राघव ने अपना अनुभव सुनाते हुए आगे कहा_ जैसे ही मैं पांचों बस के काफी करीब पहुंचा मैने पेड़ो की आड़ लिए हुए एक बस लुटेरे को टारगेट किया वो मेरी रिवाल्वर के निशाने पर था ।
मैने निशाना लगाने से पहले अपने एक साथी को फोन पर धीरे से कहा _ मैं जैसे ही फायर करूं तुम लोग भी अलग अलग जगह से फायर शुरू कर देना ताकि उनको लगे पुलिस ने उनको चारों तरफ से घेर लिया है।
मैने अपना ट्रेंगर दबा दिया ।गोली ठीक बस लुटेरे के सिर पर लगी वो चीख मरता हुआ बस के गेट पर गिरा और लुढ़कता हुआ सड़क पर आ गिरा।उसके सिर से ढेर सारा खून का फ़ौबार फूट पड़ा मगर वो फिर दुबारा उठ नहीं पाया शायद वो मर चुका था।
इस धमाके से पांचों बसों के लुटेरों ने खलबली मच गई ।
उनका एक साथी मारा जा चुका था।
तभी मेरे बाकी साथियों ने उन पर अपनी बंदूकें दागना शुरू कर दिया।
इससे उनमें भगदड़ मच गई ।इसकी उन्हे उम्मीद नहीं थी कि पुलिस इतने बड़े हादसे के बाद उनसे भीड़ भी सकती है।
लुटेरे लूटपाट छोड़कर खुद को बचाने के लिए बस से कूदने लगे ।मुझे मौका मिला जैसे ही कोई बस से बाहर आता मै उसपर गोली चला देता।
वो मारा जाता।इस तरह कुल पांच लुटेरों को मैने मार गिराया।
अब वे लोग बस के अंदर से मेरी तरफ फायरिंग करने लगे लेकिन मैं घने जंगल में पेड़ो की ओट में छिपा हुआ था ।कोई मुझे देख नहीं का रहा था।
मैने फिर फोन कर अपने साथियों से कहा_ अब थोड़ा नजदीक बढ़ो और बस के नीचे छिप जाओ जैसे ही वे लोग बाहर निकले उनके पैरो में गोली मारकर गिरा दो ।
वे लोग पांचों बसों के नीचे घुसकर छिप गए ।मैने सबसे पीछे वाली बस की तरफ देखा । उसमें से चार लुटेरे बड़ा से बैग लेकर आगे वाली बस की तरफ बड़ी तेजी से भागने लगे ।मैंने फुर्ती से दनादन उन चारो पर गोलियां दाग दिया।तीन लुटेरे जमीन पर गिरकर तड़पने लगे।चौथा भागते हुए मेरी तरफ गोलियां चलाने लगा ।बाकी बसों के लुटेरे अब मोर्चा लेने को तैयार लग रहे थे।कुल सात लोग बचे थे ।मतलब सब पंद्रह लुटेरे थे।
कुछ लुटेरे मेरी तरफ बम फेंकने लगे ।मैने अपना पोजीशन बदला और अपने साथियों से फोन पर कहा इससे पहले कि वे लोग जंगल में छिपकर हम पर हमला करे या यात्रियों को कब्जे में लेकर हमे ब्लेक मेल करे ।
उन पर एक साथ धावा बोल दो।
सब लोग अभी बाहर है ।
सबने वैसा ही किया ।एक साथ गोलिया चलने की वजह से सब घबड़ा कर छीतर बितर हो कर भागने लगे ।तीन मारे गए और चार लुटेरे किसी तरह जंगल में भागने में सफल रहे।
सबका बैग का वही छूट गया था ।
मैं लपकते हुए बस के पास पहुंचा और यात्रियों से कहा अब आप लोग निर्भय हो जाए ।लुटेरे मारे जा चुके है और बाकी भाग गए ।
मैंने देखा काफी यात्री घायल हो चुके थे। ख़ासकर महिलाएं के नाक कान और कलाइयों से खून बह हा था।
मैने अपने लोगो से कहा _ सबको अपनी अपनी बस में बैठाओ और सबसे उनका समान पहचान कराकर वापस कर दो ।
सब लोग अपने काम में लग गए ।
तभी पुलिस की तीन जिप और एक एंबुलेंस मेडिकल स्टाफ लेकर पहुंच गई । साथ में एक जेसीबी मशीन भी थी ।मैने कुछ लोगो को अपनी दोनों जीपों को जो बम धमाके में पुलिया की खाई में गिरी थी उसे और अपने जवानों को निकालने के लिए लगा दिया ।कुछ जवान रस्सी के सहारे नीचे उतर गए।
मेडिकल टिम को यात्रियों के इलाज में लगा दिया ।
थोड़ी देर में मेरी दोनो जिप बाहर सड़क पर खींच ली गई ।गनीमत थी कि मेरे सारे जवान हल्के जख्मी हुए थे ।लेकिन ऊंचाई से गिरने की वजह से बेहोश हो गए थे।
