काश मैं कमजोर न पड़ती – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi
गरिमा शाम को अपनी छत पर बैठी शून्य में कुछ ख़ोज रही थी, गरिमा हर शाम छत पर आकर बैठ जाती वो कभी आसमान पर उड़ते पक्षियों को देखती कभी चलते हुए बादलों को कभी वो शून्य में कुछ खोजती जैसे उसका कुछ खो गया हो और वो उसे दोबारा पाना चाहती हो पर जो … Read more