स्वार्थी मां – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

” मेरी इच्छाओं,मेरी खुशियों का क्या मां?? क्या मेरे प्रति आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं है आपके लिए सिर्फ रवि और काजल ही आपके बच्चे हैं मैं सिर्फ पैसा कमाने की मशीन हूं जो आपकी और आपके बेटे बेटी की जरूरतों को पूरा करतीं रहूं, मैंने शादी क्या कर ली आपका सारा प्यार हवा हो गया।बाहर वाले मुझसे कहते थे कि,

तुम्हारी मां सिर्फ़ तुम्हारा इस्तेमाल कर रही है वो तुम्हें प्यार नहीं करती प्यार करने का दिखावा करती है,पर मैं उन लोगों की बातों पर विश्वास नहीं करती थी लेकिन आज मैंने अपनी आंखों से देख भी लिया और कानों से सुन भी लिया। आपने मुझे स्वार्थी, धोखेबाज और जाने क्या-क्या कहा वहां तक तो ठीक था आपने मेरे निर्दोष पति को भी नहीं छोड़ा!!?

आप इतना नीचे गिर सकती हैं मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी। आपकी नजरों में मेरा कोई वजूद नहीं है मैं आप के लिए एक एटीएम हूं जबतक मैंने आप और आपके बेटे बेटी की सभी ख्वाहिशें पूरी की तब तक मैं बहुत अच्छी थी और जब मैंने अपने बारे में सोचना शुरू कर दिया तो मैं स्वार्थी और धोखेबाज हो गई?

जबकि धोखा तो आप सभी ने मिलकर मुझे दिया है। बताइए मां आप खामोश क्यों हैं आप मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही हैं आपने मोहित जी से क्या कहा है इसका आभास भी है आपको, आपको ऐसा करने की क्या जरूरत थी!!?” कविता ने गुस्से में अपनी मां रमा जी से पूछा गुस्से से ज्यादा उसे आश्चर्य हो रहा था उसकी सगी मां उसके साथ ऐसा कैसे कर सकती है।

कविता की बात सुनकर रमा जी ने मुंह बनाकर बेशर्मी से कहा,” अरे मैंने ऐसा क्या कह दिया तुम्हारे पति को जो तुम्हें इतना गुस्सा आ रहा है और तुम्हें बुरा लगता है तो लगे मैंने कुछ भी ग़लत नहीं कहा,ये बिल्कुल सच है

तेरी बुआ के साथ मिलकर तेरे पति ने तूझे अपने झूठे प्यार के जाल में फंसाकर शादी कर ली जिससे वो तेरी कमाई पर ऐश कर सके??”” वाह मां वाह!!! मेरे सामने ही मेरे पति को आप लालची बता रहीं हैं जबकि ये आप भी जानती हैं की लालची कौन है!! लालची और स्वार्थी मोहित और बुआ जी नहीं आप हैं ” कविता ने गुस्से में अपनी मां को देखते हुए कहा।

” तू उस नागिन और उसके दल्ले के लिए मुझे स्वार्थी कह रही है!!?”  रमा जी ने दांत पीसते हुए गुस्से में कहा

” बस मां अब एक और शब्द भी आपने मोहित और बुआ जी के लिए कहा तो आपको जीवन भर पछताना पड़ेगा” कविता ने गुस्से में चिल्लाकर कहा।

” क्या कर लेगी तू जरा मैं भी तो सुनूं!!?” रमा जी ने हाथ नचाते हुए कहा।

” मां जिस घर में खड़ी होकर आप मुझे और मेरे पति को बुरा भला कह रहीं हैं उसे छोड़कर आपको जाना पड़ेगा क्योंकि ये आप भी जानती हैं कि,ये घर मेरा है इसे मैंने अपनी मेहनत की कमाई से खरीदा है” कविता ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा।

” ये क्या बकवास कर रही हो तुम ये घर तो मेरे नाम पर है तुमने मुझसे यही कहा था” रमा जी ने घबराई हुई आवाज में कहा

” हां मैंने ये कहा था की ये घर आपका है पर जब मैंने ये घर आपके नाम लेने की बात बुआ जी से कही तो उन्होंने ही मुझे सलाह दी थी की ये घर तुम अपनी मां के नाम न करो वरना एक दिन तुम्हारी मां तुम्हें तुम्हारे ही घर से बाहर निकाल देगी

