एक मुँह दो बात – के कामेश्वरी : लघुकथा

रमा को देखने के लिए चाचा और भाई आए थे । उसकी सास शशि उनको देखते ही प्यार से बिठाया और अंदर की तरफ मुँह करके बोली रमा बेटा रसोई में जहाँ का काम वहीं छोड़कर आ जा तुम्हारे चाचा और भाई आए हैं । अब मैं आपको क्या बताऊँ बहुत ज़िद्दी है हम में … Read more

सेर पर सवा सेर – लतिका पल्लवी :  Moral Stories in Hindi

माँ आज रात के खाने में क्या बनाऊ? जो तुम्हारा मन करे वह बना लो बहू।इतनी छोटी बात के लिए मुझसे क्या पूछना है।ठीक है माँ तो आलू पराठा और प्याज़ का रायता बना ले रही हूँ। ठीक है माँ जी? जाती हूँ तैयारी करने, आलू कुकर में उबलने को रख देती हूँ। फिर चाय … Read more

बड़ी बहू – डाॅ उर्मिला सिन्हा :  Moral Stories in Hindi

सूरज की ऊंचाइयों में तृप्ति का आनंद है तो नियति के गहन टेढ़ी-मेढ़ी कंदराओं में भटकते भी देर नहीं लगती।समय बड़ा बलवान… परिस्थितियां एक सी नहीं रहती।    माही इस घर की बड़ी बहू बनकर आई थी। भरा-पूरा संयुक्त परिवार था। दादा-दादी, चाचा-चाची, बुआ फुफा उनके बाल-बच्चे और खुद के दो छोटी ननदें और एक देवर। … Read more

प्राईवेसी भी जरूरी है – विमला गुगलानी :  Moral Stories in Hindi

       सुरूचि की शादी तय हो चुकी थी,वैसे तो  एंकाश से उसकी अरैंज मैरिज थी, लेकिन शादी से पहले वो तीन चार बार मिलकर आपस में कई बातें कर चुके थे। दोनों की उम्र ही परिपक्व ,तीस से ऊपर थी, एक दूसरे के परिवार के बारे में , उनकी पंसद, नापंसद को अच्छे से जानने की … Read more

इंतजार की ठंडी रात -ज्योति आहूजा :  Moral Stories in Hindi

कुछ लोगों की आदत होती है मस्करी करने की, किसी पर व्यंग्य कसने की, झूठ मूठ की बातें करने की और मज़ाक उड़ाने की। ऐसा ही एक परिवार था, जिसमें साठ बरस की औरत जानकी देवी अपने बेटे आनंद , बहू सुनीता और पोते–पोती के साथ रहती थी। उनके पूरे घर का यही मिज़ाज था—बात … Read more

प्यार और तुमसे – अर्चना सिंह :  Moral Stories in Hindi

धनाभाव में पली – बढ़ी हुई थी मैं , लेकिन ईश्वर ने रूप देने में भी कटौती कर दी थी । एक तो रंग साँवला, हाइट कम और नाक भी चपटी । पर पढ़ने में अच्छी थी शायद इस वजह से भी लोग मुझसे दोस्ती करते थे । जिस दिन ग्रेजुएशन का आखिरी पेपर था … Read more

ससुराल वाले बड़ी बहू को इंसान क्यों नहीं समझते – सरिता कुमार 

एक गांव में बड़े प्रतिष्ठित शिक्षक का घर है । बहुत बड़ा सा घर , बड़ा दरवाजा , घर के आगे बड़ा सा ओसारा, अंदर बड़ा सा आंगन और पीछे बड़ा दालान जहां दर्जनों अनाजों की कोठियां बनाई हुई है । सभी कोठियों में गेहूं , धान , अरहर , मूंग , सरसों और तोड़ी … Read more

बहू ने ना बोलना सीख लिया

कल शाम से ही जया जी की नजरें अपनी बहू रुची के चेहरे के पर ही रह रह कर दौड़ रही थी। क्योंकि जब से उनकी बहू रुची पड़ोस में रहने वाली अपनी सहेली नीति के यहां जाकर आई थी। तब से ही उसका मन उखड़ा उखड़ा लग रहा था। जया जी का बार-बार मन … Read more

रक्षाबंधन का वचन -शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

भागवंती और भगवान दास एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे।बड़ा भाई,भगवान दास अपनी बहन भागो को कंधे पर बिठाए घुमाए फिरता था पूरा गली-मोहल्ला।घर से किसी भी काम के लिए निकले,बहन भागो पहले से तैयार रहती। मां जानकी जी तंग आकर कहतीं कभी-कभी “क्यों रे,तू तो बड़ा है।ऊंट की तरह हो गया है,समझ अभी … Read more

घमंड – शुभ्रा मिश्रा : Moral Stories in Hindi 

अरे! सविता जी कहाँ रह रही है आजकल आप? दिखाई ही नहीं दे रही है।जब से बेटे के यहाँ से आई हूँ आप दिखाई ही नहीं दी। बाजार में सविता जी को देखकर पुष्पा जी नें उन्हें पुकारा।कहाँ रहूंगी घर पर ही हूँ,सविता जी नें एकदम फीकी अभिव्यक्ति दी।हाँ जी अब तो घर पर ही … Read more

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