आसमान पर उड़ना – रश्मि वैभव गर्ग : Moral Stories in Hindi

श्रेया की नई नई शादी हुई थी। नवीन और श्रेया की लव मैरिज थी । नवीन और श्रेया दोनों एक ही कंपनी में नौकरी करते थे । नौकरी के दौरान ही दोनों की मुलाक़ात हुई थी । दोनों ही शादी के बाद बेहद ख़ुश थे ।

श्रेया के तो पैर ज़मीन पर नहीं पड़ते थे, हर वीकेंड घूमने जाना, शॉपिंग करना सब उसे बड़ा ही अच्छा लगता था । उसकी माँ उसे बुलाती तो वो कोई न कोई बहाना बनाकर टाल देती थी ।उसका माँ के घर जाने का मन ही नहीं करता था ।

शादी के कुछ समय बाद श्रेया और नवीन के घर में नन्हे मेहमान का आगमन हुआ । ख़याली दुनियाँ में खोई श्रेया को जब माँ बनने में शारीरक पीड़ा हुई तो श्रेया को ज्ञात हुआ की माँ बनना कितना कठिन है । श्रेया की माँ श्रेया की डिलीवरी के लिए श्रेया के पास आ गई थी । श्रेया को बिटिया हुई थी । जब वह रात में जगाती थी तो उसकी माँ श्रेया से पहले उठ जाती थी ।

श्रेया अपनी माँ की ममता को देखकर अभिभूत हो जाती थी ,सोचती थी …माँ न केवल अपने बच्चों का ,बल्कि अगली पीढ़ी का भी कितना ख्याल रखती है । मातृत्व न केवल एक एहसास है बल्कि एक दिल का बंधन है ,जो जीने की वजह भी देता है ।

श्रेया को अपने विवाह के शुरुआती समय में अपने आसमान में उड़ने पर शर्मिंदगी हो रही थी ,जिसके कारण वो अपनी माँ के घर जाने से मना कर देती थी ।

श्रेया ने माँ बनकर न केवल मातृत्व सुख पाया ,बल्कि माँ की ममता के अनन्यतम स्रोत को  समझ लिया ।

रश्मि वैभव गर्ग

कोटा

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