तब मुझे बुआ जी की बातों पर विश्वास नहीं हुआ था। उस समय मेरी सहेली ने भी मुझे यही सलाह दी की तुम ये घर अपने नाम ख़रीदो और मां से कहना ये घर तुमने उनके नाम ख़रीदा है तब मैंने ये घर अपने नाम ख़रीदा लेकिन मेरे मन में कोई कपट नहीं था

घर किसी के नाम पर हो हमें तो साथ ही रहना था लेकिन आज आपका असली चेहरा देखकर मुझे बुआ की बातें समझ आ गई आप आज तक सिर्फ मुझे बेवकूफ बनाती रहीं आप कभी चाहती ही नहीं थी

की मेरा घर बसे इसीलिए आप मेरे लिए बताए गए रिश्तों में कमी निकालकर उसे मना कर देती थीं और मैं समझती थी की सच में उन लड़कों में कोई कमी रही होगी मां आप इतनी स्वार्थी कैसे हो सकतीं हैं?? ” कविता ने दुखी होकर कहा

” अरे मैं तेरी शादी कर देती तो हमारा ख़र्च कैसे चलता? काजल की शादी के लिए दहेज कहां से आता? रवि की इंजीनियरिंग की पढ़ाई कैसे पूरी होती ?शादी के बाद तो तू अपनी तनख्वाह अपने पति के हाथ में देती तब हम क्या करते इसलिए मैं नहीं चाहती थी की तेरी शादी हो लेकिन तुमने अपनी बुआ के साथ मिलकर बुढ़ापे में शादी कर ली इस उम्र में कोई शादी करता है क्या!?” रमा ने बेशर्मी से कहा

” मां 35 साल में कोई बुढ़ा नहीं होता एक मां अपनी बेटी के लिए ऐसा सोचती हैं मुझे ये सोचकर ही शर्म आ रही है आप मां नहीं मां के नाम पर कलंक हैं अब मैं आप लोगों से कोई सम्बन्ध नहीं रख सकती आप तीनों आज ही मेरा घर खाली कर दो वरना मुझे दूसरा रास्ता अपनाना पड़ेगा”  कविता ने कठोर शब्दों में कहा

” मैं ये घर छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी ” रमा ने बेशर्मी से कहा

” भाभी अगर कविता चाह लेगी तो घर तो आपको छोड़ना ही पड़ेगा क्योंकि ये घर आपके पति का नहीं है कविता का है ” 

तभी वहां कविता की बुआ ने आते हुए कहा

” तुमने मेरी बेटी को बहला फुसलाकर उसकी शादी एक बूढ़े आदमी से करवाकर उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी भगवान तुम्हें कभी माफ़ नहीं करेगा ” रमा ने अपनी ननद को कोसते हुए कहा

” भाभी ये भगवान भी देख रहा है की कविता की जिंदगी किसने बर्बाद करने की कोशिश की और कौन उसकी जिंदगी में खुशियों की बहार लेकर आया है आपकी फालतू बातों का मुझ पर कोई असर नहीं होगा” कविता की बुआ ने अपनी भाभी को हिकारत भरी नजरों से देखते हुए कहा

फिर वे कविता की ओर मुखातिब होकर बोली,”कविता यहां क्या हो रहा है मुझे तो बगल वाली भाभी जी ने फोन करके बताया की रमा जी अपनी बेटी कविता को बहुत बुरा भला कह रहीं हैं उनकी बात सुनकर मैं तुरंत यहां आ गई मुझे तो पहले से ही आभास था की तेरी मां को तेरी शादी रास नहीं आई है वो तुझे ख़ुश देख ही नहीं सकती क्योंकि उनका सपना जो टूट गया”

” कैसा सपना बुआ!!? कविता ने आश्चर्य से पूछा” कविता इन्होंने काजल की शादी पक्की कर दी है और लड़के की मां से वादा किया है की वे उन्हें दहेज़ में बहुत सारा पैसा और सोना देंगी

लड़का सरकारी अफसर है, इन्होंने रवि के लिए भी लड़की देख ली है क्या तूझे ये बात पता है!!?” कविता की बुआ ने अपनी भाभी को घूरते हुए कविता से कहा।” नहीं ये बातें इन्होंने मुझे नहीं बताई”  कविता ने अचंभित स्वर में कहा

” ये तुम्हें क्यों बताएंगी ये तो सिर्फ तूझे बहला फुसलाकर तुमसे पैसे निकालने के चक्कर में थीं ” कविता की बुआ ने एक नया धमाका किया।

