रिटायरमेटं के समारोह के बाद जब अवधेश जी पत्नी के साथ घर आए तो , पड़ोस मे रहने वाले जगदीश जी और उनकी पत्नी अवधेश जी को बधाई देने आए ,और 1 शाल उढाकर रामायण ग्रंथ उनके हाथों में देकर बोले ,अवधेश जी अब तो बहुत काम कर लिया अब आराम से जिंदगी बसर किजिए और जो कछ भी जीवन में छूट गया है ,कर नहीं पाए हैं वो सब करिए। कुछ करने की ख्वाहिश जो अधूरी रह गई हो उम्र के हिसाब से संभव हो तो वो सब करिए।हरि गुण गान करिए, प्रभु की भक्ति करिए और बेटों के पास आते जाते रहे , पत्नी के साथ सुकून से रहिए ,और हां एक बात और अपना ये घर कभी मत छोड़िएगा नहीं तो बहुत पछताएंगे।एक बात और कहना चाहता हूं अपना सबकुछ अभी से बच्चों को मत सौंप दिजीएगा। खाली हाथ न हो जाइएगा ये ध्यान रखियेगा नहीं तो बहुत बुरी स्थिति हो जाएगी। मेरी ये बात गांठ बांध कर रख लिजिएगा । बाकी आप खुद ही समझदार है दुनिया देखी है आपने भी और हमने भी ।
इतना सुनते ही ममता जी आंखों में आंसू आ गए ।अरे आप रो क्यों रही है भाभी जी ,इतने साल काम किया है इन्होंने अब रिटायर हो गए कुछ काम के नहीं रह गए सोचकर बुरा लग रहा है।जगदीश जी की पत्नी बोलीं भाभी जी ईश्वर ने सबकुछ नियोजित कर रखा है । और सरकार ने काम करने की एक उम्र तय कर रखी है नहीं तो इंसान उम्र भर गधे की तरह काम ही करता रहे। इंसान जब सारी उम्र काम ही करता रहेगा तो उस ईश्वर को कब याद करेगा। इसलिए तो रिटायर मेट होता है कि सब चिंताएं फिक्र छोड़कर कुछ ईश्वर की भक्ति करो ।घर में समय बिताओ।जो कुछ जीवन में नहीं कर पाए वो करें ,और सुख चैन से जिंदगी बसर करे बस। इतना सबकुछ कहकर जगदीश जी सपत्नीक वहां से चले गए।
अवधेश जी की तीन बच्चें थे दो बेटे और एक बेटी सभी के शादी व्याह करकें अवधेश जी निश्चित हो गए थे ।पर एक चिंता थी बेटे ढंग से पढ़-लिख न पाए थे। जिसमें बड़ा बेटा तो हाथ पैर मारकर किसी तरह सैटिल हो गया था लेकिन छोटे के पास अभी तक ढंग की नौकरी न थी। किसी ऐन जिओ में काम करता था । अब एन जिओ से क्या ही पैसा मिलता होगा । पत्नी भी किसी छोटे से स्कूल में टीचर थी ।और एक दो साल का बेटा था। अवधेश जी के बेटा सौरभ के शौक भी बड़े हाई फाई थे जिसको पूरा करने के लिए पापा से पैसों की मांग करता रहता था। अवधेश जी दे तो देते थे लेकिन आगे सबकुछ ठीक कैसे होगा ये समझ नहीं आता था।घर पर बेटे और उसकी पत्नी में अक्सर खटर पटर होती रहती थी। हालांकि वो दोनों बेटा बहू रहते अलग शहर में थे क्योंकि बहू सास के साथ रहना नहीं चाहती थी।
