बरसात की एक रात – सोनल मंजू श्री ओमर

   रात के तीन-चार बज रहे होंगे। राहुल स्टेशन पर खड़ा है, अपने बैग्स के साथ। बारिश हो रही है और बहुत तेज हवा चल रही है। लगता है जैसे तूफान आने वाला है। राहुल ठिठुर सा रहा है, उसे ठंड लग रही है। राहुल आवाज लगाता है…. कोई है!…कोई है!

पर उसे कोई नही दिखता है। पूरा स्टेशन खाली पड़ा है। अचानक वो नोटिस करता है कि उसके पीछे कुछ दूरी पर कोई शख्स है। जिसने एक कम्बल ओढ़ रखा है। वो शख्स भी तूफान के कारण ठिठुर रहा है। उसके ठिठुरने की आवाज राहुल तक आ रही है।

ठंड में राहुल को सिगरेट पीने की तलब लगी तभी उसने एक सिगरेट निकाल के मुँह में दबायी और माचिस ढूँढने लगा। लगभग अपनी सारी जेब तलाशने के बाद राहुल ने उस शख्स को आवाज दी….’अरे ओ चाचा!….माचिस है क्या?….अरे ओ चाचा!….मर गए या ज़िंदा हो? राहुल ने थोड़ी मस्ती में पूछा।

इतने में ही अचानक से एक बहुत जोर का हवा का झोंका आया और उस शख्स के चेहरे से कम्बल को उड़ा गया। उस कम्बल के अंदर से चाँद निकला। जैसे बादल की घनघोर घटाएं हटने के बाद आसमान में चाँद निकाल आता है बिल्कुल वैसे ही। उस चाँद से चेहरे को देखते ही राहुल मानो जैसे कहीं गुम हो गया हो। उसके मुँह मे दबी सिगरेट भी छूट गई। राहुल ने जैसे पहले कभी इतना खूबसूरत चेहरा नहीं देखा हो। अब राहुल को अफसोस हो रहा था कि उसने उसे अनजाने में क्या-क्या बोल दिया,

उससे सिगरेट के बारे में भी पूछ रहा था और भी न जाने कितना कुछ कह दिया। दूसरे ही पल राहुल ने खुद को संभाला। राहुल उस लड़की के करीब गया और उससे पूछा…मेरी बातों के लिए मुझे माफ़ करियेगा। क्या आप ठीक हैं? और भी बहुत कुछ वह बोलता रहा पर वह लड़की कुछ नहीं बोली! वह चुप रहकर देखती रहती है।

कुछ पलों बाद राहुल कहता है… आप बोलती भी हो या नहीं?? बताइये मैं आपके लिए क्या कर दूँ? मैं….आपके लिए कुछ भी कर सकता हूँ। आप कहें तो आपके लिए चाँद तारे भी तोड़ लाऊँ!…आप कहें तो’….ऐसा ही कुछ मस्ती में बोल ही रहा था कि उस लड़की ने हौले से कपकपाते होठो से कहा…’चाय!’



मिश्री से भी मीठी आवाज को सुनकर राहुल को लगा जैसे किसी कटोरे में मोती गिर पड़े हो। वो खनक और इस लड़की की आवाज बिल्कुल एक-सी है। राहुल को लगा जैसे ये खनक उसकी जिंदगी की खनक है।

राहुल एकदम बावला सा हो गया, उसने कहा…’नहीं-नहीं तुम रुको! मैं चाय लेकर के आता हूँ। ठीक है..! तुम यहाँ से कहीं नहीं जाओगी! अगर तुम यहाँ से गई तो समझ लेना मैंने इस बैग में बम रखा है। मैं बूम कर के तुमको उड़ा दूँगा! हिलना मत!’ कहकर एक ठहाका लगाया और चायवाले की तलाश में दौड़ पड़ा।

राहुल अपना दिल दे बैठा है। वह उससे बहुत सारी बातें करना चाहता है। इसे अपने जीवन की सबसे बेहतरीन प्रेम कहानी बनाना चाहता है। वह दौड़ते हुए चाय वाले को तलाश कर रहा है। स्टेशन के बाहर उसे कुछ दूरी पर एक टपरी नज़र आती है। वह दौड़ के उस तरफ जाता है। चायवाला सो चुका है। राहुल चाय वाले को उठता है…. “अरे चाचा…उठो…उठो…जल्दी..जल्दी..जल्दी से चाय बनाओ…चाय बनाओ।

चायवाला उसे मना कर देता है कि…”नहीं! इस समय कुछ नहीं हो सकता।”

राहुल चायवाले को बहुत मनाता है कि…”प्यार का मामला है। प्लीज चाय बना दो। अच्छी सी चाय, प्यारी सी चाय, मलाई वाली, अदरक वाली, इलाइची वाली कैसी भी बना दो, पर बना दो प्लीज। मैं आपके बिस्किट भी ले लूँगा बोलकर लालच भी देता है। ताकि ज्यादा धंधा होने की लालच में वो एक अच्छी-सी चाय बना दे।

चायवाला मान जाता है। वह चाय चढ़ता है। वो स्टोव की लौ को बढ़ाता है। चाय बन ही रही होती है कि जैसे वो स्टोव की लौ बढ़ी थी वैसे ही ट्रेन की सीटी ने आवाज दे दी…!




राहुल को लगा जैसे ये ट्रेन की सीटी नहीं किसी ने उसके दिल पर दस्तक दी हो और कह रहा हो कि…”तू यहाँ चाय बनाने में व्यस्त हैं पर तेरी चायवाली तो तुझसे दूर जा रही है!”

वो भागता है। चाय के दो काँच वाले ग्लास लेकर वो भागता है… भागता है… भागता है…! बारिश हो रही….बारिश हो रही… वो भागता है… वो भागता है..! और अचानक से जब स्टेशन के अंदर प्लेटफार्म पर पहुँचता है तो देखता है कि वो लड़की तो ट्रेन में बैठी है, और ट्रेन चल चुकी है!!

राहुल ऐसे ही चाय के दो ग्लास हाथ में लेकर बेबस सा उसे सामने ट्रेन में देखता है और बोलता है…”ओए!”

तभी लड़की की नज़र राहुल पर पड़ती है और उन दोनों के बीच तीन-चार सेकंड की आँखों के जरिये ही बात होती है। और ट्रेन निकल जाती है!!!

चाय भी वहीं, वो ग्लास भी वहीं, राहुल भी वहीं, और वो प्यार भरी प्रेम कहानी भी वहीं स्टेशन पर रह जाती है। तभी राहुल के मुँह से निकल पड़ता है…”ये तो दुनिया की सबसे छोटी प्रेम कहानी थी!”

कहाँ राहुल तो सिर्फ एक माचिस की ख्वाहिश में था पर उसे क्या पता था कि उसे उसके दिल मे आग लगाने वाली ज़िंदगी मिल जाएगी।

#बरसात

 

– सोनल मंजू श्री ओमर

कानपुर, उत्तर प्रदेश

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