आखिरी रक्षाबंधन – माधुरी राठौड़ | family story in hindi

बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी! एक दिन कॉलेज से घर लौटी तो देखा सभी लोगों के चेहरे उतरे पड़े हैं! मेरी लाख पूछने पर भी मेरी मां ने मुझे कुछ नहीं कहा..इसकी भी एक वजह थी क्योंकि बचपन से ही मुझे हृदय की बीमारी थी मेरी हर छोटी मोटी … Read more

 गलती – गुरविंदर टूटेजा

 जोरो-शोरों से रिया की शादी की रस्में चल रही बहुत सुंदर लग रही थी आज विदाई का समय भी आ गया था पापा-मम्मी व भैया-भाभी सबकी बहुत लाडली थी सबका बहुत बुरा हाल था…यहाँ तक कि भतीजा-भतीजी की भी बुआ में जान बसती थी…रिया उन दोनों से गले लगकर भी बहुत रोई…वो विदा होकर ससुराल … Read more

सफलता का शॉर्टकट – रश्मि सिंह

पंकज-आज मैं ये “बिज़नेस मैन ऑफ़ द ईयर” का अवार्ड पाकर बेहद खुश हूँ, अपनी ख़ुशी को शब्दों में बयान नहीं कर सकता, पर ये सब आप लोगो की वजह से हुआ है। इससे ज़्यादा मैं कुछ कह नहीं पाऊँगा। धन्यवाद। पंकज के स्टेज से उतरते ही सब पंकज पंकज चिल्लाते हुए उसके पीछे चल … Read more

पछतावा – अनामिका मिश्रा 

सलोनी सांवली सी सीधी-सादी घरेलू लड़की थी। उसके माता-पिता चाहते थे,उसकी शादी हो जाए, पर कोई उसे पसंद ही नहीं करता था।  सलोनी एक प्राइवेट कंपनी में काम करने लगी। वहां सौरभ नाम का एक लड़का भी काम करता था, अच्छा इंसान था वह। उसकी दोस्ती सलोनी से हो गई। पर सलोनी उसे मन ही … Read more

दिल और दौलत – मंगला श्रीवास्तव

वृद्धाश्रम के एक कमरे में लेटी हुई सुधा देवी बुखार से तप रही थी उपर से सर्दी और जानलेवा खांसी उनको चैन नहीं लेने दे रही थी l उनके साथ ही उनके कमरे में रह रही जानकी उनको सम्भाल रही थी l बहुत ही ज्यादा बैचेनी होने पर सुधा देवी बोली “जानकी लगता है अब … Read more

नसीहत –  शिप्पी नारंग | Moral Story In Hindi

सुबह के दस बजे थे कि दरवाज़े की घंटी बजी। प्रमिला जी ने  चाय का कप रखा और दरवाज़े की तरफ बड़ी। रमेशजी भी तब तक अख़बार हाथ में लिए उठ खड़े हुए। प्रमिला जी ने हाथ से इशारा कर दिया कि “मैं जा रही हूं” दरवाज़े की तरफ चल दी। दरवाज़ा खोलते ही जो … Read more

कर्मफल – कमलेश राणा : family story in hindi

बचपन में सभी बच्चे गुड्डे गुड़िया का खेल खेलते हैं और उसमें मम्मी पापा भी जरूर बनते हैं शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने बचपन में गृहस्थ बनने की इस नकल का आनंद न लिया हो यह अनुभूति इतनी प्यारी होती है कि आज भी याद करके चेहरे पर बरबस मुस्कान आ ही जाती है।  … Read more

क्या तुम बर्दाश्त कर लेते – बीना शर्मा

“मेरी मम्मी भी तो आपकी मम्मी जैसी  है यदि मैं भी तुमसे तुम्हारी मम्मी के बारे में ऐसा ही कह देती तो जब वे बीमार हुई थी यदि उस वक्त में आपकी बात मानने से इंकार कर दे देती तब क्या तुम बर्दाश्त कर लेते? सोच लो आज आपकी ना सुनकर मुझे बेहद दुख हो … Read more

नई माँ – पूजा गुप्ता | Real Life Story In Hindi

ग्रीष्म ऋतु की शाम वैसे भी विरक्त और तन्हा और अकेली होती है, लेकिन उस शाम प्रचंड लू के थपेड़ों ने छह बजे के बाद भी शाम को काफी गर्म और उजाड़ बना रखा था। बिना कारण के खिड़की के पास में खड़ा अक्षय दूर थके हारे डूबते सूरज को निहार रहा था। उसने कभी … Read more

पछतावा – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

” कहां हो सुधा?” अमन का फोन है लो बात कर लो” सुधा को हाथ में मोबाइल देते हुए रमेश जी ने कहा ।सुधा सिंक में बर्तन साफ कर रही थी। बेटे का  नाम सुनते ही जल्दी से पल्लू में हाथ पोछा और लपक कर पति के हाथ से मोबाइल ले लिया। “हाँ बेटा बोल … Read more

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