कविता आश्चर्यचकित होकर अपनी बुआ को देख रही थी कविता की बुआ ने फिर कहना शुरू किया,” ये बातें रवि और काजल को पता हैं तेरी मां का प्लान था की वे तुमसे कहेंगी की तू लोन लेकर काजल की शादी कर दे और उसके बाद ये रवि की शादी भी कर देंगी रवि यहां नहीं अपनी ससुराल में घर जमाई बनकर रहेगा

क्योंकि जिस लड़की से तुम्हारी मां ने रवि की शादी पक्की की है वो अपने मां बाप की इकलौती बेटी है।जब रवि ससुराल में रहने लगेगा और काजल अपनी ससुराल चली जाएगी तो रमा भाभी तुम्हें इमोशनल ब्लैकमेल करके कहेंगी

कि,अब उनके बुढ़ापे का सहारा तुम ही हो और तुम अपनी खुशियों की बलि चढ़ाकर अपनी मां की जिम्मेदारी खुशी खुशी उठा लोगी मैं ये नहीं कहती की मां  की जिम्मेदारी तुम न उठाओ पर तुम्हारी मां को भी तुम्हारी खुशियों की फ़िक्र होनी चाहिए जैसे वो काजल और रवि की खुशियों की कर रही हैं ” कविता की बुआ ने कहा

” दीदी आप हद से आगे बढ़ रही हैं ” रमा ने अपनी पोल खुलती देखकर तिलमिलाते हुए कहा

” मैं हद से आगे नहीं बढ़ रही हूं भाभी सारी हदें तो आपने पार कर दी है लेकिन मैं तो ये भूल ही गई आप क्यों कविता की खुशियों के बारे में सोचेंगी वो आपकी सगी बेटी तो है नहीं सौतेली बेटी के जीवन में खुशियां आएं ये आप कैसे बर्दाश्त कर सकतीं हैं!!??” कविता की बुआ ने नफरत से अपनी भाभी को देखते हुए कहा 

“बुआ ये आप क्या कह रही हैं क्या मैं इनकी सगी बेटी नहीं हूं!!?” कविता ने आश्चर्य से पूछा उसे अपनी बुआ की बातों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था।

” दीदी आप कविता के मन में मेरे लिए ज़हर क्यों भर रहीं हैं!!?” रमा ने गुस्से में कहा

” मैं कविता के मन में तुम्हारे लिए ज़हर नहीं भर रही हूं तुम्हारे मन में कविता के लिए जो ज़हर भरा है उसे कविता को बता रही हूं। गलती मेरी है मैं भैया की बातों में आ गई और कविता को कभी नहीं बताया की रमा तुम्हारी सौतेली मां है भैया ने मुझे कसम दी थी की कविता को कभी पता न चले की रमा उसकी सगी मां नहीं है ” कविता की बुआ ने कहा

” पापा ने ऐसा क्यों कहा था बुआ!!?” कविता ने आश्चर्य से पूछा

” तुम्हारी सौतेली मां के कहने पर इसने ही अपनी मीठी मीठी बातों में भैया को फंसा लिया था भाभी नहीं चाहती थी की तुम्हें पता चले की ये तुम्हारी सौतेली मां अगर तुम जान जाती तो इसके इतने नजदीक नहीं आती और ये तुम्हारी अच्छाईयों का फ़ायदा नहीं उठा पाती तुम शुरू से ही पढ़ने लिखने में तेज थीं ये बात तुम्हारी सौतेली मां जानती थी

की तुम पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करोगी और ये तुम से झूठा प्यार दिखाकर तुम्हें जीवन भर बेवकूफ बनाती रहेगी और इन्होंने ऐसा किया भी जबतक भैया जीवित रहे मैं सोचती थी की शायद वे तेरी खुशियों के बारे में सोचेंगे पर इस औरत ने उन्हें भी अपने वश में किया था।

जब भैया की मौत हो गई तो मुझे तुम्हारी चिंता होने लगी क्योंकि मैं तुम्हारी मां की मक्कारी से वाकिफ थी ” कविता की बुआ ने अपनी भाभी को हिकारत से देखते हुए कहा

” बुआ आप मेरी मां का अपमान कर रही हैं!!” तभी काजल ने तमक कर कहा

” मैं इनका अपमान नहीं कर रही हूं इनका असली चेहरा दिखा रही हूं कविता तेरी मां की मक्कारी शाय़द मुझे भी पता नहीं चलती पर इसने अपने दिल की बात अपनी सहेली से बताई की ये तेरे पैसे से अपने दोनों बच्चों का जीवन संवारेगी और उसके बाद तेरे साथ रहेंगी दो चार साल और बीत जाते तो तेरी शादी की उम्र निकल जाती उसके बाद तो ये तीनों तेरे पैसे पर ऐश करते

