Moral Stories in Hindi : रागिनी आज सुबह से ही बहुत उदास थी। वह बैंक से लौट कर आई तभी से अपने फ्लैट की गैलरी में लगे झूले में बैठी ढलती शाम में अपने घर लौटते कलराव करते पंछियों को देख रही थी। कभी वह भी इसी तरह खुश होकर अपने घर को आती थी ।
पर आज वह बैठी कभी आसमान कभी उसके सामने कैनवास पर लगी एकअधूरी पेंटिंग को देख रही थी जिसको उसने आज पूरे एक साल बाद खोला था ,उसकी आँखों मे से आँसू निकल उस पेंटिग को भिगोने लगे।वह कई जगह से उखड़ गईं थी उसके उजले रंग मटमैले हो गए थे।
पर कैनवास पर बिखरे यादों के रंग अब उसे धुंधले से दिखाई दे रहे थे।
वह अपने अकेलेपन से जूझ रही थी।
आज फिर उसको वह दिन याद आने लगे थे जब वह और राहुल दोंनो ही कितने खुश थे एकदूसरे को पाकर
दोनों ने ही मनपसन्द से ही शादी की थी ।वह दोनों एक ही बैंक में नौकरी
करते थे ।
राहुल से मुलाकात के बाद उसकी जिंदगी में रंग छा गये थे।
वैसे भी वह रंगों से खेलना पसंद करती थी ।और अक्सर खाली वक्त में कैनवास पर रंगों से उड़ेल अपने मनोभावों को व्यक्त करती थी।
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शादी के बाद उसने अपने ही हाथों से कलाकृति बनाबनकर घर को सजाया था।
आज बहुत दिनों बाद कैनवास पर रंग उड़ेले और पेंटिंग बंनाने लगी थी वह ,राहुल पीछे से आया और उसको बाहों में भरकर बोला क्या बना रही हो मेरे रंगों की रानी तुम आज, वह मुस्कुरा कर बोली मेरे सपनों का घर मेरी प्यारी दुनिया। राहुल देखो और
“”उसे दिखाने लगी पेंटिग आधी बनी थी पर बहुत खूबसूरत थी पहाड़ो के बीच से निकलता सूरज
उस पर आसमान में उड़ते पंछियों के जोड़े , उसपर एक खूबसूरत बगीचे से घिरा हुआ एक घर था'””।
तरह तरह के फूलो से भरी बगियाँ थी उसमें एक पौधे पर दो खूबसूरत फूल एक दूसरे के पास लगे एकदूसरे से मानो बातें कर रहे हो।
वह कहने लगी राहुल जानते हो इस पेंटिग में क्या दिख रहा है देखो यह उड़ते सुंदर पंछी का जोड़ा ये मैं ओर तुम हो।
यह हमारा छोटा सा घरौंदा है और यह दो प्यारें फूल देख रहे हो यह हमारी बगियाँ में खिलने वाले दो फूल है।
जिनके आने से हमारा घर खुशियों से भर परिपूर्ण हो जायेगा। और उसको वापस ढक दिया था पूरा करने के लिये।
इसी बीच उसका प्रमोशन हुआ और उसे मैनेजर बनाकर दूसरी बैंक में भेज दिया गया।
बड़ी पोस्ट होने के कारण उसकी जिम्मेदारियां भी बढ़ने लगी थी।
वह कई बार बैंक से आने में लेट हो जाती थी।
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यही से उसकी जिंदगी में एक तूफान आ गया राहुल के अंदर उसके प्रमोशन को लेकर एक कुंठा सी आ गई थी। रागिनी की जगह बैंक में सोनल नाम की लड़की आ गई थी।
उसकी व राहुल की दोस्ती हो गई और धीरे धीरे वह एक दूसरे के नजदीक आ गये थे। वह दोनों अक्सर साथ समय बिताने लगे ।
राहुल भी अब अक्सर देर से आता और कुछ ना कुछ बहाने बनाता।
पर उससे बहुत प्यार करने वाली रागिनी उसपर विश्वास करती रही । वह राहुल के अंदर आ रहे बदलाव व दूरियों को भी महसूस नही कर सकी थी।
आज उसकी शादी की सालगिरह थी
आज उसने सोचा कि वह राहुल को अपना पूरा समय देगी इस कारण उसने बैंक से छुट्टी ली थी।
पर आज सुबह ही राहुल जल्दी उठकर कही चला गया था ।
दोपहर तक रागिनी ने उसके मन पसन्द का खाना बनाया व खुद भी अच्छे से तैयार होकर उसका इंतजार करने लगी,बहुत देर तक जब राहुल नही आया तो उसने फोन भी लगाया
पर वह बन्द आ रहा था। वह अब मन ही मन घबरा गई थी।
तभी डोरबेल बजी उसने जल्दी से दरवाजा खोला तो कोई लड़का था उसने उसको एक लिफाफा दिया और बोला राहुल जी ने आपको देने को बोला है।
जैसे ही उसने लिफाफा खोला उसमे एक खत के साथ तलाक के पेपर थे जिस पर राहुल के साइन थे।
वह रोने लगी और खत पढ़ने लगी थी।
“रागिनी मैं तुमसे बहुत दूर जा रहा हूँ मैंने सोनल से शादी कर ली है ।
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तलाक के पेपर भेज रहा हूँ साइन कर देना । मेरी तरफ से तुम आजाद हो” ….राहुल ।
उस दिन वह बिल्कुल टूट गई थी, उसको अपने चारों औऱ घना अंधकार दिखाई दे रहा था बस।
वह एक बार राहुल से उसकी गलती पूछना चहाती थी ,पर वह उसके बाद सिर्फ कोर्ट में मिला तलाक के समय बिन कुछ बोले उसको अनदेखा कर
मानो वह कोई अजनबी हो उसके लिये ।
आज एक साल बाद उस पेंटिंग को और धुंधले पड़े उजड़े रंगों व उस उजड़े घरौंदे को देख रही थी और देख रही थी अपने छोटे से उजड़े घर को जो कि कभी उसने कभी राहुल के साथ मिलकर सजाया था ।
मंगला श्रीवास्तव इंदौर
स्वरचित मौलिक रचना