मैने मारे गए लुटेरों और अपने घायल जवानों को एंबुलेंस से अस्पताल भेज दिया ।यात्रियों का इलाज हो जाने और और उनका लुटा हुआ सामान वापस मिल जाने की वजह से सभी बहुत खुश थे।
सभी मेरी और मेरी टीम के जाबांज जवानों की बहुत तारीफ कर रहे थे।
कुछ ने कहा _ नई एस पी दामिनी के आने के बाद पहली बार हुआ है कि बस लूटपाट में पुलिस समय पर बचाने आई और लुटेरों को भागना पड़ा।
हमारा लूटा गया सामान वापस मिल गया और हमारा इलाज भी हो गया।
हमे अपने पुलिस कप्तान दामिनी और उसकी पूरी पुलिस टीम पर गर्व है ।
हम सबको सलाम करते है ।
सच में मैडम मुझे यात्रियों की खुशी और पहली बार पुलिस की तारीफ सुनकर बहुत खुशी हुई और सीना गर्व से चौड़ा हो गया।
यह सब आपकी वजह से हुआ है।आपने जो हमे हिम्मत और अधिकार दिया है हमारा हौसला बुलंद हो गया है।हम सबको आपके साथ काम करके बहुत गर्व महसूस होता है।
इतना कहकर राघव ने खड़ा होकर दामिनी को एक जोरदार सैल्यूट मारा।
पूरा हाल तालियों की गड़ग़डाहट गूंज उठा।
दामिनी ने कहा _ ऐसा नहीं है कि पुलिस के जवाब और ऑफिसर बहादुर नहीं होते ।ईमानदार और कर्मठ नहीं होते । सर्ग एक कुशल,ईमानदार और अनुभवी नेतृत्व की जरूरत होती है ।
आपने बहुत ही बहादुरी और सूझबूझ का काम किया है।मैं आपको सम्मान दिलाने और आपके प्रमोशन की सिफारिश डीजीपी से करूंगी ।
दामिनी ने कहा ।
सबने फिर एक बार तालियां बजाया।राघव ने दामिनी का आभार व्यक्त किया।
दामिनी ने एक दूसरे डीएसपी से पूछा दशहरा में मेला की विधि व्यवस्था का कार्य कैसा चल रहा है। डीएसपी
शैलेश त्रिपाठी ने खड़े होकर कहा_ मैडम लिए गए निर्णय के अनुसार हर संवेदन शील क्षेत्र में पुलिस कंट्रोल मंच बनाया गया है जहां चौबीस घंटे पूरी तैयारी के साथ थाना प्रभारी की देख रेख में जवान मुस्तैदी से हर घटना पर मुस्तैदी से नजर रखते है।पंडालों की देख रेख हेतु सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन कमरे लगाए गए हैं।भीड़ भाड़ इलाके में पुलिस के जवान सादे भेष में घूम रहे है ।सेंट्रल पुलिस कंट्रोल रूम में सभी चौकसी बरती जा रही है।एक फोन आते ही कही भी किसी भी समय हालत को नियंत्रित करने हेतु पुलिस दस्ता तैयार बैठा है।सभी डीएसपी , इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर अपनी अपनी टीम के साथ लगातार क्षेत्र का भ्रमण कर रहे हैं।
एक केंद्रीय दस्ता खुद आपकी निगरानी में हरदम तैयार है मैडम ।
त्रिपाठी की बात सुनकर दामिनी ने तारीफ करते हुए कहा _ वाह बहुत सुन्दर प्रबंधन चल रहा है।बस मूर्ति बिसर्जन भी शांति से हो जाए तो राहत की सांस लेंगे।
अब आप सब जाए खाना खाने के बाद थोड़ा आराम कर अपने _अपने दस्ते के साथ क्षेत्र भ्रमण पर निकले ।
मैं भी कुछ जरूरी फ़ाइल निपटा कर निकलूंगी।
सब लोग दामिनी को सैल्यूट कर ऑफिस से बाहर निकल गए।
दामिनी की गाड़ी जब राजेश के घर पर रूकी ।मोहल्ले वाले उत्सुकतावश उसे बाहर निकल कर देख रहे थे।
दामिनी के हाथो में कुछ पॉकेट थे।
राजेश की मां ने जैसे ही उसे दरवाजे पर देखा वो खुश होते हुए बोली अरे दामिनी बेटी तुम कैसी हो ।
मैं ठीक हूं आंटी राजेश कहा है।
वो अपने कमरे में आराम कर रहा है।पैर में मोच आने की वजह से उसका पैर सूज गया है।राजेश की मां ने कहा।
