“कांच की चूड़ियाँ” – सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

प्रसंग: यह कहानी बिहार के एक छोटे गाँव धरमपुर की है, जहाँ आज भी बेटियों को “पराया धन” और “बोझ” माना जाता है। लेकिन एक लड़की और उसकी माँ मिलकर इस सोच को बदलने की कोशिश करती हैं। मुख्य पात्र: सुनीता: आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली होशियार और स्वाभिमानी लड़की। मीना देवी: उसकी माँ, जिसने … Read more

तिरस्कार कब तक – भारती यादव ‘मेधा’ : Moral Stories in Hindi

फूल मालाओं से लदी हुई  रागिनी को आज लड्डुओं से तौला जा रहा था, उसकी तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे, उसके साथ फोटो खिंचवाने के लिए लोगों में धक्का मुक्की तक हो रही थी और रागिनी के भीगे हुए आँखों के कोर,शांत भाव से यह सब देख  रहे थे और मन कह रहा … Read more

अपने- पराये – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

आफिस से लौटकर प्रतीक फ़्रेश हुआ, एक बड़ा सा मग काफी बनाई , हीटर और टीवी चलाया और धप्प से रज़ाई में घुस कर फ़ायर स्टिक पर अपने मनपंसद प्रोग्राम का आंनद लेने लगा। सब कुछ कितना बदल गया है। कम्पयूटर, मोबाईल, वाई- फ़ाई आदि ने तो दुनिया ही बदल दी। अब टीवी को ही … Read more

तिरस्कार नहीं हम तो नोंक-झोंक में आनन्द खोजते हैं – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

अजी सुनती हो कहां हो..? पति राकेश की चिलचिलाती आवाज सुनकर रीता जी झल्लाकर बोली  कहां सुनती हूँ.. मैं तो बहरी हूँ वो भी जन्म से…थोड़ा झल्लाकर  हाँ बोलिए क्या बात है..? अरे तुम तो नाराज ही हो जाती हो मैंने ऐसा कब कहा..? जरा एक कप चाय मिलेगी पति राकेश की आवाज में बेहद … Read more

आखिर ये तिरस्कार कब तक! – इंदु विवेक : Moral Stories in Hindi

पचासों बार उसे श्रृंगार कर लड़के वालों के सामने ले जाया गया,हजारों रुपये स्वागत सत्कार में खर्च किये गए, तमाम आभगत मगर परिणाम एक ही ,लड़की की लंबाई थोड़ी कम है हमारे बेटे के हिसाब से थोड़ी लंबी लड़की चाहिए।         सलौनी थक गई थी यह सब सुन सुन कर,उसका मन जोरों से चीख रहा था … Read more

बुलावा – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

अपने आजू-बाजू बैठे दो अजनबी यात्रियों के बीच बैठी सुबह की पहली फ्लाइट से देहरादून जाती रोहिणी की आंँखों के सामने लगभग पांँच वर्ष पहले की वह घटना चलचित्र की तरह पुनर्जीवित हो उठी…  बच्चों के स्कूल में गर्मी की छुट्टियां थी और उसी दौरान किसी जान-पहचान वाले की ओर से टेलीफोन पर अपने पिता … Read more

तिरस्कार कब तक – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

दुर्गा प्रसाद शहर के जाने-माने वकील थे। उनकी एकलौती बहन कमला की शादी एक बड़े पद पर आसीन व्यक्ति रमाकांत जी के साथ  बड़ी धूमधाम से हुई थी ।बहन की शादी में देर हो जाने की वजह से उनकी उम्र ज्यादा हो गई थी। जिसकी वजह से रमाकांत जो विधुर थे उनके साथ विवाह हुआ … Read more

तुम्हारे हिस्से का प्यार – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

70 वर्षीय बद्री प्रसाद अभी पौधो को पानी दे रहे थे कि काम वाली बाई आ गई। बाऊजी बर्तन खाली कर दीजिए । हां हां कहते हुए बद्री प्रसाद जी ने रसोई में आकर बर्तन खाली कर  शांता बाई को दिए। तभी उन्होंने दूध और सब्जी बाहर पड़ी देखी.. ओह लगता साक्षी इन्हें फ्रिज में … Read more

अब तो  पड़ जाएगी ना तुम्हारे कलेजे में ठंडक – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

दिन भर की चिक-चिक से परेशान हो गई थी रमा जी….बाप – बेटे में ऐसे झगड़े होते जैसे दो छोटे बच्चों में खिलौने को लेकर। पिता पंचानबे साल के थे लेकिन बहुत फिट फाट। अपने काम स्वयं कर लेते थे और बेटा सत्तर साल का जिसको थोड़ी तकलीफ़ रहती थी सेहत में। पिता जी शारदा … Read more

मेरी गुड़िया – निर्मला अग्निहोत्री : Moral Stories in Hindi

नन्हे नन्हे कदमों से आंगन में चलती            मेरी गुड़िया नन्हे हाथों से मेरी उंगली थामे             मेरी गुड़िया टेबल पर डरती सहमति सी मेरी ओर देखे              मेरी गुड़िया  कंधे पर हाथ रखकर खेलती कूदती              मेरी गुड़िया गाड़ी पर कमर कस कर पकड़े बैठने वाली               मेरी गुड़िया धीरे-धीरे बड़ी हो पढ़ लिख कर आगे बढ़ती                मेरी गुड़िया … Read more

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