खँडहर का मन—कहानी -देवेंद्र कुमार

घने जंगल में एक खँडहर था। अंदर और बाहर सब तरफ झाड़-झंखाड़ से घिरा हुआ। खँडहर से कुछ दूर से एक कच्ची सड़क गुजरती थी। वह कोई मेन रोड नहीं थी, इसलिए उस सड़क से आने-जाने वाले लोग भी बहुत कम थे। अक्सर बैलगाड़ियां, घोड़गाड़ी या फिर कभी-कभी भूले भटके कोई कार गुजर जाती थी। … Read more

बेनकाब – विजया डालमिया

गहराती रात के साथ बीता हर पल उसे और अंधेरे की तरफ धकेल रहा था। जो हुआ उस पर वह यकीन नहीं कर पा रही थी। ना ही वह इसके लिए तैयार थी। कुछ महीनों पहले की ही तो बात है जब वह पल्लव से जुड़ी थी ।पावनी एक मिडिल क्लास फैमिली की लड़की थी … Read more

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