेक्ट मिल गया है और दूसरी तरफ रंधावा कंस्ट्रक्शनस को जो कि इतना बड़ा ग्रुप है उनको प्रोजेक्ट नहीं मिलता । अब आगे.. शौर्य तेज़ी से गाड़ी ड्राइव करता हुआ आधे घंटे में एक घर के सामने आकर रुकता है  गेट पर बड़े बड़े … Read more

आप अपने बेटे के साथ क्यों नहीं रहते – मंजू ओमर 

अरे शर्मा जी कब आए बेटे के यहां से,कल ही आया हूं। शर्मा जी दूध लेने को आए थे स्टिक का सहारा लेकर जाने लगें तो गुप्ता जी ने कहा लेकिन अब आपको अकेले यहां नहीं रहना चाहिए । देखिए आप ठीक से चल भी नहीं पा रहे हैं । वहां कम से कम बहू … Read more

उल्टी पट्टी पढ़ाना – रंजना गुप्ता : Moral Stories in Hindi

गाँव रामपुर में एक बुज़ुर्ग अध्यापक रहते थे – नाम था हरिनारायण जी। पूरे गाँव में उनका बहुत मान-सम्मान था। वे न सिर्फ़ बच्चों को पढ़ाते थे, बल्कि जीवन की सीख भी दिया करते थे। उनका मानना था कि शिक्षा का अर्थ केवल किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि सही रास्ता दिखाना भी है। गाँव में … Read more

अपनों की पहचान – नीलम शर्मा 

सुरीली एक मस्त और हरफनमौला लड़की थी। उसे लगता था कि बस जो कुछ वह सोचती और करती है वही सही है। ऐसा नहीं था कि वह बददिमाग या बदतमीज थी। उसकी बहुत बड़ी कमी थी अपने आप को हर बात में सही ठहराना। अगर उसकी मम्मी मीना उसके किसी व्यवहार को गलत बताकर उसे … Read more

विंडो सीट भाग -2 – अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’ : Moral Stories in Hindi

 जो कहा नहीं गया — समीर की जुबानी विंडो सीट पार्ट -1 : वर्षों बाद एक रेलयात्रा में सुरभि और समीर आमने-सामने आते हैं। कभी एक-दूसरे से गहरे जुड़े ये दो लोग अब अजनबियों की तरह मिलते हैं । सुरभि के मन में अब भी कई अनकहे प्रश्न हैं, और समीर की आँखों में गहरा … Read more

अलविदा – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

 निधि की बेटी शिप्रा बहुत बीमार थी। 6 वर्ष की छोटी सी आयु में दिल की बीमारी, डॉक्टर साहब ने कहा कि ऑपरेशन करना पड़ेगा, 7 8 लाख रुपए का खर्च आएगा।      निधि ने अपने ऑफिस में बात की, काम नहीं बना। बॉस ने साफ इनकार कर दिया। रिश्तेदारों का तो कहना ही क्या, मायके … Read more

पल में रंग बदलते लोग – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

बस कीजिए मांजी बहुत हुआ गर्भवती नैन्सी सासूमां भावना जी की रोज रोज की किचकिच से तंग आ चुकी थी । पोता ही चाहिए पोता ही चाहिए बस जब देखो तब एक ही रट लगाए रहती आज जैसे ही उन्होंने पोते की रट लगाई पोता ये पोता वो वंश चलेगा तो पोते से ही। नैन्सी … Read more

आंखे नीची करना – डोली पाठक : Moral Stories in Hindi

मैं कह रहा था ताऊजी कि, बड़ी दीदी का तो कोई भाई है हीं नहीं तो फिर मायके की संपत्ति में उनका हिस्सा लगाना जरूरी है क्या???  आंखों में बेशर्मी की पट्टी चढ़ाए मनोज ने ताऊजी से कहा। ताऊजी ने उसे जलती निगाहों से देखा और गुस्से से तमतमाते हुए कहा _ किसको क्या मिलेगा … Read more

मैं हूं ना – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

 गाड़ी का हॉर्न लगातार बजाए जा रहा था सुबोध…..  सुमेधा 5 मिनट पहले ही…. हां – हां आ रही हूं बाबा ….बोलकर अभी तक नहीं पहुंची थी…. सुबोध कभी घड़ी की ओर कभी दरवाजे की तरफ देखता और उसका गुस्सा बढ़ता जाता …     सुमेधा आते ही …ओ सॉरी यार… बोलकर जैसे ही गाड़ी में बैठी … Read more

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