दास्तान इश्क़ की (भाग -30)- अनु माथुर : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा…..

आदित्य कांता प्रसाद जी से मिलने जाता है  और आकांशा से भी मिलता है…घर में राधिका को कुछ पीने के लिए देते वक़्त शांति को लाजो पकड़ लेती है…

अब आगे….

सारी बात सुनने के बाद आदित्य राघव से वीर प्रताप जी और रुपाली को बुलाने के लिए कहता है….. राघव  खुद जाकर उनको ले कर आता है….

आदित्य वीर प्रताप जी को सारी बातें बताता है….वीर प्रताप जी आदित्य पर गुस्सा करते हुए कहते हैं –  “ये राधिका पर हमला हुआ ये बात तुमने हमें बतायी क्यों नही.. ?”

आदित्य कहता है  – “बस समय नही मिला और फिर अचानक भुवन की शादी और राघव की सगाई आ गयी….. और ये बात इतनी बढ़ जायेगी मुझे पता नहीं था “

वीर प्रताप जी आदित्य से पूछते है -” अब क्या सोचा है

तुमने ” ?

आप सब कोई भी घर के बाहर बिना गार्ड्स के नहीं जायेगा… और जब कोई ज़रूरी काम हो तभी बाहर जाओ…

“आदि. …शादी है कोई ना कोई काम तो रहेगा ही कितना भी सब कर लो फिर फिर भी वो लास्ट लास्ट में काम होते ही हैं” – रुपाली ने कहा

“शॉपिंग का आप लोग देख लो बाक़ी मैं, भुवन और किशन देख देख लेंगे और नज़र रखेंगे…”- आदित्य ने कहा

“बहुत लोग आयेंगे किस – किस पर नज़र रखेंगे आप इस बार  इस तरह डर के तो नही रह सकते ना हम ” इस बार राधिका ने कहा

“अगर ऐसी ही बात है तो फिर हम शादी में किसी को नही बुलाएँगे बस क़रीबी रिश्तेदारों को बुला लेते है सबकी जान को खतरे में डाल कर हम शादी नहीं कर सकते ” – वीर प्रताप जी ने कहा

सब इस बात पर चुप हो गए

रुपाली ने कहा -“आप ठीक कह रहे है हमें ऐसा ही करना चाहिए…. शादी दो परिवारों का मिलन है जो होंगे ही फिर औरो की कोई ज़रूरत नहीं है .”

“आप क्या कहते है देवेंद्र जी “- वीर प्रताप जी ने पूछा

“आप सही कह रहे है हम शादी को अपने क़रीबी रिश्तेदारों के साथ कर सकते है” – देवेंद्र जी ने कहा

“एक बात और शादी की सारी रस्में हम एक साथ कर ले इस से हम सब एक ही जगह पर रहेंगे तो नज़र रखने  में भी आसानी होगी “- आदित्य ने कहा

“हाँ ये ठीक रहेगा “…राघव ने खुश होते हुए कहा

सब बैठे बातें कर रहे थे लेकिन कावेरी चुप थी राधिका ने उसे देखा तो कहा – तुम क्यों परेशान हो??

कावेरी ने  कहा -” मेरा तुम्हारे सिवा अब कोई नही है…मैं नही चाहती कि शादी में  तुम्हारी या किसी की जान को खतरा हो हम शादी बाद में कर लेंगे… “

राधिका ने उसके हाथ को अपने हाथ में लिया और बोली –  “शादी तो उसी दिन होगी जिस दिन तय हुयी है और महूर्त पर ही होगी …. तुम फिकर क्यों कर रही हो हम सब हैं ना…. और तुम ही तो कहती थी कि तुम जहाँ जाती हो दो चार को पीट कर ही आती हो…..तो डरना कैसा फिर?? “

कावेरी की आँखों में आँसू आ गए…… राधिका ने उसे गले से लगा लिया….