तभी रागनी दौड़ती हुई आई और दामिनी से लिपटते हुए बोली अरे दामिनी दीदी आप आ गई।चलिए मैं आपको भैया के पास ले चलती हूं।
दोनों राजेश के कमरे में पहुंच गई।
दामिनी को देखकर राजेश उठने लगा।
लेकिन दामिनी ने उसकी बांह पकड़कर उसे रोकते हुए कहा _ लेटे रहो।अब कैसा है पैर तुम्हारा।
बस थोड़ा दर्द और सूजन है जल्दी ठीक हो जाएगा। राजेश ने कहा।
ज्यादा दिक्कत हो तो बोलो हॉस्पिटल में भर्ती करा देती हूं।
नहीं मैडम मैं ठीक हो जाऊंगा।उसने कहा।
देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लेकर आई हूं।इतना कहकर उसने एक पॉकेट उसकी तरफ बढ़ा दिया।
ये क्या है मैडम उसने उस पॉकेट को खोलते हुए कहा।
देखो तो सही दामिनी ने मुस्कुराते हुए कहा।
इससे पहले कि राजेश उस पॉकेट को खोलता उसकी बहन रागिनी ने उसके पॉकेट को उसके हाथ से छीन ली और खुद ही खोलकर उसमे से समान निकाल दी।
उसमें से एक जींस पेंट और टि शर्ट निकला । दूसरे पॉकेट में कीमती जूता और मोजा था।
अरे वाह दीदी भैया के लिए बहुत सुंदर गिफ्ट लाई हो लेकिन मेरे लिए कुछ नहीं लाई।रागनी ने मुंह बनाते हुए नाराज होकर कहा।
अरे तुम तो नाराज हो गई देखो तुम्हारे लिए भी लाई हूं।
इतना कहकर दामिनी ने उसे भी एक पॉकेट थमा दिया ।रागिनी ने उसे लपक लिया और उसे खोलकर देखने लगी और देखते ही चहकने लगी ।उसमें एक सुंदर समीज सलवार और ओढ़नी का सेट था।
वाह दीदी थैंक्यू इतना कहकर वो फिर दामिनी से लिपट गई।
तभी राजेश की मां मंजू देवी आ गई और बोली _ बेटी इसकी क्या जरूरत थी ।क्यों इतने महंगे कपड़े ले आई हो
क्यों नहीं लाती आंटी क्या आप लोग मेरे कुछ नही लगते है।दामिनी ने साड़ी का पॉकेट उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा।कितना सुंदर दशहरा का त्यौहार चल रहा है हमलोग सब साथ में मेला घुमने जाएंगे।
दामिनी ने कहा ।
एक ही शर्त पर लूंगी पहले तू मेरा उपहार ले लो फिर लुंगी।
मंजू देवी ने दामिनी को एक साड़ी और मिठाई का पॉकेट देते हुए कहा,_ अगर तुम नहीं आती तो मैं तेरी कोठी पर जाती तुझे देने के लिए।
आज विजया दशमी है आज तू भी साड़ी पहनना ।मंजू देवी ने उसे सिल्क की साड़ी देते हुए कहा।
दामिनी ने सिल्क की साड़ी लेते हुए कहा _ अरे वाह यह तो बहुत सुंदर है।
लेकिन वो उदास होकर बोली लेकिन पहनूंगी कैसे मुझे तो साड़ी पहनने ही नहीं आती है।
उसकी इस बात पर सभी हंसने लगे।
मंजू देवी ने कहा _ बेटी तो चिंता क्यों करती हो मै हूं न तुम्हे साड़ी पहनना सिखा दूंगी।
दामिनी खुश हो गई ।तब तो ठीक है आंटी।
मंजू देवी ने कहा_ मिठाई खाओ ।फिर मैं पहना दूंगी।
राजेश ने पूछा _ कैसे आई है मैडम
अपनी गाड़ी से एक ड्राइवर दो बॉडीगार्ड लेकर आई हूं।दामिनी ने कहा और पूछा लेकिन ऐसा क्यों पूछ रहे हो।
मैडम मेरे एक ड्राइवर साथी ने मुझे बताया है कि विधायक और माफिया पप्पू सिंह आपको जान से मारने की योजना बना रहे है इसलिए आप पूरी सुरक्षा व्यस्था के बारे चला करे ।
दो बॉडीगार्ड उनके सामने कुछ नहीं है।वे लोग बहुत खतरनाक लोग है मैडम।
उसकी बात सुनकर दामिनी ठहाका मारकर हंसने लगी।
तुमको पता है न मैं उन सबकी बाप हूं ।उनकी योजना धरी की धरी रह जाएगी।
अब चलो तैयार हो जाओ मैं तुम सब सबको मेला घुमाने ले चलूंगी।
दामिनी ने मुस्कुराते हुए कहा।
अगला भाग
*”दामिनी का दम”* (भाग-26) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
बोकारो झारखंड