कठपुतली – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

आप के इस तरह से चिंता करने से क्या रजत जल्दी आ जाएगा शांति से बैठ जाइए और खाना खा लीजिए, छोटा बच्चा नहीं है रजत, अरे ऑफिस से निकलते निकलते थोड़ी देरी हो ही जाती है और आप तो सब्र ही नहीं करते! हां पागल हूं मैं सब्र नहीं करता एक घंटा देर से है क्या चलने से पहले एक मैसेज नहीं कर सकता

कि आज मुझे देरी हो जाएगी आने में, पर नहीं लाड साहब को हमारी कहां चिंता है आज आने दो उसको, तुम फोन करके पूछो उससे कहां है चला या नहीं चला अभी तक! नीरज की बातें सुनकर मेघा बोली …क्यों जब इतना सब कुछ सुना ही  रहे हो तो फोन भी आप ही कर लो मेरी क्या जरूरत है! हां जब मैं फोन करूंगा तब कहेगा …क्या यार पापा कोई छोटा बच्चा थोड़ी हूं

जरा सी देर हो जाने पर भी आप तो परेशान हो जाते हो!  काफी देर हो जाने के बाद अब तो मेघा को भी चिंता होने लगी और उसने रजत को फोन मिला दिया! रजत ने  तुरंत फोन उठाया और बिना मेघा की आवाज सुने ही  चिल्लाने लगा… आ रहा हूं मम्मी थोड़ा तो सब्र रखा करो ऑफिस से निकलते निकलते देर हो जाती है किसी दिन ऑफिस में मीटिंग भी होती है

और बाहर इतनी जोरों की बारिश भी आ रही है, 27 साल का हो गया हूं मैं कोई बच्चा नहीं हूं जो आप बच्चों की तरह मेरी चिंता करते रहते हो, 50 बार मना किया है बार-बार फोन मत किया करो! पता है मुझे पापा ने कहा होगा आपको फोन करने के लिए, मम्मी पापा सरकारी विभाग में है जहां कुछ काम नहीं रहता किंतु मैं प्राइवेट सेक्टर में हूं यहां कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है

मैं ही जानता हूं  आप लोग नहीं समझोगे, मेघा सोचने लगी मैंने कब  फोन कर दिया कई दिनों में तो आज पूछा है ,ठीक है अगर इतना ही गुस्सा आता है तो नहीं करूंगी आगे से फोन, कुछ समय बाद रजत घर पर आ गया और खाना खाकर अपना मोबाइल और लैपटॉप लेकर अपने कमरे में चला गया उसे कोई मतलब नहीं

कि उसकी मम्मी पापा उसकी चिंता में मरे जा रहे हैं! तब नीरज मेघा से कहते हैं…. देख लिया कितना घमंड सर चढ़कर बोल रहा है इसका, इसने यह तो जरूरी नहीं समझा कि पापा मम्मी इतनी देर से चिंता कर रहे हैं थोड़ी देर उनसे बात  कर लूं उल्टे हम पर ही नाराज हो रहा है, समझाओ अपने बेटे  को जब यह  खुद पापा बनेगा तब पता चलेगा

अपने बच्चों की चिंता क्या होती है! तब मेघा बोली.. आप खुद क्यों नहीं समझाते क्या मैं इसी काम के लिए हूं, अच्छा काम करेगा तो मेरा बेटा गलत हो गया तो तुम्हारा बेटा, यह भी कोई बात हुई! मेघा थोड़ी देर बाद दूध लेकर रजत के कमरे में गई और देखा वहां रजत लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था मेघा ने कहा …बेटा दूध ले लो और आज आने में इतनी देर कैसे हो गई?

तब रजत बोला… मम्मी यार पापा को कह दो, बार-बार मैसेज करके पूछते रहते हैं पहुंच गया क्या? कब आएगा, खाना खा लिया सही से, बारिश का मौसम है थोड़ा ध्यान रखना? मम्मी मुझे भी पता है पर आप लोग तो हद से ज्यादा चिंता करते हो! तो बेटा.. पापा ने कौन सा गलत कह दिया,  तुम्हें आने में देरी हो रही थी तो एक मैसेज कर देता कि आने में देर हो जाएगी,

हमें इस तरह चिंता करने की जरूरत ही नहीं पड़ती पर तुम आजकल के बच्चे समझते ही नहीं हो, ऐसा कहकर मेघा बाहर आ गई! थोड़ी देर बाद नीरज मेघा से रजत के बारे में कुछ कहने लगे ,अब मेघा  को गुस्सा आ गया और वह चिल्ला कर बोली ..दोनों बाप बेटों ने कठपुतली बनाकर रख रखा है जब तुम दोनों के विचारों में इतनी भिन्नता है तो आपस में ही बैठकर हल किया