ऐसे हुआ एक दिन सौरभ ने एन जिओ की नौकरी छोड़कर पत्नी और बेटे को लेकर घर आ गया मम्मी पापा के पास। कहने लगा हमने नौकरी छोड़ दी ,छोड़ दी या नौकरी से निकाल दिया गया कुछ पता नहीं।अब सौरभ पापा से कहने लगा हम लोग यही रहेंगे और आप पैसा लगाकर मुझे कोई बिजनेस करवा दो। पापा ने कहा इतना पैसा कहां है मेरे पास बिजनेस कराने के लिए। क्यों अभी रिटायर मेट के बाद इतना पैसा तो मिला है उसका क्या। पापा बोले पढ़ाई तुमने ढंग से की नहीं जो काम कर रहे थे उसे भी छोड़कर आ गए । सबकुछ मेरे भरोसे पर ,तो क्या हो गया आपको जो पैसा मिला है हम लोगों का ही तो है क्या करोगे उसका । हां मिला है जो कुछ पैसा तो लोन तो चुका रहा हूं इतने साल से , इतना बड़ा तीन मंजिला मकान बनवा डाला तुम लोगों ने । मुझे तो बस ऊपर दो कमरे बनवाने थे कि तुम लोग आओ तो रूकने की व्यवस्था हो ।पर नहीं तुमने और बड़े गौरव ने कितना खर्चा करवा दिया मेरा ।मना करता रहा फिर भी पुराना तुड़वा कर सब नया करवाते जा रहे थे और ये भी कहा था कि पैसा लोन ले लो हम लोग भी दे देंगे थोड़ा थोड़ा ।पर नहीं किसी ने भी आजतक एक पैसा नहीं दिया।और पच्चीस लाख का लोन मैं अभी तक चुका रहा हूं । तुमसे तो क्या ही उम्मीद करता बड़े ने भी कुछ नहीं दिया नही, नहीं मैं अब पैसा नहीं लगा सकता मुझे अपने लिए भी तो कुछ रखना है कि नहीं।
अब बेटा बहू मां बाप के सिर के ऊपर आकर बैठ गए थे। अखिलेश जी दिनभर घर पर रहते थे।बहू का रवैया सास ससुर के प्रति अच्छा नहीं था । क्या कर सकते हैं शादी की से तो रखना ही पड़ेगा ।बहू कहती रहती जाने कैसे मां बाप है अपने बेटे के लिए ही नहीं खर्च कर सकते पता नहीं क्या करेंगे पैसा रख कर।
फिर पत्नी ममता जी ने समझाया अवधेश जी को देखो जी यहां हर पर हमारे बैठी रहेगी बहू और दिनरात ताने मारती रहेगी । नौकरी नहीं है तो कुछ तो काम करवाना ही पड़ेगा। लगा दो कुछ पैसे ठिकाने तो लगे। क्या बात कर रही हो ममता कुछ पैसों से बिजनेस थोड़े ही होता है बहुत पैसा लगाना पड़ता है। फिर किसी तरह तय हुआ कि कम्प्यूटर सेंटर खोला जाएगा जिसमें दस लाख अवधेश जी देंगे और बाकी जो भी लगैगा वो पैसे सौरभ लोन से उठाएगा और वही भरेगा भी ।याद है तुम्हें न ममता जगदीश जी क्या कह कर गए थे वैसे भी जमाना बड़ा खराब है।
पच्चीस लाख लगाकर कम्प्यूटर सेंटर खोला गया । जिसमें दस लाख अखिलेश जी ने लगाए और पंद्रह लाख बैंक से लोन लिया गया घर के पेपर रखकर ।अब बड़े बेटे को खलबली मचाने लगी कि कहीं सारा पैसा पापा छोटे को ही न दे दे।एक बहाने से वो भी घर आया बोला पापा फ्लैट खरीदना है पैसे की जरूरत है तो आप दो कुछ पैसे ।अरे अभी तो सौरभ को दिया है अब तुम भी ।तो क्या बस उसी को दोगे क्या मुझे भी तो चाहिए।अब हिसाब किताब बराबर करना था अखिलेश जी को ।तो दस लाख गौरव को भी देकर हिसाब बराबर कर दिया ।और बोला अब नहीं है मेरे पास पैसे अब जो कुछ थोड़ा बहुत है अपने लिए नहीं रखूंगा क्या । मुझे जरूरत पड़ गई तो कहां से लाऊंगा।