रुपाली अपनी जगह से उठी और कावेरी के पास जाकर उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली. -” हम सब तुम्हारे अपने हैं और तुम परेशान मत हो किसी को कुछ नही होगा……”

कावेरी थोड़ा शांत हुयी तो भुवन ने पूछा – “कुँवर ये शांति का क्या करना है?? “

इसे नजरबंद करो… कहीं भी जाने मत देना और इसके फोन पर जब उस आदमी का फोन आए तो लोकेशन ट्रेस करके उसे पकड़ो….

जी कुँवर…..

“आज लाजो ना होती तो पता नही क्या होता थैंक्स लाजो “- आदित्य ने कहा

“ठाकुर साहब आप फिकर ना करो जब तक ये लाजो जिंदा है ठाकुराइन को क्या इस घर के किसी भी सदस्य को कुछ नहीं होगा  ये वादा है मेरा आपसे …..अच्छा अब सब ये सब बातें छोडिए मैं सबके लिए चाय बना कर लाती हूँ.. …. जी आप आए मेरे साथ ज़रा  ….. लाजो ने भुवन की तरफ देखते हुए कहा

मैं ..???.. लेकिन मैं क्या करूँगा किचन में भुवन ने लाजो से पूछा

“अरे मेरी मदद और क्या और अब ज़्यादा ना बोलें चलें मेरे साथ…”

लाजो ने कहा तो भुवन ने कुछ ना बोलना ही सही समझा और उसके साथ किचन में चला गया

आदित्य ने सांस भरी और बोला – ” देखा ये होता है शादी के बाद… कहाँ भुवन …मतलब भुवन के कुछ बोलने  पर सारे गार्ड्स हिल जाते है और अब देखो लाजो ने एक बार कहा और चल दिए उसके पीछे…

आदित्य ने राघव की तरफ देखा और बोला -” सोच ले भाई अभी भी वक़्त है मेरा और  भुवन का हाल तो तुम देख ही रहे

हो “

‘क्या मतलब है आपका कुँवर”?  हम आपको कुछ कहाँ कहते है और अगर आपने  हमारी कोई मदद कर दी तो आप इसको बुरा समझते हैं “?? – राधिका ने कहा

अरे मैं तो…..

क्या मैं तो…..???

अरे अब आप दोनों फिर से शुरू मत हो जाओ….. राघव ने दोनों के हाथ जोड़ते हुए कहा….बाद में लड़ लेना अभी नहीं…

राघव की इस बात पर दोनों चुप हो गए….. लाजो भुवन के साथ तब तक चाय और नाश्ता ले कर आ गयी.. … सबने चाय पी  वीर प्रताप जी रुपाली और राघव अपने घर चले गए…..

एक हफ्ता ऐसे ही बीत गया….उधर आकांशा की शादी विक्रम से हो गयी ये खबर किशन ने दी जो वहाँ की हर बात पर नज़र रखे हुए था…

शादी की तैयारियाँ तो आदित्य के घर में भी शुरू हो  गयी थी….. लेकिन बहुत ज़्यादा नहीं अब जब मेहमान कम आने थे तो कुछ ज़्यादा करने की ज़रूरत नहीं थी

भुवन ने गार्ड्स को सख़्त हिदायत दी थी कि कोई भी बाहर का घर के अंदर ना आने पाए…

एक महीना बीत गया इस बीच कुछ नहीं हुआ ना ही विक्रम ने कुछ किया ना ही आकांशा ने…..

किशन से पता चला कि आकांशा घर में ही रहती है और विक्रम ओम ठाकुर के साथ जाता है और उन्हीं के साथ वापस आ जाता है……

आदित्य हर बात पर नज़र रखे हुए था साथ ही उसे ये आने वाले तूफान से पहले की शांति लग रही थी…..

राधिका और कावेरी को जब भी बाहर जाना होता आदित्य, राघव और भुवन और कुछ गार्ड्स हमेशा साथ में रहते थे ….

धीरे – धीरे समय और बीता शादी को अब चार  दिन रह गए…..वीर प्रताप जी ने आदित्य और बाक़ी सबको शादी उनके घर से ही होगी बोल दिया था….. राधिका कावेरी की पैकिंग करवा रही थी….

तभी शीतल उसके कमरे में आयी और पूछा – हो गयी पैकिंग??

