तिरस्कार कब तक? – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi
सुबह का समय था। रसोई में बर्तनों की खनक, गैस पर उबलती चाय, और बाहर से आती बच्चों की चहल-पहल… सब कुछ एक व्यवस्थित ग़ुलामी जैसा था। सीमा रसोई में झुकी हुई थी, हाथ रोटियों में, कान सास की आवाज़ में और मन… मन कहीं गुम था। श्रवण कमरे से बाहर आया। उसके हाथ में … Read more