भरत जी आज बहुत खुश थे .. बेटे जय की नौकरी जो लग गई थी… लाखों का पैकेज था.. अपने दोस्तों को मिठाई खिला रहे थे….
दोस्त शाम- “भरत, अब तो बेटा कमाने वाला हो गया है .. आगे का क्या प्लान है। ”
भरत- “कुछ खास नहीं यार .. बस अब रिटायर्मेंट ले लूँगा… बाकी की जिंदगी आराम से पत्नी और बच्चों के साथ बिताउंगा।”
सभी दोस्त– “बढ़िया है यार .. तेरी तो ऐश हो जाएगी …
…
पहली तनख्वाह मिलने पर जय माँ-बाबा को महंगे होटल में लेकर जाता है ..
जय-” पापा आज तक आप बिल देते आए है… आज से आपका बेटा बिल देगा।”
भरत जी का सीना चौड़ा हो गया… मन ही मन सोचने लगे… हर बाप की ख्वाहिश होती है कि उसका बेटा अपने पैरों पर खड़ा हो जाए।
खुश हो कर बोले-” बिल्कुल बेटा, आज से बिल तुम ही देना। “
जय- ” पापा आपने बहुत काम कर लिया .. अब आप रिटायर्मेंट लेलो .. अब से सब खर्चे आपका ये बेटा देख लेगा ।”
भरत .. “बेटा, मैं भी यही सोच रहा हूँ …एक बार तुम सेटल हो जाओ … फिर मैं रिटायर होकर अपने परिवार.. अपने नाती पोतों के साथ वक़्त बिताउंगा।”
जय शरमाते हुए- “बिल्कुल पापा।”
सुधा … “जी अभी आप रिटायर्मेंट मत लेना… बहू आने दो…. क्या पता कैसी आएगी…
दूसरा कल ख़र्चे भी बढेगे…. और
सबसे बड़ी बात …घर बैठ कर क्या करोगे .. खाली मन शैतान का घर … मुझे और मेरी बहु को तंग ही करोगे।”
बाप बेटा हसमने लगते है …
जिंदगी अच्छे से चल रहीं थीं … जय का रिश्ता भी तय हो गया…. भरत ने जय की शादी के कुछ महीनों बाद रिटायर्मेंट का फैसला भी सुना दिया था…सब बढ़िया चल रहा था…..
अचानक ..
एक दिन .. ..
ऑफिस जाते वक़्त जय का एक्सीडेंट हो जाता है …सुधा और भरत अस्पताल पहुंचते है ..
बेटे को बिस्तर पर पाइपों से बंधा देख …सुधा के तो आंसू रुक ही नहीं रहे थे …भरत तो जैसे बुत्त बन जाते है …
खबर सुन जय की मंगेतर और उसके परिवार वाले भी आ गए।
डॉ- “देखिए.. खून बहुत बह चुका है … अभी एक सर्जरी होगी..उसके बाद ही बता सकते है कि आगे क्या होगा . ….
आप पैसे जमा करवा दीजिए..
भरत … हाँ में गर्दन हिलाते हुए…
2 हफ्ते यही सिलसिला चलता है .. जय की 2-3 सर्जरी होती है ..
मंगेतर और उसके परिवार का आना भी बंद हो जाता है।
आज 25 दिन बाद जय को छुट्टी मिल रहीं थीं …
जय जिंदा लाश सा व्हीलचेयर पर था .. अफसोस वो खुद से कुछ नहीं कर सकता था .. अब हर वक़्त उसे 1 सहायक की ज़रूरत पड़ती थी …
माँ बाप भरे मन से उसे घर ले जा रहे थे …
हमारे साथ ऐसा होगा उन्होंने कभी ना सोचा था…
घर आने के बाद जय को बिस्तर पर लिटा … भरत हिसाब किताब देखने लगे।
सुधा से बोले …
“सुधा मैंने अपने रिटायर्मेंट के पेपर वापिस ले लिए है ..
ब्लकि अब ओवर टाइम के लिए भी बोल दिया है…
अगले महीने से शुरू हो जाएगा… . तुम जय का ध्यान रखना… पैसे का मैं देख लुंगा ।”
सुधा – “रोते हुए.. कहां तुम रिटायर होने की बाते कर रहे थे… कहां तुम्हें अब ओवर टाइम करना पड रहा है ..
तुम ऐसा करो.. मेरे गहने बेच दो.. जरूरत पडी तो ये घर भी बेच देगे … इस उम्र में ओवर टाइम नहीं होगा आपसे।”
भरत- “सुधा तुम साथ हो… तो सब हो जाएगा और देखना ..
हमारा बच्चा पहले की तरह ठीक हो जाएगा .. तुम घबराना नहीं .. मैं हूं ना।”
दोनों मिल कर जय को संभालने लगे ..
भरत बाहर का काम देखने लगा.. सुधा जय को देखती..
डॉ. के हर महीने जाना होता था..फिजियोथरेपी के लिए.. के लिए… कभी काउंसलिंग के लिए…यह सब काम सुधा ने अकेले करना शुरू कर दिया
उनकी तपस्या रंग लाई … जय में सुधार दिखने लगा ..
वो खुद से उठने लगा .. खुद से खाने पीने लगा … व्हीलचेयर पे खुद बैठने लगा ..और व्हीलचेयर को साथी बना आगे बढ़ने लगा..
उसकी पुरानी कंपनी ने उसे फिर से नौकरी दे दी … भले ही इस बार तनख्वाह कम थी…. घर से ही काम करने लगा … पर अब वो संतुष्ट था. ..
माँ बाप भी खुश थे।
उसके पापा रोज सुबह उससे मिल कर ही ऑफिस जाते ….
एक दिन उसने पापा का हाथ पकडा .. मन भर बोला..
-” पापा .. मुझे माफ़ कर दो ..कहां आप रिटायर्मेंट की योजना बना रहे थे… कहां आपको दुगुना काम करना पड़ा .. सब मेरी वजह से…
भरत उसके सिर पर हाथ रख कर बोले … “ऐसा नहीं बोलते बेटा …. तुम ठीक हो उससे बढ़कर मेरे लिए कुछ नहीं… रिटायर्मेंट का क्या है आज नहीं तो कल सही ….
जय- “पापा एक बात मानोगे.. आप अब रिटायर्मेंट लेलो। “
भरत- “नहीं बेटा .. मैंने एक्सटेंशन ले ली है… अब तो सोच लिया है जिंदगी और नौकरी से एक बार ही रिटायर होना है….”
पापा ऐसा मत बोलिए प्लीज़
अच्छा अब आप ओवर टाइम बंद कर दो …
सुधा जो उनकी बातें सुन रहीं थी बोली- ” हां जी, अब कम से कम ओवर टाइम तो बंद कर दो…
भरत …”ठीक है..ओवर टाइम बंद कर दूंगा पर रिटायर्मेंट नहीं लूंगा…
मां बेटा… ठीक है ..ठीक.है।
दोस्तों, ये एक काल्पनिक कहानी है।
यहां रिटायर्मेंट का कारण जय का एक्सीडेंट रहा…पर मेरे ख्याल से रिटायर्मेंट नहीं लेनी चाहिए… थोड़ा ही ..पर पर काम करते रहना चाहिए …हमेशा … खुद को व्यस्त रखने के लिए।
रीतू गुप्ता
स्वरचित
रिटायर्मेंट