घर, सिर्फ एक भवन नहीं होता; यह वो जगह होती है जहां व्यक्ति खुद को सबसे सुरक्षित और स्नेहभरी भावना से घिरा पाता है। इसका वास्तविक मतलब तब समझ में आता है
जब हम घर से दूर होते हैं। मेरा अनुभव भी कुछ ऐसा ही था जब मैं उच्च शिक्षा के लिए दूसरे शहर चली गई ।
छोटे से गाँव में पली-बढ़ी, मेरा घर एक साधारण सा मकान था। मिट्टी की दीवारें, टिन की छत, और छोटे से आँगन में लगे हुए फूलों के पौधे। घर के सामने एक बड़ा पीपल का पेड़ था
, जिसके नीचे दादी अपनी कहानियों की पोटली लेकर बैठा करती थीं। शाम होते ही दादी की कहानियाँ सुनने के लिए पूरा परिवार एकत्र हो जाता था। उन कहानियों में सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि जीवन के मूल्य भी सिखाए जाते थे।
शहर में आकर, मेरी दुनिया पूरी तरह से बदल गई। ऊँचे-ऊँचे भवन, व्यस्त सड़कों पर दौड़ते लोग, और समय की कमी। इस नए माहौल में खुद को ढालना मेरे लिए चुनौतीपूर्ण थी।
हॉस्टल का कमरा मेरे लिए घर जैसा नहीं था। वहाँ का बिस्तर, वहाँ की दीवारें, सब कुछ नया और अजीब सा था।
धीरे-धीरे, मेरे दोस्त बने और पढ़ाई में मन लगा। लेकिन जब भी रात होती और सब सो जाते, मुझे अपने घर की याद सताने लगती। दादी की कहानियाँ, माँ का प्यार, पापा की डाँट
और भाई-बहनों के साथ की गई शरारतें, सब याद आने लगते। उन यादों ने मुझे अहसास दिलाया कि घर सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि एक एहसास है।
छुट्टियों में जब मैं घर वापस आई, तो घर के दरवाजे पर खड़ी माँ ने मुझे गले लगा लिया। उस पल में मैंने वो सुकून महसूस किया जो शहर में कभी नहीं मिला। घर की दीवारों ने मुझे उसी तरह से अपनाया
जैसे मैंने कभी छोड़ा ही नहीं था। घर के आँगन में बैठकर दादी से कहानियाँ सुनना, माँ के हाथों से बना खाना खाना, और पापा के साथ बैठकर बातें करना, सब कुछ ऐसा लगा जैसे मैं फिर से वही बच्ची बन गई हूँ।
अपने घर में वह अपनापन और स्नेह है, जो किसी भी आलीशान मकान में नहीं मिल सकता। यह जगह आपको आपकी पहचान और मूल्यों से जोड़कर रखती है। जब भी मैं किसी मुश्किल दौर से गुजरती हूँ,
मुझे अपने घर की याद दिलाती है कि वहां कोई है जो मुझे समझता है और मेरा इंतजार कर रहा है।
इस अनुभव ने मुझे सिखाया कि चाहे आप दुनिया में कहीं भी जाएं, कितनी भी ऊँचाईयों को छुएं, आपका घर ही वो जगह है जहां आप सच्चे मायनों में अपने होते हैं। यह जगह आपको अपनी जड़ों से जोड़कर रखती है
और आपके जीवन में स्थायित्व का एहसास दिलाती है। अपना घर अपना घर ही होता है, क्योंकि यहाँ के प्यार, स्नेह और अपनापन का कोई मोल नहीं है।
Regards
Riya Jain
8962951934
Indore