पापी चुड़ैल (भाग – 15) अंतिम भाग – शशिकान्त कुमार : Moral stories in hindi

मेरा नाम चंद्रावती है और मैं कुसुमपुर राज्य की सबसे सुंदर और आकर्षक वैश्या थी…….

ये किस कुसुमपुर की बात कर रही हो तुम ….( महाराज जी ने पूछा )

मैं पाटलिपुत्र जो आज पटना के नाम से विख्यात है उस कुसुमपुर की बात कर रही हूं महाराज जी

आगे बोलो….( अहिधर )

नही ….. पहले तुमने वचन दिया है की मैं कौन हूं जानने पर तुम मेरे बच्चों को इस पाश बंधन से मुक्त करोगे… ( चंद्रिका बोली)

ठीक है…. ( इतना कहकर अहिधर और महाराज जी ने मिलकर एक मंत्र का प्रयोग करके उनके दोनो बच्चों को पास से मुक्त करके वही एक बंधन में बंधे रखा)

अब आगे कहो…..( अहिधर)

अहिधर….

उस नगर में एक अय्याश राजा था जिसका नाम था जयव्रत

उसकी प्रजा उससे थरथर कांपती थी….

एक दिन उसने मेरे बारे में सुना और अपने ताम झाम लेकर वो वेश्यालय पहुंच गया , जिसे देख हम सब बहुत हीं ज्यादा  डर गए लेकिन वो सीधा हमारी वेश्यालय की प्रमुख तक पहुंच कर मेरे बारे में पूछा …

और अगले ही पल मैं उसके समक्ष पेश कर दी गई थी।

उसने मेरे इसी रूप को देखा था और देखकर मुझपर मोहित हो गया था ….

अगले पांच दिन तक उसने मुझे नोच खसोट कर रख दिया था और जब जाने लगा तो उसने वहां हिदायत दिया की चंद्रावती को अब कोई हाथ नहीं लगाएगा….

उसके बाद वो दो चार बार और मेरे पास आया और इस तरह से एक दिन मैं पेट से रह गई…

राजा को जब यह बात मालूम हुआ तो उसने वहां आना जाना छोड़ दिया लेकिन मैं कैसे पेट में पल रहे बच्चों को छोड़ सकती थी .

पर नौ महीने बाद मेरे जुड़वा बच्चे हुए एक पुत्र और एक पुत्री जो आज आपके सामने बंधन में पड़े है….

ये कब की बात है चंद्रिका?……( अहिधर ने पूछा )

ये लगभग 2500 वर्ष पहले की बात है……. ( चंद्रिका बोली)

आगे क्या हुआ था चंद्रिका? …….( महाराज जी ने पूछा)

जब मेरे बच्चे छह वर्षणकी अवस्था में पहुंचे तो मैने ही उनको अपने पिता का नाम  जयव्रत बताया था इसलिए ये बच्चे सभी को अपने पिता का नाम जयव्रत ही बताता था ।

एक दिन राजा को जब यह बात पता चली तो अपने सैनिकों को भिजवाकर मुझे और मेरे बच्चों को राजमहल बुलवाकर कहा….

ऐ वैश्या

मैं तुझपर मोहित हो गया था यही क्या कम सौभाग्य की बात थी तुम्हारे लिए ……

लेकिन महाराज…. मोहित तो मुझपर कई लोग होते थे पर केवल अपनी प्यास बुझाते थे

लेकिन आपने तो बच्चे जने है मुझसे ….

ऐ वैश्या

राजा से जुबान लड़ाती है…

सैनिकों ले जाओ इसे और इसके बच्चे को ..

और एक साथ बांधकर आग के हवाले कर दो..

नही …नही..

नही महाराज मेरे बच्चों को बक्क्ष दो..

बक्श दो ….

बक्श दो… मेरे बच्चों को

मां….मां….. (इधर महाराज जी के पास बंधे बच्चे चिल्लाने लगे)

उधर चंद्रिका चिल्लाए जा रही थी……

शांत शांत ….

