आप अपने बेटे के साथ क्यों नहीं रहते – सुधा जैन : Moral stories in hindi

“अरे यह क्या दिन भर सास बहू वाली कहानियां पढ़ती रहती हो, दूसरा कुछ पढ़ा करो “ पतिदेव ने अपनी पत्नी से कहा, तब पत्नी मुस्कुरा कर बोली ” यह इतनी जगत व्यापी, सर्वव्यापी समस्या है कि न वर्तमान में ,न भूत मे न भविष्य में इस समस्या का हल नजर आता है ….करें भी … Read more

” सुसाइड नोट “- डॉ. सुनील शर्मा : Moral stories in hindi

न जाने क्यों, अब जीने की इच्छा ही नहीं रही. बूढ़े शरीर में दिमाग़ भी अब सुस्त हो गया है. आंखों की रोशनी और जीभ का स्वाद तो कब का चला गया.पेट में कुछ पचता नहीं. दांत भी एक एक कर साथ छोड़ गए. नहीं नहीं, कुछ बीमारी नहीं. बस थकान रहती है, चलने सा … Read more

झूठे दिखावे से जिंदगी नहीं चलती – आर. एस. कुमार : Moral Stories in Hindi

लंदन की चकाचौंध का बखान करते हुए जब बबलू हर शाम हाथ में दारू की गिलास लेकर बगल में बैठे अपने बहनोई को गरियाता है , उसकी बड़ी बहन खून के आंसू रोती है। अपने बहन बहनोई को भारत के गांव से लेकर आया बबलू डिंग हांकने में कोई कमी नहीं करता है। जबकि सच्चाई … Read more

“अम्मा का कमरा”

रीना किचन में बर्तन समेट ही रही थी कि अचानक फोन की घंटी बजी।फोन उठाया तो गाँव से बड़े चाचा थे— “बिटिया, अम्मा अब बहुत बूढ़ी हो गई हैं। आँखों से कम दिखता है, घुटनों में दर्द है। अब अकेले रहना मुश्किल हो गया है। तुम लोग दिल्ली में हो, किसी के पास तो होना … Read more

माँ बिना पीहर नहीं, सासू बिना ससुराल नहीं

घर के आँगन में रौनक थी। आज सुषमा की ननद, किरण अपने मायके आई थी। पूरे दो साल बाद उसकी यह मायके यात्रा हुई थी। जैसे ही वह घर में दाखिल हुई, सुषमा दौड़कर उससे लिपट गई। “आइए दीदी, बहुत दिनों से आप नहीं आईं। हम सब आपको बहुत याद कर रहे थे। शायद पूरे … Read more

झूठे दिखावे से जिंदगी नहीं चलती है – रेखा सक्सेना : Moral Stories in Hindi

रितिका बड़े उद्योगपति की बेटी थी। उसका जीवन महँगी कारों, आलीशान घर और शानदार पार्टियों से भरा था। कॉलेज में उसकी मुलाकात ऋषि से हुई, जो एक साधारण परिवार का ईमानदार और संस्कारी युवक था। ऋषि की सादगी ने रितिका का दिल जीत लिया। धीरे-धीरे दोस्ती प्रेम में बदली और एक दिन रितिका ने अपने … Read more

गृह प्रवेश

सोफे पर बैग पटकते हुए मीना धम्म से बैठ गई।सर भी भारी लग रहा था। इतने में मम्मी (पूनम जी) भी पानी लेकर आ गईं। “क्या हुआ मीना बेटा, बड़ी थकी-थकी सी लग रही हो। तबीयत तो ठीक है ना?” “हाँ, बस थोड़ा सर भारी है… ज़रा अपने हाथों से दबा दो ना।” कहते हुए … Read more

“कौन अपना, कौन पराया”

गिरीजा देवी का चेहरा उस दिन कुछ खास चमक रहा था। वजह थी – उनके सबसे बड़े बेटे नरेश की सरकारी नौकरी से रिटायरमेंट पार्टी।पार्टी बड़े होटल में रखी गई थी, पूरा परिवार सजधज कर पहुँचा था। गिरीजा देवी का छोटा बेटा महेश, उसकी पत्नी दीपा, और बेटी  प्रिया – सब व्यस्त थे मेहमानों को … Read more

आशीर्वाद

“बाबूजी, खाना रख दिया है, खा लीजिए।”रीना, महेश जी के पलंग के पास पड़ी मेज़ पर थाली रखते हुए बोली। “बहु, पता नहीं क्यों आज खाना खाने का मन नहीं कर रहा है। दोपहर का खाना लग रहा है कि जैसे अभी पेट में रखा हो। न हो तो एक गिलास दूध दे दो, खाना … Read more

माँ का कर्ज

“बेटा, क्या तूने सचमुच घर जमाई बनने की ठान ली है?” “हाँ माँ, इसके अलावा कोई चारा नहीं है। अब कंपनी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है, इसलिए कंपनी बंद कर दी गई है और कंपनी में काम करने वाले हम सब बेरोज़गार हो गए हैं। भला हो कि पारुल के मायके वालों ने अपनी … Read more

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