और इसकी सहेली ने इसकी बात मोहित की सास से बता दी मोहित की सास जो मेरे पड़ोस में रहतीं हैं उन्होंने मुझे बताया तब मुझे पता चला की रमा भाभी तेरी शादी क्यों नहीं करना चाहतीं।मुझे मोहित के बारे में सब पता था मैं तेरी शादी मोहित से करवाना चाहती थी ये बात मैंने मोहित और उसकी सास से कही वो दोनों तुरंत तैयार हो गए उन्होंने मेरे घर पर तुम्हें देखा था

और फिर मैंने तुम्हें समझाया तो तुम भी मान गई पर जब मैंने तेरी मां से कहा तो ये मुझसे लड़ने लगी लेकिन मैंने भी ठान लिया था की रमा भाभी की चाल को मैं कामयाब नहीं होने दूंगी।मैंने तुम्हें रमा भाभी की असलियत बतानी चाही पर तुमने मेरी बातों पर विश्वास नहीं किया

तुम्हें लगता था की एक सगी मां अपनी बेटी का कभी बुरा नहीं करेंगी पर मुझे पता था की रमा तुम्हारी सौतेली मां है अब तो तुम्हें भी रमा की असलियत का पता चल गया की ये औरत कितनी मक्कार स्वार्थी और लालची है।

इसने अपने बच्चों की जिंदगी संवारने के लिए तुम्हारी जिंदगी दांव पर लगाने की चाल चली अगर तुम इसकी बातों में आकर लोन ले लेती तो जीवन भर अपनी ख्वाहिशों का गला घोंटकर उस लोन की किश्तें भरती रहती और ये तीनों ऐश करते मैं ये अन्याय तुम्हारे साथ कैसे होने देती  तेरी शादी हो गई है 

अब रमा तेरा जीवन बर्बाद नहीं कर सकती इन तीनों को इनके हाल पर छोड़ तुम अपने पति के साथ जाओ और अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करो रमा ने जो तुम्हारे साथ किया है इसकी सजा इन्हें भगवान देगा ” कविता की बुआ ने कविता के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा।

” मां आपने मेरे साथ अच्छा नहीं किया मैंने हमेशा आपको अपनी सगी मां समझा मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी की आपका प्यार दिखावा है मैं तो काजल और रवि को अपना मानती थी मैंने तो मोहित जी से पहले ही कह दिया था

की काजल की शादी और रवि की इंजीनियरिंग की पढ़ाई का खर्चा मैं शादी के बाद भी उठाऊंगी वे तो इसके लिए तैयार थे लेकिन अब मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगी और छः महीने के अंदर आप मेरा मकान खाली कर दीजियेगा  ” कविता ने गुस्से में अपनी मां से कहा 

कविता की बात सुनकर रमा के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी उसने मगरमच्छी आंसू बहाते हुए कहा,” कविता बिटिया मुझे माफ़ कर दो मैं स्वार्थी हो गई थी इस घर के अलावा हमारा कोई ठिकाना नहीं है हम कहां जाएंगे हमें इस घर से न निकालो” “

” नहीं मां अब मैं आपकी बातों में नहीं आऊंगी आपने रिश्तों की सभी मर्यादाएं तोड़ दीं हैं अब मैं आपसे कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती आपको घर तो खाली करना ही होगा हां मैं इतना कर सकतीं हूं की छः महीने की जगह मैं साल भर का समय देती हूं इससे ज्यादा नहीं अगर मैंने आपको माफ़ कर दिया

तो आपको अपनी ग़लती का अहसास नहीं होगा और आपने अपने पैरों पर ख़ुद ही कुल्हाड़ी मारी है वरना आप जीवन भर आराम से रहतीं ” कविता ने कठोर शब्दों में कहा।कविता की बात सुनकर रमा और काजल के होश उड़ गए तब तक रवि भी वहां आ गया जब उसे पता चला

की उन लोगों की असलियत कविता को पता चल गई है तो उसका चेहरा भी शर्म से झुक गया कविता उन तीनों को नफ़रत से देखा और उन्हे अचंभित छोड़कर अपनी बुआ के साथ अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने अपने पति के घर की ओर चल पड़ी।

डॉ कंचन शुक्ला

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश 

#रिश्तों की मर्यादा

Leave a Comment

error: Content is protected !!