“रिश्तो की मर्यादा” – सरोजनी सक्सेना : Moral Stories in Hindi

रघुनाथ जी गांव के जाने-माने किसान हैं ।उनके पिताजी का काफी समय से पुश्तैनी संयुक्त परिवार रहा है । अब पिताजी रहे नहीं । रघुनाथ जी दो भाई छोटे भाई हरि कृष्ण, उनकी पत्नी राधा रानी । हरि कृष्ण जी के दो बच्चे एक बेटा राजू एक बेटी राज । बेटा तो अभी पढ़ रहा है । बेटी बड़ी है । उसकी शादी तय हो गई है ।

 रघुनाथ जी के बड़े बेटे की रामा की शादी हुए लगभग 5 साल हो गए हैं । उसकी पढ़ाई लिखाई में अधिक रुचि ना देखते हुए उन्होंने वही गांव में उसके मन मुताबिक खेती-बाड़ी से संबंधित साधनों की दुकान खुला दी । रामा बड़ा होशियार मेहनती लड़का है । शहर से कृषि संबंधित उपकरण और उत्तम क्वालिटी के बीच खाद्य गांव वालों को मुहैया कराता है ।

गांव में खेती में दिन-रात का प्रभाव होता गया । गांव वाले बहुत खुश रहते । गांव वाले रघुनाथ जी और उनके बेटे की तारीफों के पुल बांधा करते । सारा गांव खुश हाली से जीवन जी रहा हैं । रामा की पत्नी कमला एक संस्कारिक मधुर स्वभाव हंसमुख मिलनसार परिवार में सबका आदर भाव रखती ।

पूरे परिवार का एक ही चूल्हे पर खाना बनता है । सब मिलकर हंसते मुस्कुराते काम करते है । पता ही नहीं चलता इतना बड़ा परिवार है ।

रघुनाथ जी की पत्नी नीरजा जी भी पूरे परिवार का अच्छे से ध्यान रखती । अपनी व्यावहारिक स्वभाव से सबका आदर भाव रखती ।

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राघव शहर में सर्विस करता । वही अपने परिवार के साथ रहता । शादी के कुछ दिनों बाद ही उसकी छुट्टियां खत्म हो गई ।

उसको वापस अपनी सर्विस पर जाना था । उसकी पत्नी सुस्त नजर आई जब घर में सांस और जेठानी ने उससे पूछा क्या बात है तुम परेशान क्यों हो । सबकी राय से उसको भी राघव के साथ भेज दिया । सब की राय थी बच्चे खुश रहे । खाना भी घर का खाएगा ।

 एक दिन राघव ऑफिस से बड़ा खुशी-खुशी घर आया । उसकी पत्नी ने पूछा क्या बात है । बड़े खुश नजर आ रहे हो । खुशी की बात ही है । आज गांव से पिताजी का फोन आया था । उन्होंने बताया तुम्हारी बहन रानी की शादी है 8 मई को । तुम ऑफिस से अपनी छुट्टी की व्यवस्था कर लेना । वैसे काम तो सब लगभग हो गया है ।

इस बहाने सब इकट्ठे हो जाएंगे । परिवार में अच्छा लगेगा । यह सुनकर राज ऊपर से तो खुश होने का नाटक करती रही । परंतु गांव जाने के नाम से परेशान हो गई । राघव उसका चेहरा देखकर बोला क्या तुम्हें खुशी नहीं हो रही । वह बोली ऐसी कोई बात नहीं है । वहां का माहौल हमारे बच्चे सहन नहीं कर पाएंगे । तुम यह चिंता ना करो ।

कल शॉपिंग भी करनी है । तुमको शादी के हिसाब से कुछ लेना है तो ले लेना । उसने मन में सोचा मेरे पास तो इतनी महंगी साड़ियां हैं । सब समान है । वहां ज्यादा क्या करना है । गांव में शादी है । कल चलना है । सब तैयारी कर लेना । वह लोग गांव के पास पहुंच कर उतरे तो वहां की आबो हवा मन मुग्ध कर रही थी ।

थोड़ी दूर पर पिताजी छोटा भाई सब लेने के लिए बस स्टैंड पर खड़े थे । इतने समय बाद सबको देखकर मैं एक्साइटेड हो गया । राज ने झुककर पिताजी के पैर छुए । जैसे ही हवेली में घुसे । गार्डन में रंग-बिरंगे फूलों से सब आने वालों का मुस्कुराहट से स्वागत हुआ । घर में सासू मां जेठानी जी और सबने हम सब का अच्छे से आव भगत करते हुए अंदर ले गए ।

वहां का ड्राइंग रूम देखकर मेरी आंखें चौधां गई । नए-नए फैशन का सोफा सेट, सारा कुछ अच्छे से डेकोरेट किया गया । थोड़ी देर में काम करने वाले चाय नाश्ता लेकर आ गए । सबने साथ में चाय नाश्ता किया । ऐसा कुछ नहीं लग रहा था कि यह गांव है । किसी शहर की शादी से काम नहीं लग रहा था । मेरी जेठानी जी आई ।

