आत्मग्लानि – गरिमा चौधरी
कमला जी हमेशा से अपने परिवार की धुरी थीं—तीन बेटों की माँ, घर-आँगन की मालकिन, और मोहल्ले में सभी के सुख-दुख की साझेदार। घर में उनकी बात पत्थर की लकीर मानी जाती थी। लेकिन बीते दो सालों से उनके चेहरे की कोमलता में एक खिंचाव आ गया था। कारण सिर्फ एक—बहू मालिनी को संतान का … Read more