” हाँ मम्मी हो ही गयी “

शीतल ने कावेरी को अपने पास बिठाया उसके सिर पर प्यार से फेरा  और बोली -” तुम्हारी शादी हो रही है……..नया घर नए लोग थोड़ा समय लगेगा एडजस्ट करने में ….. राघव बहुत अच्छा लड़का है….. रुपाली जी और वीर प्रताप जी भी बहुत अच्छे है उनका ध्यान रखना…..ऐसा समझना कि तुम्हें भगवान् ने फिर से माँ और पिता दिए है …… और हमारी बेटी तो तुम हमेशा ही रहोगी…. कभी कोई बात हो जो तुम्हें परेशान करे राधिका से या मुझसे कहना…. मैं ये बिल्कुल नहीं कह रही कि वहाँ डर कर रहना बल्कि आत्मविश्वास के साथ सबका दिल जीत लेना….. उन्होंने दो कंगन अपने साथ लाए हुए  बॉक्स में से निकाल कर कावेरी को पहनाए….

कावेरी ने शीतल को गले से लगा लिया और उसकी आँखे भीग गयी…. शीतल ने उसके आँसूओं को पोंछा राधिका की आँखे भी नम हो गयी थी…. सारा सामान पैक करके बाहर गाड़ियों में रखवा दिया

शीतल ने घर के मन्दिर में आरती की और सबको आरती दे कर भगवान् के हाथ जोड़े… और सब अच्छे से हो जाए उसके लिए प्रार्थना की

सब बाहर आ गए आदित्य , राधिका और कावेरी एक गाड़ी में देवेंद्र जी, शीतल, लाजो और भुवन दूसरी गाड़ी में बैठ गए

आगे पीछे गार्ड्स की गाड़ियों थी सब वीर प्रताप जी के घर की तरफ चल दिए…

वीर प्रताप जी को आदित्य ने घर से निकालने पर बता दिया था कि वो सब आ रहे हैं..

कुछ देर में सब वीर प्रताप जी के घर पहुँच गए……वीर प्रताप जी, रुपाली और राघव ने दरवाज़े पर उनका स्वागत किया…. अभी कोई रिश्तेदार आए नहीं थे बस दोनों घरों के ही लोग थे….

राघव ने आदित्य को सारी तैयारियों के बारे में बताया…. भुवन को आदित्य ने हर तरफ से सुरक्षा करने के लिए बोला…

सारा इंतज़ाम खुद से आदित्य ने देखा…. रात को खाना खाने के बाद बड़े लोग सब सोने चले गए…. राधिका और कावेरी भी थक गए थे वो दोनों भी अपने कमरे में चले गए …. लाजो भी सब काम करके अपने कमरे में चली गयी थी

आदित्य ने राघव और भुवन को राघव के कमरे में बुलाया

राघव ने पूछा – क्या हुआ आदि “?कोई बात है??

आदित्य ने कहा – मैं कुछ सोच कर परेशान हूँ ..

“क्या” ? – राघव ने पूछा

तीन महीने से विक्रम और आकांशा ने कुछ भी नहीं किया जबकि उसने मुझे सीधी धमकी दी थी कि ” बचा सकते हो बचा लो राधिका को “

“हम्म सोचने की बात तो है “- राघव ने कहा

“ऐसा तो नहीं कुँवर वो कुछ बड़ा प्लान कर रहे हो??” भुवन ने कहा

“इसी बात का तो डर है भुवन बस ये शादी ठीक से हो जाए  भगवान् से यही प्रार्थना है..”.. आदित्य ने कहा

राघव ने कहा  – “हाँ सही कह रहे हो “

“चलो तुम लोग भी सो जाओ अब कल तक सब आ जायेंगे और परसों से रस्में शुरू हो जायेंगी “

तीनों अपने कमरे में चले गए…. आदित्य जब कमरे में पहुँचा तो राधिका जाग रही थी और मोबाइल में कुछ देख रही थी…

आदित्य आया तो उसने कहा – आ गए आप?

“हम्म आप सोयी नहीं ? “

नहीं मैं मोबाइल देख रही थी ..

आदित्य कपड़े चेंज करके आया और बेड पर बैठ गया….

