तिरस्कार कब तक? – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

सुबह का समय था। रसोई में बर्तनों की खनक, गैस पर उबलती चाय, और बाहर से आती बच्चों की चहल-पहल… सब कुछ एक व्यवस्थित ग़ुलामी जैसा था। सीमा रसोई में झुकी हुई थी, हाथ रोटियों में, कान सास की आवाज़ में और मन… मन कहीं गुम था। श्रवण कमरे से बाहर आया। उसके हाथ में … Read more

प्रवंचना – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

सुरभि….! कैसी हो बेटा। अब पहले से बेहतर हूंँ मम्मा..!ओ मेरी राजदुलारी…! कहते हुए एकता ने सुरभि को गले से लगा लिया। एकता कल शाम का वह हादसा बिल्कुल भूल नहीं पा रही थी, उसके जेहन में वह घटनाक्रम चलचित्र बनकर उभर रहे थे।  उसे सबसे ज्यादा अपनी बेटी सुरभि की फिकर थी। कहीं इस … Read more

एक बहू की चुप्पी और एक बेटी की पुकार – सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

गाँव की गलियों में, एक आवाज़ गूंज रही थी — “अब तो ठंडक मिल गई न तुम्हारे कलेजे को!” ये शब्द न कोई गाली थे, न कोई शोर… बल्कि वर्षों की चुप्पी में दबी एक चीख़ थी – जो एक बहू के नहीं, एक बेटी के मुँह से निकली थी। 🏡 कहानी आरंभ – एक … Read more

संकल्प – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

सप्तपदी का  मुहूर्त आधी रात के बाद ही था।परी बहुत थकी लग रही थी।नींद से बोझिल आंखें से जब भी मुझपर पड़तीं,वही सवाल पूछतीं।नज़रें चुराकर कहीं और देखने लगता। बार-बार घड़ी देख रहा था,तभी शशांक के पिता जी ने आकर कंधे पर हांथ रखकर कहा”संकल्प जी, घबराहट हो रही है?मैं समझ सकता हूं। मैंने भी … Read more

शुभ विवाह – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

पहलगाम की खूबसूरत वादियाॅं, देवदार और चिनार के पेड़ दूर-दूर तक बिछी सफेद बर्फ की चादर यह सभी खूबसूरत नजारे आज स्नेहा और अभि की शादी के गवाह बनने जा रहे थे। इन्हीं खूबसूरत नजारों के बीच आज स्नेहा और अभि सात फेरों के अटूट और खूबसूरत बंधन में बंधने जा रहे थे। स्नेहा को … Read more

पोता का विवाह – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

पहिला उछाव मोरे राम के बिआह, गीत गुनगुनाते हुए रचना जी रसोईघर मे काम कर रही थी। तभी उनके पति सुबह की सैर करके आए और उन्हें रसोईघर मे गुनगुनाते हुए काम करते देखकर खुश होते हुए बोले, आज बड़ी ख़ुश लग रही हो कामवाली के आने के पहले ही चाय चूल्हे पर चढ़ गईं … Read more

अब तो पड़ जाएगी न तुम्हारे कलेजे में ठंडक – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

समय की पुकार, पर्यावरण की संभाल-      “ सुरेखा, तुम्हें कितनी बार समझा चुकी हूं कि गीला और सूखा कूड़ा अलग अलग रखा करो , और कितना पानी बर्बाद कर देती हो बर्तन साफ करते समय, जब ना जरूरत हो तो नल बंद कर दिया करो, और देखो पोछां लगाते समय सारे घर के पंखे चला … Read more

सुधार ली भूल – डॉक्टर संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

आज फिर नमक तेज कर दिया सब्जी में? चिल्लाते हुए उदित बोला तो रश्मि कांप गई, थोड़ी सी चख के देखी, ठीक तो है बिल्कुल..इन्हें क्या हो गया है आजकल, बात बेबात चिड़चिड़े हो जाते हैं, उसने सोचा। दिल कहीं और रहता है क्या? उसके पास आए ही उदित ने कहा तो रश्मि की आँखें … Read more

पछतावा – डॉक्टर संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

चंदनपुर गांव में रहते थे लाला हरदयाल, किराने की छोटी सी दुकान के मालिक,बाप दादा की काफी जमीन थी जिसपर खेती बाड़ी का काम भी करते साथ में।बहुत मेहनती और सरल स्वभाव के व्यक्ति थे, उनके पड़ोस में रहता बनवारी लाल जो उनकी समृद्धि से चिढ़ता था,कहने को उसके पास भी खेत खलिहान की कमी … Read more

नई ऊर्जा – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

उम्र के तीसरे पड़ाव पर आकर राम बाबू एक दम खामोश हो गए पहले तो थोड़ा बहुत बोलते भी थे वो भी पत्नी से मगर अब उससे भी नही बोलते।जो मिल जाये खा लेते हैं जो मिल जाये पहने लेते हैं, यूं कह लो कि बस जैसे तैसे अपनी जिंदगी गुजारा रहे हैं। बिना किसी … Read more

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