आठ पाप

एक बार की बात है महात्मा गौतम बुद्ध अपने भिक्षुओं के साथ नगर नगर भ्रमण कर रहे थे. भ्रमण के दौरान ही महात्मा गौतम बुद्ध ने देखा कि एक महिला एक मटका ली हुई थी और साथ में कुछ प्यालिया ली हुई थी और ज़ोर से आवाज लगा रही थी ले लो, ले लो, ‘पाप’  ले लो। महात्मा गौतम बुद्ध वही रुक गए और महिला से पूछा ये क्या बेच रही हो भला ‘पाप’ कोई क्यों खरीदेगा।

महिला ने महात्मा बुद्ध को जवाब दिया हां महाराज सभी लोग इस  ‘पाप’ को खरीदते हैं और इस घड़े में एक ‘पाप’ नहीं बल्कि 8 ‘पाप’  हैं । मैं तो चिल्ला कर कहती हूं कि मैं ‘पाप’ बेचती हूं और लोग पैसे देकर ही भी यह  ‘पाप’ खरीद ले जाते हैं। अब महात्मा गौतम बुद्ध को बहुत ही आश्चर्य हुआ और उन्होंने बोला यह कैसी बात है लोग पैसा देकर  ‘पाप’ खरीदते हैं। महात्मा गौतम बुद्ध ने महिला से फिर पूछा अच्छा यह बताओ कि इसमें आठ ‘पाप’ कौन-कौन से हैं।



महिला ने 8   ‘पाप’ का नाम गिना दिया:-  क्रोध ,बुद्धिनाश , यश का नाश , स्त्री एवं बच्चों के, साथ, अत्याचार और अन्याय , चोरी , असत्य आदि दुराचार , पुण्य का नाश , और स्वास्थ्य का नाश … ऐसे आठ प्रकार के पाप इस घड़े में है | “

महात्मा बुद्ध ने महिला से पूछा कि आप पहेली बुझाना बंद करो और साफ-साफ बताओ कि इस मटकी में है क्या?  महिला ने जवाब दिया महाराज इसमें शराब है शराब।

महात्मा बुद्ध अब इस बात को समझ गए थे।  सच में मित्रों अगर आप सिर्फ एक शराब पीते हैं तो आप ऊपर दिए गए आठों  ‘पाप’  एक साथ कर जाते हैं इसलिए आप से निवेदन है कि कृपया शराब पीना बंद करें और दूसरों को भी पीने से रोके।

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