रिश्ते – डा. नरेंद्र शुक्ल

पूरे सात वर्षों के बाद मनोहर अपने गॉंव चाचा के पास जा रहा था । चाचा नेे उसे जरूरी काम से बुलाया है । क्या काम हो सकता है ? चाचा ठीक तो है ? उसके मन में कई प्रशन उभर रहे थे । उसके चाचा इस धरती पर उसके लिये भगवान द्वारा भेजे हुये … Read more

डेस्टिनी – मधु मिश्रा

“मम्मी! 16 ता. को हमारे नये घर की प्रतिष्ठा है, पूजा में आप ज़ल्दी आ जाना न.. वैसे तो निखिल भी फ़ोन करेंगे आपको… कब आओगी आप कन्फर्म हो जायेगा तो बताना, मैं रिजर्वेशन करवा दूंगी…इस बार , दो चार दिनों की छुट्टी एक्स्ट्रा लेकर आना न मम्मी .. मैं साथ रहना चाहती हूँ आपके… … Read more

 अनजान मंजिल – बालेश्वर गुप्ता

 अरे रमा तुझे क्या हुआ ,सुबह तक तो ठीक थी?      कुछ नही ललिया, हॉस्पिटल तक गयी थी,सब ठीक हो गया है।     क्या ठीक हो गया है? मुझे वो ही हो गया है, जो झुमरी को हुआ है, मुझे भी एक ग्राहक मिल गया है, ललिया, डॉक्टर साहब  पूरे दो लाख रुपये दिला देंगे,और नौ महीने … Read more

शायद – बेला पुनिवाला

रवि ने ज़ोर से आवाज़ लगाई, ” मेरी फाइल कहाँ है ? जो मैंने परसो रात को अपने टेबल पे रखी थी, जो आज नहीं मिल रही। “     मैं अपना सब काम छोड़ के रवि के पास दौड़ी और रवि को कहाँ, कि ” आप बस दो मिनिट रुकिए मैं अभी अलमारी में से ढूँढ … Read more

कुंडली – संजय मृदुल

गणेशी को अस्पताल में आज आठ दिन हो गए। सब परेशान है क्या होगा। डॉक्टर भी कुछ साफ-साफ नही बता रहे हैं। सब रिश्तेदार मुकुल को कोस रहे हैं कि उसके कारण गणेशी का ये हाल हुआ है। क्या जरूरत थी उसे अपनी पसन्द से शादी करने की, वो भी दूसरी जाति की लड़की। परिवार … Read more

एक रिश्ता – डाॅ. संजु झा

मयंक के बिना  एक वर्ष का समय ऊषा के  लिए पहाड़ समान  बीता ।मयंक को गुजरे हुए एक वर्ष  हो गया,परन्तु एक दिन भी ऐसा नहीं बीता कि  उसने मयंक की याद में आँसू न बहाए हों।जिन्दगी की यथार्थ परिस्थितियों से सामना करते-करते दुख की बदली उसके मन के आकाश पर जमती  चली गईं।  आज … Read more

एयर होस्टेस से एक प्यारा सा रिश्ता – सुषमा यादव

मैं पेरिस जाने के लिए बहुत उत्साहित थी, आखिर बेटी के पास जा रही थी,नन्हा सा नाती और तीन वर्षीय नातिन को देखने की बहुत ललक थी,सो इतनी जल्दी पहुंच गई एयरपोर्ट पर कि बोर्डिंग में मैं अकेली ही बैठी थी। चूंकि व्हील चेयर पर थी अतः सबसे पहले मेरा काम हो गया था। जब … Read more

पड़ोसी-धर्म – विभा गुप्ता

  ” अरे सुनो, डी-44 में चहल-पहल सुनाई दे रही है,लगता है कोई आया है।” मियाँजी का चेहरा गुलाब-सा खिला हुआ था।ऐसा पहली बार तो हुआ है नहीं।पिछले पच्चीस बरस में पतिदेव के बाल सफ़ेद हो गये,तोंद निकल आई, चेहरे की चिकनाहट भी लुप्त हो गई लेकिन नहीं कुछ बदला है, तो वह है उनका स्वभाव।नई … Read more

परित्यक्ता

हरिद्वार के शांतिकुंज आश्रम में एक बड़े से चीड़ के पेड़ के नीचे बनी बेन्च पर माधवी बैठी थी। वह अपनी सासू माँ नर्मदा के पुराने गठिया, दमा व स्नोफीलिया के उपचार के लिए यहाँ नारायण बाबा की शरण में आयी थी। आज तीसरा दिन है। प्रकृति की गोद में बनी हज़ारों झोपड़ियों में से … Read more

अनमोल रिश्ता – आरती झा आद्या

नौ बज गए मम्मी.. ओह आज तो मैं देर हो गई मम्मी… सब इंतजार कर रहे होंगे… निदा दूध और बिस्किट के पैकेट उठाती बोल रही थी। कोई इंतजार नहीं कर रहा होगा। क्या सनक सवार है इस लड़की पर। ऐसे कोई काम कहो तो कान में तेल डालकर बैठी रहती है…बड़बड़ाती निदा की मां … Read more

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