सास को नहीं मां को समझने की ज़रूरत है – गीतू महाजन :  Moral Stories in Hindi

“क्या, तूने भी आज परांठे खाएं हैं..पर तू तो कभी नाश्ते में परांठे खाती नहीं..हमेशा ओट्स यां सैंडविच खाती है तो फिर आज परांठे क्यों?अरे,अपनी सास को बोल देती ना”, रश्मि जी फोन पर अपनी बेटी से बात कर रही थी।उनकी यह बातें उनके पास बैठी उनकी बड़ी बहन नंदिता जी सुन रही थी। रश्मि … Read more

सन्नाटा – प्रतिमा श्रीवास्तव :  Moral Stories in Hindi

चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था ऐसा लग रहा था की सांसों की आवाज भी कान को भेद रहीं हैं।मजाल है की किसी के मुंह से एक भी शब्द फूटे। आखिर क्या हुआ था सुरेश जी के साथ।जिस अवस्था में उनकी लाश मिली थी। कहां थे परिवार के लोग और कोई साथ क्यों नहीं था … Read more

मान भंग – शुभ्रा बैनर्जी :  Moral Stories in Hindi

प्रत्येक शनिवार, घर के निकट बने शनिमंदिर में कुछ असहाय वृद्ध,कुछ चलने में लाचार,कुछ दृष्टि विहीन पुरुष और महिला सुबह से ही कतार बद्ध होकर बैठ जाते।शनि मंदिर में श्रद्धालुओं का आना निश्चित होता था।हर श्रद्धालु अपनी क्षमता के अनुरूप भगवान के नाम से इन्हें खाने-पीने की सामग्री,पैसे और भी दान दिया करते।रमा नियमित तो … Read more

बहू औरते उड़द दाल के लड्डू नहीं खा सकती – स्वाती जैंन :  Moral Stories in Hindi

यह क्या प्रिया , तुम नहाने से पहले रसोई में घुस गई , तुम्हें कितनी बार बताना पड़ेगा औरतों को नहाने से पहले रसोई में नहीं आना चाहिए चंचला जी चिल्लाकर बोली !! प्रिया जो कि जल्दी जल्दी पति राहुल और देवर अनिश के लिए पराठे बना रही थी , चंचला जी की कड़कती आवाज … Read more

 यह सब तो मेकअप और हाई हील का कमाल है – स्वाती जैंन :  Moral Stories in Hindi

यह क्या अंजली  तेरी बहू पुनम शादी में तो ठीक – ठाक लग रही थी , आज तो बहुत सिंपल और सादी लग रही हैं , नैना अपनी सहेली अंजली से बोली !! अंजली जी बोली हां नैना , सब हाई हिल्स और मेकअप का कमाल था , जो हम लोगो ने करवाया था मगर … Read more

ज़िन्दगी अब जिंदगी नहीं रही – शिव कुमारी शुक्ला

 योगेश जी एक मैथ्स अध्यापक थे राजकीय विद्यालय में। अपने आप में मस्त मौला, अपनी ही धुन में रहने वाले। यूं तो उनके पास बी एस सी ,बी एड की डिग्रीयां थीं किन्तु वे रहन सहन, बोलने बात करने से ऐसे लगते जैसे कोई दिमाग से उतरा हुआ हो।लोग पीठ पीछे उन्हें जाहिल,गंवार कहते। कुछ … Read more

राज को राज रहने दो – डॉ बीना कुण्डलिया :

आज रेखा सवेरे सवेरे जल्दी उठ गई उसको बाजार जाना था बहुत सामान जो खरीदना उठकर बिस्तर में बैठे बैठे सोचने लगी जल्दी से घर के काम निपटा सीधे बाजार की तरफ निकल जाऊंगी दरअसल उसे आज ही शाम की ट्रेन से अपने मायके के लिए निकलना था। राखी का त्यौहार जो था साल में … Read more

राखी का रिफंड और मीठी खटास का बंधन –  डॉ० मनीषा भारद्वाज :  Moral Stories in Hindi

राखी की सुबह थी। सूरज की किरणें खिड़की से झांक रही थीं, मानो चांदी के धागों को सुनहरे रंग में रंगने आई हों। लेकिन मिष्टू के कमरे का माहौल उतना उज्ज्वल नहीं था। दस वर्षीया मिष्टू, जिसके चेहरे पर आमतौर पर चावल के दाने जैसी मासूम मुस्कान खिली रहती थी, आज बिल्कुल बादलों से घिरे … Read more

ये बंधन सिर्फ कच्चे धागे का नहीं है

पूरा बाजार रंग बिरंगी राखियों से भरा पड़ा था ।आज सपना बच्चों की बच्चों के लिए राखी खरीदने बाजार गई थी। वहां एक सुंदर सी राखी देखकर उसको हाथ में उठा कर देखने लगी। कितनी सुंदर राखी है ना ,काश ? में भी अपने भाई की कलाई पर यह राखी बांध पाती पर कितनी मजबूर … Read more

सूरत या सीरत – विमला गुगलानी :  Moral Stories in Hindi

   “ अरे जाहन्वी, लगता है तुम्हारे ब्लाक में जो एक खाली फ्लैट था, वहां कोई आ गया है, चलो अच्छा है, रौनक बढ़ेगी” नमिता ने फोन पर कहा।   “ हां, एक औरत दिखी तो थी कल सब्जी वाले ढ़ेले पर, देखने में तो बिल्कुल जाहिल, गंवार सी लग रही थी, पता नहीं कितनी देर सब्जी … Read more

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