शांत हो जाओ चंद्रिका तुम यहां हो…

चंद्रिका का चेहरा और आंख लाल हो रखा था और आंखो से लाल रक्त आंसू के रूप में बाहर आ रहे थे…

चंद्रिका धीरे धीरे शांत हुई ……

इतने वर्षो बाद भी तुम क्यों भटक रही हो फिर ……. ( अहिधर ने पूछा )

क्योंकि जिस जगह पर मुझे और मेरे बच्चों को जलाया गया  था उसके आस पास आधे मिल के क्षेत्र को बांध दिया गया था जिससे मैं वहां से बाहर निकलकर कहीं जा न पाऊं….

लेकिन राहगीरों का आना जाना वहां से लगा रहा था  और मैं गुस्से में वहां से गुजरने वाले किसी भी जवान पुरुष को मैं अपनी रूप से रिझाकर उसका खून पी जाती थी..

कई सारे निर्दोष युवाओं का खून पिया है हमने  लेकिन उस जगह से बाहर नही निकल पाती थी इसलिए पूरे कुसुमपुर में उस क्षेत्र के बारे में यह खबर फैला दी गई की इस क्षेत्र से राहगीर खासकर युवा पुरुष न गुजरे क्यूंकि वहां से जाने वालो को एक चुड़ैल खून पीकर मार डालती है और उसका नाम  है

” पापी चुड़ैल”

और इस तरह मैं वहां पापी चुड़ैल के नाम से प्रसिद्ध हो गई थी ।

मेरी क्या गलती थी?

यही की मेरा जिस्म सुंदर था ?

अरे सुंदर रहेगा तो क्या उसे तड़पा कर मार डालोगे

मुझे मारा तो मारा मेरे इन बच्चों का क्या कुसुर था?

और उसके बाद मुझे हीं उस जगह बांध दिया गया ताकि मुझे और मेरे बच्चों को मुक्ति भी न मिल सके

( गुस्से में चंद्रिका हांफ रही थी )

तुम्हारी केवल एक गलती थी चंद्रिका… और वो गलती थी निर्दोष लोगों की हत्या करना इसलिए उनके परिवार वालों की हाय तो लगी ही है तुझे….

तो मैं क्या करती? …….( चंद्रिका चिल्लाई)

एकदम शांति छा गई …..

महाराज जी और अहिधर भी बिलकुल शांत थे , उधर गौरीशंकर अपने घेरे में बैठा सबकुछ सुन रहा था

तभी

अचानक गौरीशंकर के आंगन में एक घनघोर हवा का झोंका आया और चंद्रिका पर एक जोरदार प्रहार हुआ जिससे चंद्रिका दर्द से कराह उठी…

और वो हवा चंद्रिका को अपने आप में लपेट कर ले जाने लगा

महाराज जी और अहिधर को समझ नहीं रहा था की ये क्या हुआ…..

महाराज जी …

अहिधर….

मेरे बच्चों को मुक्ति दिलवा दो… मेरा मुक्त होना अब मुश्किल है

अब मैंने अपनी कहानी बता दी है क्योंकि मैंने अपनी दुनिया का वचन तोड़ा इसलिए अब वो मुझे छोड़ेगा नही…..( चंद्रिका हवा के साथ साथ जाते हुए बोल रही थी)

कौन नही छोड़ेगा तुझे चंद्रिका………( महाराज जी चिल्ला कर पूछे)

मलूका….

समाप्त

इसी के साथ ” पापी चुड़ैल ” का  “परिचय ” भाग समाप्त होता है ।

आपको कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताइएगा और संभव हो तो मुझे प्रतिलिपि पर भी फॉलो कर सकते है।

आप सब की ज्यादा डिमांड होगी तो “मलूका” की स्टोरी भी बताऊंगा ।

आप सबके प्यार के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

अंत में आप सब की राय चंद्रिका के बारे में कमेंट में देखकर ही चंद्रिका का रूप प्रस्तुत करूंगा

बहुत बहुत धन्यवाद

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