क्या हुआ आप परेशान लग रहें है?? – राधिका ने पूछा

आदित्य ने राधिका से कहा – हाँ थोड़ा सा…

मैं समझ सकतीं हूँ इस शादी को लेकर आप परेशान है…. लेकिन मत हो आप परेशान हम सब साथ है कुछ नहीं होगा आप शांत हो कर सो जाइए..

आदित्य राधिका की गोदी में सिर रख कर लेट गया…. राधिका उसके बालों को सहला रही थी…. आदित्य कुछ देर में सो गया….. राधिका ने देखा वो सो गया उसने आदित्य को हिलाना ठीक नहीं समझा वो वैसे ही बेड पर सो गयी…

अगले दिन रिश्तेदारों का आना सुबह से ही शुरू हो गया….. सब लोग काम में लगे हुए थे…. रुपाली ने सबको आदित्य, राधिका, कावेरी और बाक़ी सबसे मिलवाया…..

हल्दी का दिन….. राधिका कावेरी हल्दी की रस्म के लिए तैयार कर के ले आयी थी

राघव को आदित्य ले आया था… दोनो को थोड़ी थोड़ी दूरी पर बैठा दिया….. रुपाली ने पहले राघव को हल्दी लगायी फिर कावेरी को……. ऐसे ही शीतल और राधिका ने भी किया….. बाक़ी रिश्तेदारों ने भी दोनों को हल्दी लगायी…

राधिका को शरारत सूझी उसने अपने दोनों हाथों में हल्दी थोड़ी सी हल्दी लगायी अपने हाथों को पीछे किया  और आदित्य को इशारा करके बुलाया

आदित्य उसके पास गया तो उसने पूछा – क्या हुआ आपने बुलाया ??

राधिका ने अपने दोनों हाथों से आदित्य के गाल पर हल्दी लगायी और बोली – इसलिए बुलाया … और हँसने लगी

आदित्य ने अपने गाल पर हाथ लगाया तो बोला – अरे ये क्या आपने मुझे क्यो हल्दी लगा दी….??

राधिका खड़ी हुयी हँस रही थी वो बोली – बड़े सुंदर लग रही है हल्दी आपके गालों पर

आदित्य ने कहा – रुकें आप अभी मैं बताता हूँ आपको राधिका वहाँ से भागी तो आदित्य उसके पीछे भागते हुए बोला कहाँ भाग रहीं है आप?

आदित्य ने थोड़ी देर में राधिका को पकड़ लिया और उसका हाथ पकड़ते हुए बोला – “मैं भी आपको सुंदर बना दूँ  ….

“कुँवर छोडिए कोई देखगा तो क्या कहेगा?”

“कुछ भी कहे……हल्दी तो हम आपके लगाएंगे ही “

“लेकिन है कहाँ हल्दी आपके पास जो लगाएंगे ” ?? राधिका ने पूछा

राधिका अपना हाथ छुड़ाने लगी लेकिन आदित्य उसके बहुत क़रीब आ गया उसने- कहा – ” बिल्कुल है ….कहते हुए उसने  अपने  गालों से उसके गालों को छुआ तो राधिका हैरान रह गयी और शर्म से उसकी आँखे झुक गयी….. आदित्य ने उसके दूसरे गाल पर भी ऐसे ही हल्दी लगायी और उसे गले से लगा लिया….. राधिका आदित्य के गले से लगी हुयी मुस्कुरा रही थी…”

हल्दी की रस्म अच्छे से हो गयी….. रात को सबके मेहंदी वाली ने आकर मेहंदी लगायी…

अगले दिन सारे रीति रीवाज़ों के साथ राघव और कावेरी की शादी हो गयी…..!!!

कहानी का ये भाग आशा करती हूँ पसंद आया होगा…. 

अगला भाग

दास्तान इश्क़ की (भाग -31)- अनु माथुर : Moral stories in hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर 

1 thought on “दास्तान इश्क़ की (भाग -30)- अनु माथुर : Moral stories in hindi”

  1. अति सुंदर आगे की कहानी का इंतजार बहुत होगा

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