शीला की दो बेटियां दोनों बेटियां पढ़ने के लिए बाहर गई हुई थी बड़ी बेटी पुणे में रहती थी बीटेक कर रही थी शीला हमेशा अपने बच्चों से कहती थी कि घर का खाना खाया करो एक फ्लैट लेकर रखा था जूही उसके साथ एक सहेली भी रहती थी मम्मी पापा गांव में रहते थे
ज्यादा आना-जाना नहीं होता था वीडियो कॉलिंग और फोन पर बातें हो जाया करती थी मम्मी ने कह कर रखा था सुबह और शाम मुझसे बात कर लिया करो जूही चंचल स्वभाव की थी उसको घूमना फिरना बहुत पसंद था दोस्तों के साथ मौज मस्ती का नेचर था और इसी तरह उसकी सहेली मिताली भी उसके साथ घूमने फिरने में एक्सपर्ट थी
जूही को बाहर का खाना बहुत पसंद था कभी पिज़्ज़ा बर्गर चाऊमीन बहुत शौकीन थी मम्मी हिदायत फोन पर देती रहती थी कि बेटा बाहर का यह सब खाना मत खाना लेकिन जूही सिर्फ हां कह कर बात को खत्म कर देती थी जूही को पता था कि पुणे में बहुत अधिक डेंगू फैला है लेकिन उसे पता था
कि खाने से कोई डेंगू नहीं होता है वह तुम मच्छर काटने से होता है वह भी दिन में मच्छर काटता है जूही सोचती थी कि दिन में तो मैं घर पर रहती ही नहीं हूं तुम मच्छर मुझे कैसे कटेगा पर उसे अंदाज नहीं था कि वह मच्छर तो कहीं भी काट सकता है चाहे वह कॉलेज में हूं चाहे वह घूमने फिरने गई हो एक दिन अचानक जूही की बहुत तबीयत खराब हो गई
डेंगू पॉजिटिव निकला क्योंकि जूही ने बाहर का खाना खाया और बारिश में बहुत घूमी उसको पता नहीं था कि वह इतनी जल्दी ही बीमार पड़ जाएगी जूही की मम्मी हमेशा कहती थी कि घर का खाना खाया करो और बारिश में बचकर निकला करो लेकिन यह सब जूही भूल गई डेंगू पॉजिटिव होने के बाद जूही की सहेली ने डॉक्टर को दिखाया
और उनसे सलाह ले इतना सब देखते हुए पड़ोस में रहने वाली माया ने पूछा जूही और उसकी सहेली से की बेटा आप लोगों को क्या प्रॉब्लम हो गई है तब जूही की सहेली मिताली ने कहा मुझे और मेरी सहेली को डेंगू पॉजिटिव आया है हम लोग डॉक्टर को चेकअप करा कर आ गए हैं
इस कहानी को भी पढ़ें:
बहू बड़ा दिल रखो। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi
लेकिन उन्होंने हम लोगों को बताया है कि घर का खाना खाना है और बहुत सारे प्रिकॉशन लेना है माया ने कहा इतनी सी बात है बेटा और आप लोग हमारे घर के बाजू में रहते हो आप हमसे नहीं कह सकते थे माया ने जी तोड़
दोनों बच्चियों के लिए सुबह शाम से लेकर पपीते का रस फ्रूट सलाद खिचड़ी दलिया और यहां तक की डॉक्टर के यहां पर भी साथ में गई जितना भी हो सका माया ने दोनों बच्चियों की पूर्णता देखभाल की थोड़ा सा ठीक होने लगी फिर जूही ने अपनी मम्मी को सारी घटना से अवगत कराया
और पूरी कहानी सुनाई जूही की मम्मी रुआंशी हो गई और कहा की बेटा तुम मेरे से रोज बात करने के बाद भी तुमने मेरे साथ यह सब शेयर नहीं किया तब जूही ने कहा कि मम्मी आप परेशान हो जाती और पुणे में इतना डेंगू फैला है कि मैं नहीं चाहती थी कि आप यहां पर आए और आपको भी कुछ हो हमारे पड़ोस में रहने वाली आंटी इतनी अच्छी हम लोगों को मिल गई है
कि उन्होंने आपके जैसी हम दोनों की केयर की पहले मुझे डेंगू हुआ था और मिताली मेरे साथ रह रही थी इसलिए उसको भी डेंगू हो गया था यह सब माया आंटी ने हम लोगों को परेशान होते देख लिया था और उन्होंने हम दोनों की मदद की और बिल्कुल उन्होंने घर जैसा खाना खिलाया और आज हम लोग कॉलेज आ गए हैं
अब मम्मी हम लोग आपकी सारी बातें मानेंगे घर पर ही खाना पका लिया करेंगे मम्मी आज भी दुनिया में बहुत अच्छे लोग हैं जो एक दूसरे की मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं सच में आंटी का इतना बड़ा दिल है की उन्होंने हम लोगों को कुछ भी नहीं करने दिया डॉक्टर ने तो हम लोगों को एडमिट होने के लिए कह दिया था
लेकिन आंटी ने हम दोनों की इतनी केयर हम दोनों सहेलियां अब चल फिर सकते हैं आज भी दुनिया में बड़े दिलवाले लोग हैं पड़ोस में रहते हैं लेकिन मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं
लेखिका : विधि जैन