रिया मैं और तुम्हारे भैया मूवी देखने जा रहे हैं। तुम अपना ही खाना बनाना बस। हम तो बाहर से ही खाकर आएंगे और देखो चीकू सो रहा है। जरा उसका ध्यान रखना। अच्छा भाभी। रिया जिसने अभी-अभी घर में कदम रखा ही था उसे उसकी भाभी सारी हिदायतें देकर बाहर निकल गई। रिया कहो तो मैं तुम्हारे लिए बाहर से कुछ खाने को लेता आऊँगा।
अरे क्या आप भी हमें तो आने में बहुत देर हो जाएगी। यह क्या तब तक भूखी बैठी रहेगी। हां भैया मैं बना लूँगी। उसके भाई को कोई फर्क नहीं पड़ता था। कि उसकी पत्नी जो सारा दिन घर में थी उससे उसकी बहन का खाना नहीं बनाया गया। यह आज की बात नहीं थी। हर हफ्ते ऐसा ही होता था। रिया ने अपने लिए खाना बनाया। वह खाना खाकर सोने ही जा रही थी
कि चीकू उसका भतीजा रोने लगा। रिया का थकान की वजह से बुरा हाल था। पर वह अपने भतीजे को चुप कराने में लग गई। जब वह बिल्कुल भी चुप नहीं हुआ तो उसने अपने भाई को फोन मिलाया। भैया जल्दी आ जाइए चीकू चुप नहीं हो रहा है। लेकिन फोन उसकी भाभी ने ले लिया और बोली, अगर तुम्हारा अपना बच्चा होता तो उसे भी तो तुम संभालती। और फोन काट दिया।
अपना बच्चा ये शब्द सुनकर रिया की आंँखों में आंसू आ गए। मेरा बच्चा तो तुम लोगों ने छोड़ा ही नहीं। रिया चीकू को गोद लिए में सोचती जा रही थी और रोती जा रही थी।
राजीव रिया के लिए बहुत अच्छा लड़का है ।मेरा दूर का रिश्तेदार है। ऑस्ट्रेलिया में काम करता है। जल्दी शादी करके वापस जाना चाहता है। रिया की भाभी ने उसके भाई से कहा। लेकिन हम उसके बारे में कैसे पता लगाएंगे।
अरे चिंता मत करो सब बढ़िया है। मैं कह रही हूं ना और फिर हमारी जिम्मेदारी भी खत्म हो जाएगी। जल्दी-जल्दी देखना, दिखाना और छोटी सी रस्म के बाद शादी कर दी गई। क्योंकि रिया के पति अमित को ऑस्ट्रेलिया जाना था। अमित ऑस्ट्रेलिया चला गया। रिया से जल्दी आने का वादा करके। लेकिन कुछ दिनों बाद ही घर में रहते रिया
को पता चला कि अमित ने ऑस्ट्रेलिया में पहले ही शादी कर रखी थी। यह शादी तो उसने अपने मम्मी-पापा के कहने पर की थी,कि वह अपनी पत्नी को साथ लेकर नहीं जाएगा। कुछ समय बाद रिया को एहसास हुआ कि वह मां बनने वाली है। रिया की भाभी ने रिया को तलाक दिलवाने के लिए कहा तो उसके भाई को भी सही लगा।
रिया की भाभी ने उसके भाई को समझा लिया कि अगर रिया के बच्चा हो गया तो दूसरी शादी होने में बहुत परेशानी होगी। रिया के मना करते-करते भी उसका गर्भपात करवा दिया गया। अपना खर्च उठाने के लिए रिया ने एक पार्लर में काम करना शुरू कर दिया।
अब उसके भैया भाभी को उसकी कोई चिंता नहीं थी ।भाभी को घर पर काम करने वाली मिल गई थी । ना ही उस पर कुछ खर्च करना पड़ता था। रिया जिसने अपने मम्मी पापा के परलोक सिधारने के बाद भाई को ही अपना सब कुछ मान लिया था। वह भाई तो भाभी के हाथों की कठपुतली बन गया था। जिसकी अपनी कुछ सोच ही नहीं थी।
चीकू अब सो चुका था। दरवाजे की घंटी बजी। रिया ने अपने आंसू पोंछे और दृढ़ता के साथ अपने आप को भाई भाभी से बात करने के लिए तैयार किया।
दरवाजा खोला तो सीमा बोली क्या रिया बार-बार फोन करके अच्छे खासे मूड को खराब कर देती हो। भैया मैं कल से अलग किराए का घर लेकर रहूँगी । दोनों अवाक रह गये।सीमा ने उसे बहुत रोका। पर उसने सोच लिया था कि वह अब किसी के इशारों पर नहीं नाचेगी।
रिया ने पार्लर के पास ही एक कमरा ले लिया। रिया के पार्लर में एक आंटी आती थी। जिन्हें रिया बहुत पसंद थी। उन्होंने रिया से बातों बातों में उसके बारे में सब पूछ लिया । उनका एक बेटा था। जिसकी पत्नी मर चुकी थी। और दो साल का बेटा था।
उन्होंने रिया से अपने बेटे के बारे में बात कर शादी के लिए उसकी मर्जी पूछी। उन्होंने एक बार मिलकर दोनों को अपने भविष्य के बारे में सोचने के लिए कहा। रिया को गौरव एक समझदार और सही इंसान लगा।
गौरव को भी रिया की सादगी बहुत पसंद आई । दोनों ने शादी कर ली। गौरव के साथ रिया बहुत खुश थी। उसके अपने आप से लिए गए एक निर्णय ने उसका सारा जीवन बदल दिया था।
बेटियां विषय- कठपुतली नाम: नीलम शर्मा मुजफ्फरनगर उत्तरप्रदेश,