मर्म – गीतांजलि गुप्ता
किशु की बहू का दरवाजे पर स्वागत करते समय सीमा बहुत ख़ुश लग रही थी उस की आँखें इस की गवाह थीं चमक जो रहीं थीं पैंतीस वर्ष पहले वो इसी दरवाज़े पर दुल्हन बनी खड़ी थी और आज उसकी बहू खड़ी है। बहू अपने नाम के अनुरूप ही सुंदर व प्यारी थी उसके माता … Read more