इत्तेफाक से सौरभ का कम्प्यूटर सेंटर खुल गया और चल निकला । लेकिन वो लोन की किस्त भरने की कोई बात न करता।इधर घर में बहू की ममता जी से रोज खटपट होने लगी।और एक दिन बहू ने सौरभ से बोल दिया मुझे तुम्हारे मम्मी पापा के साथ नहीं रहना अलग से किराए का मकान देखो। दोनों बहू बेटा किराए के मकान में चले गए।अब बैंक के लोन की किस्त भरने के नोटिस अखिलेश जी के पास आने लगे ।फोन नं उठाने पर बैंक वाले घर तक आने लगे ।अब जब सौरभ से कहा अखिलेश जी ने कि किस्त क्यों नहीं भरते तो सौरभ कहने लगा पापा आपके पास पैसा तो है आप ही भर दो ।घर के पेपर रखकर लोन लिया था तो नौटिस भी अखिलेश जी के पास आ रहा था आखिर में किस्त अखिलेश जी को ही भरना पड़ रहा है।
इस बीच ममता जी को हृदय संबंधी कुछ दिक्कतें आ गई। उनकी तबीयत खराब हो गई । डाक्टर ने दिल्ली ले जाने की सलाह दी ।बड़ा बेटा बहू दिल्ली में रहते थे। दिल्ली ले गए ममता जी का आपरेशन हुआ । ब्लाकेज वगैरह दूर की गई। वहां पर बेटा बहू ढंग से व्यवहार नहीं कर रहे थे । खिंचे खिंचे से थे वहां पंद्रह दिन रूककर फिर से दिखाना था । लेकिन बहू बेटा कोई तवज्जो नहीं दे रहे थे । ऐसे ही रात को ममता जी बाथरूम जाने को उठी तो बहू बेटे से बात कर रही थी ।सारा पैसा तो देवर जी को दिए जा रही है और बीमार हो गई तो सेवा कराने को यहां आ गई ।
सुबह ममता जी ने बहू से पूछा लिया क्या तुम लोगों का हमलोगों का आना अच्छा नहीं लग रहा है क्या ढंग से बात भी नहीं कर रहे हो। क्या है मम्मी जी पैसा रूपया तो सब आप लोग देवर जी को दिए जा रहे हैं ।अब उनका लोन भी चुका रहे हैं और सेवा कराने को हमारे पास आ गए । छोटी बहू से सेवा कराने न। सुनकर ममता जी की आंख भर आई क्या पैसा ही सबकुछ है क्या बेटा, मां बाप कुछ नहीं। तुम्हें भी तो दिया है दस लाख । वहीं तो मम्मी जी जो कुछ है पापा जी के पास बराबर-बराबर बांट दो किस्सा खत्म। किसी को कम तो किसी को ज्यादा का झंझट ही खत्म । बांट दूं तुम लोगों को सबकुछ , अपनी जिंदगी भर की कमाई अखिलेश जी बोले। अभी तो मेरे पास थोड़ा पैसा है पेंशन है तब तुम लोग इस तरह से व्यवहार कर रहे हो ,जब खाली हाथ हो जाएंगे तब क्या होगा ।
ममता परसों पंद्रह दिन हो जाएंगे , डाक्टर को दिखाकर घर चलो अपने । औलादें सिर्फ पैसे की भूखी है।ये क्या हमारी सेवा करेंगे । वहीं पर नौकर चाकर लगाकर सेवा करवा लेना। आजकल समय ऐसा ही चल रहा है।इनकी गलती नहीं है वक्त ही ऐसा आ गया है । बच्चों को मां बाप का पैसा तो चाहिए लेकिन मां बाप नहीं।
दोस्तों अगर रिटायर हो गए हैं तो भावुकता में बहकर सबकुछ अपने बच्चों में न बांट दें । नहीं तो कटोरा लैकर आपको सड़क पर बैठना पड़ेगा और नहीं तो वृद्धाश्रम का रूख करना पड़ेगा ।आज की यही नियति है । इसलिए समझदारी से काम लें । अपने जीते-जी सबकुछ बच्चों को न सौंपे ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश