” श्रुति बेटा तैयार हुई की नही लड़के वाले आते ही होंगे !” सरिता ने बेटी को कमरे के बाहर से आवाज़ दी ।
” हां मम्मी हो गई !” ये बोल श्रुति ने दरवाजा खोल दिया।
” नज़र ना लगे मेरी बेटी को कितनी सुन्दर लग रही है !” ये बोल सरिता ने उसके काला टीका लगा दिया तो श्रुति शरमा गई।
” माँ बेटी का प्यार हो गया हो तो चलो लड़के वाले आ गये है !” तभी श्रुति के पिता राजन अंदर आते हुए बोले।
सरिता और राजन ने मेहमानों का स्वागत किया और उन्हे नाश्ता परोसा । बातों का सिलसिला चल निकला ।
” बहनजी अब श्रुति बिटिया को बुला लीजिये !” थोड़ी देर बाद लड़के तनिष्क की माता जी मीना बोली।
” जी अभी बुलाती हूँ !” कहकर सरिता जी ने श्रुति की बहन अंजलि को इशारा किया और वो थोड़ी देर बाद श्रुति को लेकर आई।
” आओ बेटा मेरे पास आकर बैठो !” श्रुति के सबको नमस्ते करने के बाद मीना बोली और श्रुति को अपने पास बैठा लिया । बातचीत का सिलसिला चल निकला और आखिर मे रिश्ता पक्का कर दिया गया क्योकि श्रुति और तनिष्क को भी इससे आपत्ति नही थी । दोनो परिवारों ने एक दूसरे का मुंह मीठा करवाया और फिर तनिष्क के परिवार ने विदा ली ।
जल्द ही शादी का मुहरत भी निकल गया और तय समय पर तनिष्क श्रुति को ब्याहने आ गया। सभी रस्मे हंसी खुशी सम्पन्न हुई और फिर श्रुति रोती रुलाती अपने पिया साथ विदा हो गई ।
ससुराल मे आकर देव पूजा के बाद श्रुति को आराम करने भेज दिया क्योकि फिर बाद की रस्मे भी होनी थी ।
जब श्रुति दोपहर बाद तैयार होकर बाकी रस्मे करने आई तब हर कोई उसे देखता रह गया गुलाबी रंग की साड़ी मे बहुत ही प्यारी लग रही थी वो । उसकी ननद ने आगे बढ़कर थोड़ा घूँघट डाल दिया।
” मेरी चांद सी भाभी का मुंह सब तभी देखेंगे जब मुंह दिखाई देंगे !” ननद ऋतु हँसते हुए बोली।
बाहर आकर श्रुति ने सबके पैर छुए । सास , ससुर , रिश्तेदार और जाने कौन कौन था वहाँ जिन्हे घूँघट के कारण देख नही सकी श्रुति । पैर छूते हुए अचानक उसकी पीठ पर किसी ने ऐसे छुआ की उसे बहुत अजीब लगा । घूंघट मे उसने ये देखने की कोशिश की कि उसे किसने छुआ ।
” लगता है बहू की कमर अकड़ गई !” तभी किसी औरत ने कहा और सब लोग हंस पड़े । श्रुति को मजबूरी मे सबके पैर छूने को झुकना पड़ा पर घूंघट मे भी उसे ऐसा लगा मानो एक जोड़ी आँखे उसको घूर रही है ।
सबके पैर छू लेने के बाद उसे एक चौकी पर बैठा दिया गया । बारी बारी से सभी लोग उसे मुंह दिखाई देने लगे । ऋतु सबका परिचय भी दे रही थी । फिर बारी आई ऋतु और उसके पति नियम की ।
” भाभी ये आपके ननद नन्दोई की तरफ से !” एक सेट उसकी गोद मे रखती हुई ऋतु बोली। श्रुति ने मुस्कुरा कर दोनो के पैर छुए । पर ये क्या जैसे ही नियम ने श्रुति के सिर पर हाथ रखा और सहलाने लगा श्रुति वो स्पर्श पहचान गई । उसने निगाह उठा कर देखा तो उसका नन्दोई भद्दी सी हंसी हँसता उसे देख रहा था श्रुति ने आस पास निगाह घुमाई तो सब अपनी बातों मे मशगूल थे किसी का ध्यान वहाँ नही था ।
” दीदी मुझे प्यास लगी है !” ऋतु का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने को श्रुति बोली।
” हां भाभी अभी लाती हूँ !” ऋतु जैसे ही पलटी वैसे ही नियम सचेत हो गया ।
” अरे तुम अपने काम देखो अपनी प्यारी सलहज की प्यास हम बुझा देंगे !” नियम बोला उसके बोलने के लहजे पर बाकी किसी का ध्यान नही गया पर श्रुति उसकी द्विअर्थी बात सुन गुस्से मे उसे देखने लगी ।
” ऋतु तुम ऐसा करो भाभी को कमरे मे ही ले जाओ थक गई होगी ये वैसे भी यहाँ की रस्म खत्म हो गई! ” तभी कोई बोला तो श्रुति की जान मे जान आई ।
कमरे मे अकेली बैठी श्रुति सोच रही थी कैसे होते है कुछ लोग जिन्हे रिश्तो की मर्यादा ही नही पता होती बस सामने कोई भी लड़की देखी और स्पर्श सुख लेना शुरु छी… कैसी सोच है अपनी बीवी के भाई की पत्नी जो अभी कुछ घंटे पहले ब्याह कर आई है उसके साथ ऐसा व्यवहार ।
” कहीं ये मेरा भ्रम तो नही ?” नही नही ऐसा कैसे हो सकता है हम लड़कियों को ईश्वर ने छठी इंद्री दी है ये पहचानने को कि सामने वाले की नज़र कैसी है । श्रुति समझ नही पा रही थी उसे किसी से इस बात का जिक्र करना चाहिए या नही । अभी नई नई आई थी इस घर मे क्या उसकी बात पर विश्वास किया जायेगा ?
” भाभी लीजिये खाना खा लीजिये । आज आपको मेरे साथ खाना होगा कल से तो भैया होंगे मेरी जगह !” तभी ऋतु की आवाज़ सुन वो अपनी सोच से बाहर निकली ।
” कितनी प्यारी है ऋतु दीदी । इन्हे जीजाजी के बारे मे पता लगेगा तो ?” श्रुति फिर सोचने लगी।
” क्या हुआ भाभी खाना पसंद नही आया क्या ?” उसे सोच मे गुम देख ऋतु बोली ।
” नही नही !” श्रुति बोली और खाना खाने लगी । खाना खाते हुए ननद भाभी की बाते भी चल रही थी । श्रुति का मन ना होते हुए भी ऋतु ने जबरदस्ती उसे पेट भर खाना खिलाया ।
धीरे धीरे घर से सब मेहमान विदा हो गये और आज ऋतु भी जा रही थी । श्रुति अपने ससुराल मे सबसे घूम मिल गई थी ऋतु मे तो उसे अपनी बड़ी बहन ही नज़र आती थी । आज नियम ऋतु को लेने आया था साथ ही श्रुति का चचेरा भाई और उसकी बहन भी पग फेरे के लिए उसे लेने आये थे । और आज ही श्रुति ने अपनी पहली रसोई भी की थी जिसमे ऋतु ने उसकी पूरी मदद की थी ।
” ये लीजिये भाभी आपका नेग !” खाने के बाद सबने श्रुति को नेग दिया तो ऋतु ने भी दिया ।
” और ये मेरी तरफ से !” नियम ने भी उसे नेग देते हुए कहा।
श्रुति ने दोनो के पैर छुए ऋतु उसके सिर पर हाथ रख जहाँ अपनी पैकिंग मे लग गई वही नियम उसका सिर सहलाते हुए उसके गालों तक आ गया ।
” जीजाजी ये क्या कर रहे है आप ?” श्रुति गुस्से मे पर धीमी आवाज़ मे बोली।
” अरे सलहज जी हमारा तो रिश्ता मजाक का है और आप बुरा मान गई !” नियम हँसता हुआ बोला।
” जीजा जी मजाक का रिश्ता भले है पर इसकी एक मर्यादा है मै शादी के बाद से आपकी ये हरकत बर्दाश्त कर रही हूँ । वो तो ऋतु दीदी अच्छी है इसलिए मैं उन्हे कुछ नही बोल पाई पर अब आपने रिश्तों की मर्यादा को पार किया तो मुझे उन्हे बोलना पड़ेगा । तब हो सकता है आपका यहाँ आना ही बंद हो जाये या फिर आपका दीदी और इस घर से रिश्ता ही टूट जाये !” श्रुति धमकी देने वाले अंदाज़ मे बोली । उसने चारों तरफ नज़र दौड़ाई वहाँ सब अपने कामो मे व्यस्त थे तो वो आश्वास्त थी उसकी बात कोई नही सुन रहा।
” तुम निकलवाओगी मुझे पर तुम्हारी बातो पर कोई यकीन क्यो करेगा ?” ऐसा ना हो मैं तुम्हे यहाँ से निकलवा दूँ !” नियम दांत पीसते हुए बोला।
” जब मैं उन्हे सुबूत दिखाउंगी तब पता लगेगा कौन निकलता है यहां से !” श्रुति मुस्कुराते हुए बोली ।
” सुबूत …कैसा सुबूत ?” अब नियम के तेवर थोड़े ढीले हुए ।
” मेरे फोन मे है सुबूत आपने जो ये किया है ना ये सब मेरे फोन मे रिकॉर्ड हो गया जिसे रिकॉर्ड किया है मुझे मायके लिवाने आई मेरी बहन ने दिखाऊं आपको सुबूत …रुकिए मैं अभी सबको ही दिखाती हूँ सुबूत !” श्रुति ये बोलते हुए अपनी बहन की तरफ बढ़ी जो फोन मे लगी थी ।
” रुकिए …भाभी जी प्लीज आप किसी को कुछ मत दिखाइये मेरी बसी बसाई गृहस्थी नष्ट हो जाएगी । मैं अपने किये पर शर्मिंदा हूँ आप अपनी बहन से कह वीडियो डिलीट करवा दीजिये मैं आइंदा ऐसा कुछ नही करूंगा !” अब नियम मरी सी आवाज़ मे बोला ।
” जीजाजी आप इस घर के दामाद है आपका एक रुतबा है ऐसे किसी भी औरत को इधर उधर छूना आपको शोभा नही देता । इतनी अच्छी पत्नी और बेटी है आपकी क्या आपकी पत्नी को आपकी बहन के पति ऐसे छुए आपको अच्छा लगेगा !” श्रुति बोली।
” मुझे अपनी गलती का एहसास है तुम प्लीज वो वीडियो डिलीट करवा दो मैं कसम खाता हूँ आज के बाद किसी के साथ ऐसा नही करूंगा !” अबकी बार नियम ने हाथ जोड़ दिये ।
” हाथ नीचे कीजिये जीजाजी कोई देख लेगा । रही उस वीडियो की बात वो मेरे पास सुरक्षित रहेगी भविष्य मे जब मुझे लगेगा अब उसकी जरूरत नही तो मैं खुद डिलीट कर दूंगी आप बेफिक्र रहिये !” श्रुति बोली।
” किस बात के लिए बेफिक्र रहे … क्या बात हो रही है सलहज और नन्दोई मे !” तभी वहाँ ऋतु आई और बोली।
” वो दीदी जीजाजी मुझे बोल रहे थे घर का और मम्मी पापा का अच्छे से ध्यान रखने को और कोई भी दिक्क़त हो तो इन्हे अपना बड़ा भाई मान इनसे कहने को … क्यो जीजाजी !!” श्रुति बात बदलती बोली।
” हां …हां वो भाभी के कोई भाई नही है ना तो मैने बोला मुझे अपना भाई ही समझो !” अपनी झेंप छुपाता नियम बोला । उसे अब सच मे शर्मिंदगी होने लगी । साथ ही ये एहसास भी कि जरा से स्पर्श सुख के लिए वो आज अपने परिवार और इज्जत को खो सकता था।
” बिल्कुल भाभी आप मुझसे भी अपनी हर परेशानी कह सकती है और अगर तनिष्क से कोई शिकायत हो तो मैं आकर इसके कान खींचूंगी !” ऋतु ने वहाँ आते तनिष्क को देख हँसते हुए कहा मोहोल हंसी खुशी का हो गया पर नियम के चेहरे पर अब भी शर्मिंदगी के भाव थे ।
ऋतु और नियम ने सबसे विदा ली श्रुति ने एक बार फिर दोनो के पैर छुए इस बार नियम ने उसके सिर पर जिस तरह से हाथ रख तुरंत हटा लिया श्रुति को थोड़ा विश्वास हुआ कि आज उसने सही किया । ना केवल एक ऐसे इंसान से खुद को बचा लिया जिसकी हरकते उसे नागवार थी बल्कि सभी रिश्तों की मर्यादा रखते हुए उसे सही राह भी ले आई । जाते वक्त ऋतु के चेहरे को देख उसे ये सुकून था कि इतनी प्यारी ननद की जिंदगी बिखरने से एक हद तक बचा ली उसने क्योकि इतनेदिन मे वो ये तो जान गई थी कि ऋतु के मन मे नियम के लिए कितना प्यार और इज्जत है । श्रुति ने ईश्वर से यही प्रार्थना की कि अब नियम सही राह पर जाये ।
दोस्तों हर रिश्ते की एक मर्यादा होती है फिर चाहे वो मस्ती मजाक के रिश्ते ही क्यो ना हो । यहाँ नियम गलत था पर श्रुति की सोच भी मुझे सही लगी कि उसने बिना किसी को पता लगे नियम को सबक सिखा दिया । भविष्य मे क्या होगा कोई नही जानता पर सकरात्मक सोच तो हम रख ही सकते है ।
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल