बुरी बहू कैसे बनी? – रोनिता कुंडु  : Moral Stories in Hindi

अरे नैना बेटा! कैसी हो? सब्जियां लेने आई हो? आज तुम्हारी सास को नहीं भेजा? उनकी तबीयत तो ठीक है ना? नैना के मोहल्ले में ही रहने वाली अर्चना जी ने कहा  नैना: हां काकी, मम्मी जी बिल्कुल ठीक है और वह मंदिर गई है, इसलिए मैं सब्जी लेने आई हूं।  अर्चना जी:  बेटा! तुम … Read more

हमारे लिए संस्कारों में कोई कमी रह गई – मंजू ओमर: Moral Stories in Hindi

तुमने अपने बड़े भाई और भाभी का बहुत अपमान किया गौरव, तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था बेटा।घर आए मेहमान का इतना बड़ा निरादर कैसे किया तुमने। ऐसे संस्कार तो न दिए थे हमने तुम दोनों को और गौरव चुप था कुछ बोल न रहा था। फिर गौरव के पापा विनोद जी ने डांटा कुछ … Read more

भूला वादा – शालिनी दीक्षित : Moral Stories in Hindi

‘क्या आपने मेरा टिकट करा दिया………?’ प्रिया ने विशाल से फोन पर पूछा। ‘नहीं अभी नहीं कराया है; अभी तो काफी दिन है मैं कर दूँगा, आज बहुत बिजी था।’ विशाल ने जवाब दिया। ‘प्लीज आप जल्दी कर दीजिए वरना टिकट नहीं मिलेगा।’ प्रिया ने फोन रखने से पहले एक बार फिर से कहा। फोन … Read more

आशीर्वाद – रेनू अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

बड़ी बहू यानी जेठानी की तबीयत कुछ अधिक ही ख़राब हुई तो छ: साल पुरानी देवरानी ने बहुत सेवा की ।घर का हर काम सँभाल  लिया और जेठानी को पूरा आराम दिया । जेठानी को हैरानी थी कि कभी मुझ से ठीक से बात ना करने वाली , घर के काम में मदद ना करने … Read more

इत्ती सी परवाह (भाग -2) – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

बेटा पापा को फोन किया था तुमने हाल चाल लेते रहना मुझसे तो बात ही नहीं करते हैं जाने इस उमर में कौन सी क्लास ज्वाइन किए है ….शिमली दोपहर से बहुत उद्विग्न थी। मां पापा एकदम मजे में है रिनी के घर में । जीजाजी बहुत ख्याल कर रहे हैं उनका आप क्यों चिंता … Read more

घर में जगह – रश्मि प्रकाश  : Moral Stories in Hindi

“ आपको जो भी बोलना है सबके सामने बोलो…. सबको जानना ज़रूरी है आख़िर हम भी इस घर का हिस्सा है…. सबकी तरह हमारे भी हक है।” राशि आज चुप रहने के मूड में ज़रा भी नहीं लग रही थी निकुंज मिन्नतें कर कर के थक गया था पर उसकी आवाज़ तेज हुई जा रही … Read more

Top Ten Shorts Story in Hindi – हिन्दी लघुकथा

अपनेपन की महक – सुमन लता ” सुमन “ भूल रही सब रिश्ते- नाते, कैसी दुनिया दारी,  सुख सुविधा ने अपने पन की, महक छीन ली सारी । अपना घर अपनी माटी को, तज कर जाना पड़ता उस पल मानव का मन बेबस, होकर खुद से लड़ता,  जब आशाएँ पूरी होती, जाते सब बलिहारी,  सुख … Read more

Top Ten Shorts Story in Hindi – हिन्दी लघुकथा

अपनेपन की महक – परमा दत्त झा आज बहू ने चाय के साथ बिस्कुट और नमकीन भी दिया था।वे खुशी से झूम उठे कारण इतने प्यार से बहू ने आज तक नहीं दिया था।वे एक बार देखे और चाय पीने लगे। बहू सही रहे, परिवार देखें, और हमें क्या चाहिए। मगर यह असर रात की … Read more

अपमान बना वरदान – अर्चना झा : Moral Stories in Hindi

सुबह से मूसलाधार बारिश हो रही थी रात के  भोजन का वक्त हो चला था निशा ने अपनी मां से कहा कि मैं जाकर रोटियां सेक लेती हूं आज खाना जल्दी खा लेंगे क्योंकि मौसम भी ठीक नहीं है यह कहते हुए निशा किचन की तरफ मुड़ी ही थी कि दरवाजे की घंटी बजी, निशा … Read more

अभी इतना भी बूढ़े नहीं हुए हैं कि बच्चों की उंगली पकड़कर चलें – अलका शर्मा : Moral Stories in Hindi

” पता नहीं मम्मी पापा को तो यहां आना इतना रास आ गया है कि यही बस गये है। सोचा था कि आठ दस दिन रहकर वापस अपने घर आगरा चले जाएंगे परंतु जाने का तो नाम ही नहीं ले रहें हैं।यार आजादी बिल्कुल खत्म हो गई है।” फोन पर अपनी सहेली से बात करती … Read more

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