करो बार-बार जो मुझे नचाते रहते हो यह मुझे अच्छा नहीं लगता सारे दिन तुम दोनों के बीच में कठपुतली सी बनकर रह गई हूं जिसकी तरफ बोल दो उसी की बुरी बन जाती हूं जबकि मेरा तो तुम दोनों से कोई लेना-देना है ही नहीं मामलों में और ऐसा कहकर मेघा बिजली बंद करके सो गई! नीरज और रजत दोनों सोचने लगे ..सही तो कह रही है

मम्मी इतनी छोटी-छोटी बातें भी हमारे घर में तिल का ताड़ बन जाती हैं पापा सही तो कहते हैं अगर एक मैसेज कर दूं तो क्या फर्क पड़ जाएगा वैसे तो सारे दिन मोबाइल देखता हूं कल से ध्यान रखूंगा! उधर नीरज सोच रहे थे सही तो कह रही हैं मेघा इतने बड़े बच्चों को बार-बार छोटी-छोटी बातों के लिए फोन करना मैसेज करना अच्छा लगता है ?

कल से ध्यान रखूंगा और अपनी सीमा में ही फोन किया करूंगा और कुछ-कुछ बातें दोनों के समझ में आ गई अब सब कुछ सही था! किंतु यह स्थिति कुछ ही दिनों तक सही थी उसके बाद फिर कभी शादी के मसले को लेकर कभी और कहीं मसलों को लेकर इसी तरह मेघा कठपुतली बनकर नाचती रही! साल भर के अंदर रजत ने अपनी सहकर्मी शिवांगी से शादी कर ली

और उसके 1 साल बाद ही उसके बेटा भी हो गया सब कुछ सामान्य चल रहा था रजत का बेटा ध्रुव 8 साल का हो गया था और स्कूल जाने लग गया एक दिन  ध्रुव की स्कूल बस को आने में काफी समय लग गया रजत चिंता के कारण इधर से उधर  घूमने लगा, शिवांगी ने कहा.. आ जाएगा क्यों चिंता करते हो कई बार बस लेट हो जाती है! तब रजत चिल्लाने लगा ..

तुम्हें  क्या फर्क पड़ता है अरे एक घंटा देर हो गई कोई समय है  आने का, आज आने दो उस बस वाले को, ऐसी डांट पिलाऊंगा ना की होश ठिकाने आ जाएंगे! शिवांगी सर पकड़ कर बैठ गई! 1 घंटे बाद ध्रुव आ गया! तब बस वाला ड्राइवर माफी मांगते हुए बोला.. भैया आज सड़क पर कोई रैली निकल रही थी उसके कारण जाम लग रहा था बड़ी मुश्किलों से बस निकल कर आई है

आप चिंता मत किया कीजिए ऐसी छोटी-छोटी बातें तो होती ही रहती हैं! आज रजत को इस तरह चिंता करते हुए देखकर नीरज और मेघा दोनों की हंसी निकल गई क्योंकि इतिहास अपने आप को दोहरा रहा था! और तब नीरज रजत से बोले …क्यों रजत कुछ याद आया आज से 10 12 साल पहले मैं भी ऐसे ही चिंता करता था तब तुम मुझसे क्या कहते थे ..

अरे पापा ऐसी छोटी-छोटी बातों पर चिंता मत किया कीजिए! बेटा माता-पिता के लिए बच्चे हमेशा बच्चे ही रहते हैं उनकी चिंता चाहे छोटा बच्चा हो चाहे बेटा शादीशुदा हो बराबर लगी रहती है, पर यह तभी समझ में आता है जब हम खुद माता-पिता बनते हैं आज तुम्हारी चिंता देखकर मुझे अपने दिन याद आ  गई! तब रजत बोला …

हां पापा मैं कितना गलत था मैंने आपको हमेशा गलत समझा अब मैं खुद एक पिता बनकर समझ सकता हूं कि आपकी चिंता करना गलत नहीं थी जो स्थिति उस समय मम्मी की थी आज शिवांगी को भी मैं इस हालत में देख रहा हूं पर शिवांगी तुम चिंता मत करना तुम कठपुतली नहीं बनोगी

हम पिता और बेटा जो भी बात होगी उसको खुलकर साझा करेंगे और उसका हल भी निकालेंगे, मैं सही कह रहा हूं ना पापा! रजत की बातें सुनकर सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गई!

     हेमलता गुप्ता स्वरचित 

     कहानी प्रतियोगिता (कठपुतली) 

      #कठपुतली

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