अभिमान – खुशी

प्रमिला एक बेटे नरेंन  की मां थी उसके पिता गल्फ में नौ करी करते थे। तो उसके पास अनाप-शनाप पैसा था। जिसे वह जैसे चाहे खर्च करती । क्योंकि उसके पति तीन-चार साल। में  घर आता पर महीने में अच्छा पैसा भेजता।जिससे प्रमिला और नरेन  बहुत घमंडी हो गए थे उस पर सोने पर सुहागा … Read more

इतना अभिमान ठीक नहीं – आराधना श्रीवास्तव

शैलजा बस 19 वर्ष की थी जब रमैया की दुल्हन बनकर आई थी । रमैया सीधा-साधा ग्रामीण अंचल में पला- बढा प्रकृति को ही अपना इष्ट देव मानता और खेतों में लहलहाते  फसलों को अन्नदाता ।  जी तोड़ मेहनत करता।  मेहनत तो उसके रंग रंग में बसा था खेती -बाड़ी तथा बीजों का ज्ञान उसे … Read more

इतना अभिमान सही नहीं। – मधु वशिष्ठ

   माधवी बेहद सुंदर पढ़ी-लिखी और और संपन्न परिवार की लड़की थी। अभी उसने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। आजकल लड़कों के लिए लड़की ढूंढना भी इतना सरल काम नहीं है। अच्छी लड़की और अच्छा परिवार देख कर बहुत से रिश्ते भी स्वत: ही आने लगते हैं। ऐसे ही माधवी के लिए बहुत से … Read more

परिवार साथ खाए तो अच्छा लगता है – आरती कुशवाहा

सुबह के पाँच बज रहे थे। रसोई में हल्की-हल्की खटर-पटर की आवाज़ आ रही थी। गैस पर चढ़ी चाय उफान मारने को थी और स्नेहा जल्दी-जल्दी उसे उतारने की कोशिश कर रही थी। आज भी उसने अलार्म बजने से पहले ही आँख खोल ली थी। आदत बन चुकी थी—घर के उठने से पहले उठ जाना, … Read more

विदाई का आँसू – शालिनी तिवारी 

स्टेशन पर गाड़ी के आने की घोषणा होते ही अनन्या का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। प्लेटफ़ॉर्म पर खड़ी भीड़, सामान से भरे ट्रॉली बैग, बच्चों की किलकारियाँ और चायवाले की आवाज़—सब कुछ जैसे अचानक बहुत दूर चला गया हो। वह अपने हाथ में पकड़े टिकट को बार-बार देख रही थी, मानो उस पर लिखा … Read more

मेरी पत्नी मेरी जिंदगी है, और मेरी माँ मेरी जड़। – गरिमा चौधरी

  रसोई में गैस जल रही थी, मसालों की खुशबू फैल रही थी, शारदा देवी ने आँखों पर चढ़े चश्मे को थोड़ा ऊपर किया, फिर धीमे से कमर पकड़कर खड़ी हुईं। घुटने में दर्द था, पर आज दर्द की छुट्टी नहीं थी। आज उनके बेटे सिद्धार्थ का जन्मदिन था। और सिद्धार्थ… बचपन से एक ही चीज़ … Read more

बहू हो, तो थोड़ा मेहमानदारी भी सीखो। – दिव्या सक्सेना

“रीवा, आज तुम ऑफिस से जल्दी आ जाना… मेरे भाई-भाभी आ रहे हैं।”किचन में चाय का पैन चढ़ाते हुए विशाल ने ऐसे कहा जैसे बारिश की सूचना दे रहा हो—सामान्य, निर्विकार। रीवा ने प्लेटों में फल रखते हुए गर्दन घुमा कर देखा। “आज? तुम्हें कल याद आया? और तुमने मुझे अभी बताया?” “अरे बस… अचानक … Read more

आंखों का पानी ढलना – सीमा सिंघी

इन दो सालों में राधे और बंसी दोनों भाइयों के बीच बहुत कुछ बदल चुका था। वजह थी एक जमीन का टुकड़ा। जिसे पिता हरि प्रसाद ने दोनों भाइयों में बराबर बराबर बांट दिया था। छोटे भाई बंसी को इससे कोई परेशानी न थी, परेशानी थी तो बस राधे को, उसे यही लगने लगा की … Read more

हर बात के लिए बहु ही दोषी क्यों – कमलेश आहूजा

ठंडी हवाएं चल रहीं थीं पर बारिश थम चुकी थी।रोहन जिद पर अड़ा हुआ था कि मॉल जाना है।रिया बोली -“ऐसा क्या जरूरी काम है?जो बारिश के मौसम में मॉल जाना है,तो मुस्कुराते हुए रोहन बोला-“क्या बताऊँ यार,मैंने दो दिन पहले मूवी के टिकिट बुक कराए थे ये सोचकर कि इस संडे शाम को मॉल … Read more

शहर के नामी बिजनेस – विनीता सिंह

 मैन मोहन हर समय एक शहर से दूसरे काम के सिलसिले में जाते रहते। उन दो बच्चे उनकी पूरी देखभाल उनकी पत्नी मालती जी करती थी ।लेकिन समय के साथ सब कुछ बदल गया। लेकिन मोहन की दिनचर्या उसी प्रकार की थी। बच्चे बड़े हो गए वह दोनों भी अपनी पढ़ाई और सोशल मीडिया में … Read more

error: Content is protected !!