हम सब से बोली चलकर तुम लोग फ्रेश हो जाओ अपने रूम में जाकर । मैंने रूम देखा क्या शानदार लेडिस एक से एक सुंदर साड़ी गहनों से सुसज्जित  देखकर उनके सामने मैं तो एक साधारण सी लग रही थी । मैं तो गांव के मुताबिक साड़ियां और और्नामेंट ही लाई थी ।

दूसरे दिन मेहंदी की रस्म थी । सब ने खूब अच्छे से मेहंदी लगवाई । ढोलकी की छाप पर गीत संगीत हंसी मजाक के साथ । तीसरे दिन लेडिस संगीत है । डीजे पर सब ने डांस किया । आज बरात आने वाली है व विद्यारानी मेरी ननंद मंद मदं खुश भी है थोड़ा अपनों से बिछड़ने का दुख भी । अंदर गाना चल रहा था ।

“मेरी लाडो की आएगी बारात”

पूरी हवेली खचाखच मेहमानों से भरी हुई थी । हर तरफ खुशियां ही खुशियां । पूरी हवेली रंग बिरंगी लाइटों से जग मगा आ रही थी । मैं अपने रूम में तैयार होकर सुस्ताने के लिए लेट गई । अपनी शादी के टाइम की सारी तस्वीर मेरी आंखों के सामने चलचित्र की भांति घूमने लगी । मैं 3 साल पहले इसी हवेली में दुल्हन बनकर आई थी ।

मेरी सासू मां जेठानी जी सब लोगों ने अपनत्व भाव से मेरा स्वागत किया था । यह हवेली इसी प्रकार जगमगा रही थी ।

सबका अपनत्व और प्यार पाकर मैं अपने को बहुत भाग्यवान मानती थी । सबका प्यार दुलार पाकर अपने भाग्य को धन्य धन्य मान कर । भगवान का दिया सब कुछ मिल गया । मेरी शादी को 3 साल हो गए । पूरी हवेली का रिनोवेशन कराया गया । बहुत ही सुंदर ढंग से ।

इतने में सासू मां की आवाज आई । राघव राज तैयार होकर बाहर आ जाओ । बारात आने वाली है । मां जी की आवाज सुनकर मैं अपने सोच से निकल कर तैयार होकर बाहर आ गई । बारात भी लगभग पास आ गई । बाराती लोग नाचते गाते झूमते मस्त चले आ रहे थे । दूल्हे राजा किसी हीरो से कम नहीं लग रहे थे ।

हमारी प्यारी ननद रानी किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही है । जयमाला हो गई । अब फेरों का समय हो गया । ब्रह्म मुहूर्त में विदा का भी समय आ गया । खुशियों के माहौल के बीच अब गमगीन माहौल हो गया सबकी आंखों में अश्रु धारा बह रही थी । विद्यारानी अपने मन में दुख सुख मिलन बिछड़न का अद्भुत संगम सौंदर्य के साथ नव नूतन संसार में आ गई । 

धीरे-धीरे मेहमान विदा होते गए । अब घर वाले रह गए । राघव की भी छुट्टियां समाप्त हो गई । उसने राज तथा घर मे सबसे कहा कल जाना है । सुबह राज उठ नहीं पाई । राघव ने मां को बताया राज को फीवर हो गया है । मां जी ने कहा बहु को मत ले जा ।

वह बोला मुझे तो जाना पड़ेगा । एक सप्ताह बाद राज बिल्कुल ठीक हो गई । पूरे परिवार की सेवा भाव को देखकर । अब राज को परिवार में रिश्तों की मर्यादा का आभास हुआ । राघव बच्चों और राज से चलने को कहा सब ने जाने को मना कर दिया । बच्चों ने कहा हम तो यही रहेंगे । राज ने कहा उसने भी जाने को मना कर दिया ।

सबका प्यार अपनापन पाकर “रिश्तो की मर्यादा” ध्यान में रखकर परिवार के साथ रहने में जो सुख है । वह अलग रहकर नहीं । राघव ने कहा जब कोई नहीं जाएगा । तो मैं भी नहीं जाऊंगा । वह भी अपने भाई की दुकान को अच्छे से संभालता । दोनों भाई खुशी-खुशी दुकान में अपनी मेहनत और लगन से कार्य करते ।

परिवार में खुशी-खुशी एक दूसरे का मान सम्मान करते । पूरा संयुक्त परिवार आपस में रिश्तों की गरिमा का सम्मान रखते हुए कुछ हल जीवन बिता रहे हैं । बच्चे भी अपने दादा-दादी में मस्त है । परिवार रिश्तों के अपनत्व का संसार, सुखों का सार, यही जीवन है । परिवार मे सबका आदर भाव सम्मान बनाए रखना ।

“रिश्तो की गरिमा मर्यादा”

लेखिका

सरोजनी सक्सेना

जयपुर

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