मेरी सासु माँ बहुत समझदार है – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

कुमुद ऑफिस से आकर कॉलवेल बजाने ही जा रही थी कि देखा कि दरवाजा खुला है और उसे अपनी ननद की आवाज सुनाई दी। उसने सोचा चलो अच्छा है दीदी आ गईं तो माँ का मन लगा रहेगा।कुमकुम दिनभर घर मे रहती थी तो माँ को बहुत अच्छा लग रहा था, पर दो दिन पहले स्कूल मे उसका नाम लिखाने के कारण अब कुमकुम स्कूल जाने लगी

तो माँ उदास रह रही है धीरे धीरे उन्हें इसकी आदत हो जाएगी तो फिर ठीक हो जाएगा पर अभी तो उन्हें अच्छा नहीं लग रहा है।उसने घर मे घुसते हुए पूछा दीदी आप कब आई? खबर नहीं की। पता होता तो लेने स्टेशन पर मै या आपके भाई चले जाते। ऐसा कुछ नहीं है बहू तुम दोनों तो दिनभर ऑफिस से थके आते हो फिर कहाँ लेने जाते

और अब पहले का जमाना थोड़ो ही है जो ऑटो ढूंढो फिर कही जा सको। अभी तो  फोन से ही कैब बुक करो और जहाँ मर्जी चले जाओ। मैंने ही तुम्हे बताने को मना किया था कहा था कि कैब बुक करके आ जाना। वह तो है ही माँ पर बेटियों को उनके भाई लाने जाए तो उन्हें अच्छा लगता है।

सही कहा ना दीदी? कुमुद ने ननद के प्रति प्यार दिखाते हुए कहा। दीदी आपने कुछ खाया पिया की नहीं? मै अभी आपके लिए चाय नाश्ता लाती हूँ। कुमुद को बहुत बुरा लग रहा था कि काम के चक्कर मे वह ननद को लेने स्टेशन नहीं जा सकी थी जिसे वह उनका ज्यादा से ज्यादा ध्यान रखकर उस कमी को पूरा करना चाहती थी।

उसकी सासु माँ ने उसे टोकते हुए कहा तुम अभी ऑफिस से आई हो रसोई मे कहाँ जाओगी अभी अपने कमरा मे जाकर मुँह हाथ धोकर आराम करो मै चाय चढ़ाती हूँ। मैंने रतन से कह दिया है वह बाहर से कुछ खाने के लिए लेता आएगा। तभी रतन ने   कॉलबेल बजाया। देखो लग रहा है रतन आ गया जाओ जाकर दरवाजा खोलो। रतन ने आते ही पूछा रचना कैसी हो?

देखो मैंने तुम्हारे पसंदीदा समोसा और जलेबी लाया हूँ। माँ इसे लो और ले जाकर प्लेट मे रखकर हम दोनों भाई बहन के लिए ले आओ।माँ ने थैली हाथो मे लिया और रसोई घर मे चली गईं। सभी के बातचीत की आवाज को सुनकर कुमकुम जग गईं जिसे स्कूल से आने के बाद उसकी दादी ने खिला पिला कर सुला दिया था।उठते ही वह दौड़कर अपनी दादी की गोद मे जा कर छुप गईं।

कुमुद ने कहा अरे देख तेरी बुआ है जा उसके पास। उसने जब ध्यान से देखा तो बुआ को पहचान कर उनके पास चली गईं। इसी तरह सभी मिलजुलकर गप्प करते रहे उधर कुमुद ने अपनी ननद के पसंद का खाना बनाकर डाइनिंग टेबल सजा दिया। सभी ने खाना खाया फिर थोड़ी देर और बातचीत करके अपने अपने कमरा मे सोने चले गए।

रचना ने कहा कि मै माँ के साथ ही सोऊंगी यह सुनकर कुमकुम रोते हुए बोली नहीं दादी मेरी है मै अपनी दादी के साथ सोती हूँ। सभी हसँने लगे और कहा हाँ बाबा, दादी तुम्हारी ही है पर बुआ भी तो तुम्हारी ही है तो बुआ के साथ भी सो जाओ। कुमुद अभी सोने ही जा रही थी कि उसे याद आया बात करने के चक्कर मे वह तो माँ को गर्म पानी देना ही भूल गईं.

उसकी सास सोने के पहले गर्म पानी के साथ दवा खाती थी। पानी लेकर वह सास के कमरा के पास पहुंची तो उसने सुना कि रचना अपनी माँ से कह रही थी कि यह क्या है माँ, आपने तो अपनेआप को कुमुद और उसकी बेटी की आया ही बना ली हो। बहू के लिए भला कौन सी सास चाय बनाती है? उसकी बेटी को अपने साथ सुला रही हो। रातभर तुम्हारा नींद खराब होगा

और वे दोनों मजे से खराटे भरेंंगे। भैया भी नाश्ता लाकर तुम्हे देकर फरमा दिया कि जाओ थाली मे रखकर लाओ। लग रहा है जैसे तुम उनलोगो की नौकरानी हो।कुमुद ने इस बारे मे कभी सोचा ही नहीं था। उसे तो लगता था कि माँ कुमकुम के साथ लगी रहेंगी तो उनका समय आराम से कटेगा, इसीलिए उसने हमेशा कुमकुम को दादी से सब काम करवाने के लिए प्रेरित किया था,

पर आज उसे अपनी सास के मन की बात जानने का मौका मिला था। इसलिए वह चुपचाप उनकी बातो को सुनने लगी।रचना जब अपनी बातो को कहकर चुप हुई तो उसकी माँ ने कहा अपनी पोती के काम को करने से यदि कोई आया बनती है तो मै आया बनकर ही खुश हूँ। तुम्हे मेरा बहू के ऑफिस से आने पर एक कप चाय बना कर देना दिखा

लेकिन बहू जो सारे घर का काम करके ऑफिस जाती है और आने पर रात का खाना बनाती है वह नहीं दिखा।आज के जमाने मे बहुए एकदिन भी सास ससुर को बर्दास्त नहीं कर रही है और आते ही अपने पति को लेकर अपना अलग घर बसा ले रही है उस समय मे तेरी भाभी तुम्हारे पिताजी के नहीं रहने पर भी मेरा कितना सम्मान करती है

और तुम्हे कितने आदर से बुलाती है और तीज त्यौहार भेजती है वह नहीं दिखा। आजकल की माँए अपने बच्चो को दादा दादी के पास यह कहकर जाने नहीं देती है कि वे आजकल के हिसाब से बच्चो को नहीं पाल सकते है वहाँ तेरी भाभी एकबार भी नहीं पूछती कि बच्ची को आपने क्या खिलाया है। मै यदि पूछती भी हूँ

कि कुमकुम को क्या खिलाना है तो कहती है कि मै क्या बताउंगी आपको।आपने जैसे अपने दो दो बच्चे पालपोषकर बड़ा किया है वैसे ही अपनी पोती की भी परवरिश कीजिए।इसलिए तुमअच्छे से समझ लो मै अपने परिवार के साथ बहुत खुश हूँ इसलिए आइंदा मुझे गलत पट्टी पढ़ाने की कोशिश मत करना। मै इतनी मुर्ख नहीं हूँ कि किसी की बातो मे आकर अपना सुख चैन बर्बाद कर लूँ।

मुहावरा – पट्टी पढ़ाना 

लतिका पल्लवी

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