आत्मग्लानि – गरिमा चौधरी 

कमला जी हमेशा से अपने परिवार की धुरी थीं—तीन बेटों की माँ, घर-आँगन की मालकिन, और मोहल्ले में सभी के सुख-दुख की साझेदार। घर में उनकी बात पत्थर की लकीर मानी जाती थी। लेकिन बीते दो सालों से उनके चेहरे की कोमलता में एक खिंचाव आ गया था। कारण सिर्फ एक—बहू मालिनी को संतान का … Read more

अदालत का अनोखा फैसला – एम. पी. सिंह 

आनंद ने एक हाथ से डोर बेल बजाई, दूसरे हाथ मै मिठाई का डिब्बा और नज़रे नेम प्लेट पर टिकी थी, जहाँ लिखा था ” रिटायरड जज ठाकुर अरविन्द सिंह”. जज साब ने दरवाजा खोला, और आनंद को सामने खड़ा देखकर बोले, मैंने तुम्हे पहचाना नहीं? आनंद ने आगे बढ़कर पाँव छुए और बोला, मै … Read more

मेरा साथी – एम. पी. सिंह 

वरिष्ठ नागरिक होने का सम्मान अधिकांश लोगों को नसीब नहीं होता, और जिन्हे नसीब होता है, उनके लिए भी चुनौतीयों भरा होता है. मैं आपको अपनी कहानी बताता हूँ.  मैं 70+ का एक रिटायर ऑफिसर हूँ, हॉस्टल के दिनों मैं मैंने एक टाइम पीस (घड़ी) लिया था, जो एलार्म बजाकर मेरे प्रत्येक इम्पोर्टेन्ट कार्य की … Read more

मेहमान – एम. पी. सिंह 

मेहमान  बहु, आज खाने मे कुछ अच्छा बना लेना, तेरेे गांव वाले आ रहे है, फोन आया था. माँ जी की बात सुनकर दीपिका बहुत ख़ुश हुई, पर खाना बनाने से जी चुराने वाली, सोच मे पड़ गई, कि कौन आ रहा है, पूछने की हिम्मत नहीं हुई. अमोल और दीपिका की शादी हुए अभी … Read more

अमीरी – खुशी

मधु तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी थी।पिता एक छोटी सी साड़ी की दुकान पर काम करते थे।मां घर में ब्लाउज सिलती पीको फॉल का काम करती। मधु कॉलेज के दूसरे वर्ष में थी वहां कॉलेज के एनुअल फंक्शन में रतिराम जी आएं थे जिनका कारखाना था समाज के प्रतिष्ठित लोगों में उनकी गिनती थी। … Read more

आजादी की चाह या बड़ो की सीख !! – स्वाती जैंन

इस घर में मुझे कभी शांती मिलेगी या नहीं , रोज रोज तुम सास- बहु का क्लेश सुनकर कान गर्म हो गए हैं मेरे , मानव अपना ऑफिस का बैग पटकते हुए बोला , ऑफिस से थककर घर आता हुं और यहां तुम दोनों की किचकिच सुनने को मिलती हैं ! मानव के पिता राजेश … Read more

अनोखा बंधन – पूजा अरोड़ा

बारात बड़ी धूमधाम से निकली थी, सब लोग बहुत मस्ती कर रहे थे, घोड़ी पर बैठा वेद बहुत खुश था, खुश होता भी क्यूँ ना आखिर एक लंबी लड़ाई जीतकर तो इस खुशी को प्राप्त करने में सफल हुआ था | सबसे अधिक खुशी उसे अपनी दादी को देखकर हो रही थी जो धीमी गति … Read more

इन आंखों में ही जिंदा है मेरा बेटा – डॉ बीना कुण्डलिया 

देख नहीं सकती, अरे अंधी है क्या ?  जाने कैसे कैसे लोग सड़क पर उतर आते हैं ?  तेज रफ्तार फराटे दार भागती गाड़ी में से गर्दन निकाल उस नवयुवक के बोल सुनकर उसकी गाड़ी के धक्के से नीचे गिरी कंचन ने खुद को तो बहुत ही मुश्किल से संभाला ।  कंचन बड़बड़ाई मैं तो … Read more

संतुलन – एम. पी. सिंह 

अशोक और आशा कि शादी को ज्यादा दिन भी नहीं हुए थे कि ननद भाभी मैं शीत युद्ध शुरू हो गया. ननद कोमल वैसे तो भाभी कि हमउम्र और पड़ी लिखी थी, पर माँ और भाई का आशा कि प्रति प्यार सहन नहीं हो रहा था. कोमल रोज़ शाम को भाई से भाभी कि शिकायत … Read more

बड़ी बहू – गरिमा चौधरी 

सुबह के आठ ही बजे थे, पर शर्मा हाउस की रसोई में पूरा युद्ध–सा माहौल था। गैस पर चाय चढ़ी थी, दूसरे बर्नर पर दूध उबलने को था, तवे पर पराठा सिक रहा था और बीच में घिरी खड़ी थी काव्या – घर की बड़ी बहू। तभी पीछे से तीखी आवाज़ आई –“भाभी! कितनी बार … Read more

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