रुक्मिणी –  वीणा सिंह : moral stories in hindi

रुक्मिणी अपनी बेटी सुमन और उसके दोनो बच्चों के साथ मुझसे मिलने आई थी.. देखो भाभीजी सुमनी और उसके दोनो बाल गोपाल को.. मांग में दप दप सिंदूर की गहरी रेखा माथे पर बड़ी सी बिंदी लाल चूड़ियों से भरी कलाई और चेहरे पर खुशी शर्म और बेफिक्री के भाव सब मिलाकर सुमन बहुत सुंदर … Read more

नौटंकी वाली- पिंकी नारंग

अगर उसका बस चलता तो वो कभी इस बेदिल शहर मे वापिस नहीं आती |कहने को तो बनारस उसका अपना था, पर ये अपनापन तो बरसो पहले किसी ने उससे छीन लिया था |तभी तो वो इस शहर को पराया करके, अपनी यादो तक को यहाँ छोड़ कर दिल्ली बस गयी थी | पर जब … Read more

    साँवली हूँ तो क्या… – विभा गुप्ता 

   ” छोटी भाभी, समझाइये अपनी बेटी को।इसे रेडियो-वेडियो में तो कोई काम मिलने से रहा।मेरी रश्मि की बात कुछ और है।हमारी रश्मि तो सुंदरता की मूरत है और उसके पापा के पास धन की भी कमी नहीं है पर आपकी ज्योति तो साँवली है और फिर कोर्स की फ़ीस के लिये मोटी रकम भी चाहिये … Read more

उसे नाज़ कहते हैं, घमंड नहीं – रोनिता कुंडू

 क्या हुआ..? इतने परेशान क्यों लग रहे हैं..?  रानी ने अपने पति राकेश से कहा…  राकेश:   क्या करोगी तुम सुनकर..? कौन सा तुम मेरा कर्ज चुका दोगी…?  रानी: कितने चुकाने है…?  राकेश:   जाओ और अपना काम करो…! माना कि मेरी हालत अभी ठीक नहीं है… पर तुम्हारी भी इतनी कमाई नहीं है कि … Read more

अभिमान जरूरी या अपनों का प्यार ..!! – अंजना ठाकुर 

पापा ये आपके लिए स्मार्ट मोबाइल लाया हूं इसमें आप बहुत कुछ देख सकते हो नीरज अपने पापा बिपिन को मोबाइल देते हुए खुश था उसे लगा पापा खुश हो जायेंगे अपनी पहली कमाई से पापा के लिए मोबाइल लाया था विपिन जी खुश होने की बजाय गुस्सा होते हुए बोले मुझे छोटा महसूस कराना … Read more

खोखली होती जड़ें -लतिका श्रीवास्तव

आज संगम लाल के घर पार्टी में चलना है टाइम से तैयार हो जाना साथ में चलेंगे…दिवाकर ने जैसे ही कहा रत्नेश ने तुरंत मना कर दिया “अरे नही आज शाम को तो मैं कहीं नहीं जा सकता दोपहर में मेरा बेटा अजीत आ रहा है तीन सालों के बाद आ रहा है उसकी पढ़ाई … Read more

पहली पोस्टिंग – कंचन श्रीवास्तव : hindi kahani

सुनों अम्मा ने आज सफेद वाली रोटी और सफेद वाला भात बनाया है लगता है कोई मेहमान आने वाला है वो भी खास,वरना वो कहां ऐसे भोजन बनाती है,पर कौन ये पता नहीं और हां सुनों आज दाल भी बनी है। कहते कहते चिंकी का मुंह लटक गया,जिसे पास बैठी रानी से समझ गई ,पर … Read more

समय का पहिया – आरती झा

माँ.. मैं नहीं जाऊँगी ससुराल अब.. पहली बार विदाई के बाद ससुराल से आई सुहाना की जेठानी की बेटी मालिनी की बात सुनकर सब अवाक रह गए। जेठ जी तो कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे.. मानो वज्रपात हुआ हो उन पर।  पर क्यूँ.. जेठानी ने ही पूछा।  क्यूँ जाऊँ मैं.. वहाँ सब कुछ … Read more

नहले पर दहला – अनुराधा श्रीवास्तव ” अंतरा “

देवकी एक ग्रामीण साधारण महिला थी जिसके दो बेटे थे । पति बहुत पहले ही गुजर चुके थे। उसके दोनों ही पुत्र शहर में रहकर अच्छी नौकरी करते थे। भरा पूरा परिवार था, अच्छी खासी गृहस्ती बसा ली थी दोनों ने लेकिन बस एक कमी थी देवकी के दोनों बेटों में छत्तीस का आंकड़ा था।  … Read more

मैं घमंडी नहीं

अतुल और ज्योति दोनों अस्पताल के कोरिडोर में एक दूसरे का हाथ पकड़े बेंच पर डॉक्टर के इंतज़ार में बैठे हुए थे । दोनों के बीच चुप्पी थी। बीच बीच में दोनों एक दूसरे को अश्रु भरे हुए नैनों से देख लेते थे।  उसी समय अटेंडर ने कहा कि डॉक्टर आपको बुला रहीं हैं । … Read more

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