क्या सारी जिम्मेदारी बहुओं की ही होती है?

सीता देवी के घर में आज फिर वही बहस छिड़ी हुई थी। आँगन में खड़ी तुलसी के पास बैठी, वो तेज़ स्वर में बोलीं—“देखो, अब घर की जिम्मेदारी तो बहू की ही होती है, हमने भी पूरी उम्र घर संभाला है।” उनकी बड़ी बहू अर्चना रसोई से निकलकर बोली—“माँजी ! मैं भी तो सब करती … Read more

ईश्वर की माया, कहीं धूप, कहीं छाया!

धूप और छाया”—बस यही तो ज़िंदगी का दूसरा नाम है। ईश्वर की माया भी कुछ ऐसी ही है—जहाँ किसी के जीवन में उजाला है, वहीं किसी के हिस्से में अँधेरा आता है।  राजगढ़ गाँव में हरि और मोहन दो भाई थे। पिता के निधन के पश्चात दोनों के जीवन की दिशा ही बदल गई। हरि … Read more

सोने के कंगन

रति ने बचपन में, अधिकतर अपने आसपास सोने से लधी अपने परिवार की महिलाओं को दिखा , उन्हें देखकर रति को भी लगता था कि वह भी एक दिन इसी तरह सोने के जेवर पहनकर किसी महारानी की तरह लगेगी। इतिहास के पन्नों में भी उसने देखा, पुराने समय में रानी -महारानी सोने जेवरों से … Read more

घर का बोझ – शनाया अहम

अक्सर हम लड़कियों को कभी न कभी बोझ समझा जाता है, कभी कभी ही क्या कुछ घरों में तो हमेशा ही बोझ समझा जाता है अहमियत दी जाती है तो उस घर के बेटों को, बेटियाँ तो बोझ समझे जाने के बोझ तले ही दबी रही हैं।  ऐसी ही एक लड़की थी दिया,,, उसका नाम … Read more

रिश्तों की मिठास – ममता भारद्वाज

मालती और उसके पति मोहित ने अपना एक छोटा सा प्यार भरा आशियाना बनाया हुआ था ।घर छोटा था पर खुशी और प्यार से परिपूर्ण।मालती के पति मोहित एक छोटे से कारखाने में बहुत ही साधारण सी नौकरी करते थे।मालती भी एक लिफाफे बनाने के छोटे से कारखाने में काम करती थी। वह यह कार्य … Read more

जमा पूंजी – गीता वाधवानी

 बसंत आज बहुत उदास था। उसकी पत्नी कंचन ने पूछा, पर बसंत ने कुछ नहीं बताया। कंचन को लगा कि कुछ दिनों बाद उनकी बिटिया रिद्धि का विवाह है। वह ससुराल चली जाएगी, शायद यही सोचकर उदास हो गए हैं, रिद्धि का एक छोटा भाई सचिन भी था।        यह परिवार एक मध्यम वर्गीय परिवार से … Read more

कंगन की हकदार

सुषमा का फोन बज रहा था ,इतनी रात गए किसका फोन होगा? सोचते हुए उसने उठाया!  राधा उसकी देवरानी का फोन था। “हेलो दीदि अम्मा जी की हालत बिल्कुल ठीक नहीं है, आप सबको बहुत याद कर रही है ।डॉक्टर ने जवाब दे दिया है। पता नहीं एक-दो दिन– -कहते-कहते राधा की आवाज रूंध गई।  … Read more

सात तोले के कँगन – संगीता त्रिपाठी 

 “माँ मुझे प्लाट खरीदने के लिये पैसे कम पड़ रहे, पापा से तो मांगने पर वे देंगे नहीं, आप ही कुछ मदद कर दो, मैं आपका ये पैसा जल्दी ही वापस कर दूंगा “बड़े बेटे तुषार ने माँ नंदा देवी से गुहार लगाई तो माँ का दिल पसीज गया,उन्होंने अपनी बचत के पैसे, जो छोटी … Read more

पुत्री मोह

नीना का ससुराल लोकल ही था सो जब मन में आए मायके आ धमकतीऔर साधिकार अपनी फरमाइशें मम्मी मनीषा जी के सामने रखती। बेटी के मोह में वे उसकी सारी इच्छाएं पूरी करतीं। अपने ससुराल में वह ना तो ढंग से काम करती और ना ही उसका व्यवहार अन्य सदस्यों से सौहार्दपूर्ण था।बस अपनी मनमानी … Read more

लेना देना तो प्रकृति का नियम है

बधाई हो सेठानी,पोता हुआ है इसबार पैसो से काम नहीं चलेगा, सोने का हार लुंगी।आज सेठ रामदयाल जी के यहाँ पोता का बधाई गाने किन्नर समाज के लोग आए थे और इस ख़ुशी के अवसर तरह तरह के नेग न्योछावर की माँग कर रहे थे। सेठानी नें कहा दूंगी,क्यों नहीं दूंगी? भगवान की दया से … Read more

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