पुस्तैनी घर – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू  : Moral Stories in Hindi

ऐ जी सुनों ना चलो चलते है छोटे बेटे बहू के घर ,इतना बुलाया पर हम लोग जा नही पाये।अब तो ईश्वर की कृपया से बड़ी बहू ठीक ठाक है , कहते हुए सुबह का नाश्ता ‘ छाछ का गिलास ‘  पकड़ाते हुए रन्नो बगल में रखी मचिया को खीच कर बैठ गई। इस पर … Read more

अब तो पड़ जाएगी ना तुम्हारी कलेजे में ठंडक” – प्रीती श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

रमा, सूरज की पत्नी, एक सीधी-सादी, घरेलू और पारंपरिक स्त्री थी। उसे रसोई, पूजा-पाठ, और घर की जिम्मेदारियों में ही सुकून मिलता था। वो सबका ख्याल रखती थी, पर बहुत चुपचाप और बिना दिखावे के। सीमा, चंदन की पत्नी, शहर से पढ़ी-लिखी, तेज़-तर्रार और आत्मविश्वासी लड़की थी। उसने एमए किया था, और कभी-कभी ट्यूशन भी … Read more

  मोल भाव –  उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

   आज सुबह उनकी गृह सहायिका बुधिया ने अपने दाएँ हाथ में एक लिफाफा लटकाए हुए प्रसन्नता से अत्यंत चहकते हुए घर में प्रवेश किया, ‘बीबी जी! देखिए ! आज मैं आप लोगों के लिए थोड़े से घीया कद्दू लेकर आई हूँ। बिल्कुल ताजे और नरम हैं। मैंने कुछ देर पहले ही उतारे हैं। असल में … Read more

तिरस्कार कब तक? – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

घर के सामने वाले पार्क में भावना जी अपनी उम्र की ही कुछ महिलाओं के साथ बैठकर बतिया रही थी। सच बात है बुढ़ापा है ही ऐसी चीज और सोने पर सुहागा तब जबकि पति भी साथ में ना हो और बच्चों पर निर्भरता आ जाए। रानू माता जी सुबह से ही बहु ,बेटा, पोता, … Read more

तिरस्कार कब तक – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

“आज फ़िर तुमने ये गँवारों जैसे कपड़े पहन लिए हैं!आख़िर तुम्हें कब अक्ल आएगी या फ़िर तुम ओरतों की अक्ल होती ही घुटनों में है!” विनीत हमेशा की तरह मीता को उलाहना दे रहा था ।  विनीत मीता की किसी भी बात की प्रशंसा न करता और ऊपर से उसके हर काम में कमी निकालता … Read more

तिरस्कार कब तक – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

रजत और मनीष दोनों ने साथ साथ ही स्कूल से कॉलेज तक की पढ़ाई पूरी की । रजत के घर में ज्यादा सुविधा न होने की वजह से उसने आगे की पढ़ाई औरंगाबाद रहकर ही जारी रखी मगर मनीष का घर हर तरह से संपन्न होने की वजह से वह आगे की पढ़ाई के लिए … Read more

जीत महत्वाकांक्षा की – डॉ प्रिया गुप्ता : Moral Stories in Hindi

मां…… मां…. ! मैं आ गई। कहते हुए वामिका पसीने से लथपथ घर में घुसी।               मां दौड़ते हुए दरवाजे की तरफ भागी।अरे बेटा कहां थी?मैं तो बहुत चिंतित हो रही थी। वामिका ने कहा टैक्सी नहीं मिल रही थी। इसीलिए आने में देर हो गई।  मां बोली…चल जल्दी अंदर चल और पानी पी ले।       वामिका … Read more

“आत्मसम्मान की ठेस” – डा० विजय लक्ष्मी : Moral Stories in Hindi

“कब तक इसे झेलती रहोगी, राधा ?” कितना तुमसे कहा था पर तुमने सुना नहीं और करो अपने मन की देखो तुम्हारी बहन गीता कितने राजसी ठाठ बाट से रह रही है ।  कितना पैसा जेवर ,कपड़े, कोठी कार किस चीज की कमी है? राधा को हेय नजरों से देखते हुए बोलीं मानो वह उनकी … Read more

तिरस्कार कब तक – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

सुमेधा सुबह सुबह अपने घर पहुंच गयी थी ।रात भर की सफर से थक कर चूर हो गई थी ।घर में कुछ सामान तो पहले से था लेकिन दूध लाना पड़ेगा।चाय पीने की आदत है तो जुगाड़ करने के लिए जुट गयी ।बगल में ही गाय का खटाल था।जाकर दूध लाना है ।दूध लाकर चाय … Read more

अब तो पड़ गई ना कलेजे में ठंडक – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

आधी रात को सुरेश जी की तबियत बिगड़ी,सीने में दर्द,घबराहट,बेचैनी,रुकती सासें! उन्होंने बहुत कोशिश कर पास लेटी सुधा को बड़ी मुश्किल सेआवाज दी ! जब तक सुधा समझती कि आखिर हुआ क्या?सुरेश जी उसे और अपने दस साल के बेटे मयंक और आठ साल की बेटी नैना को बेसहारा छोड़कर इस दुनिया से चले गए!  … Read more

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