पहले दोस्ती फिर पति पत्नी का रिश्ता। – संगीता अग्रवाल 

दरवाजे के खुलने की आवाज़ आते ही आराम से अध लेटी नववधु संजना ने उठकर अपना घूँघट ठीक करना चाहा ।

“नही नही रहने दीजिये इस फॉर्मेलिटी की कोई जरूरत नही वैसे भी मैने आपको कितनी बार तो देख लिया है !” रोहन मुस्कुराते हुए बोला।

“जी !” संजना ने इतना बोल सिर झुका लिया।

” आप चाहे तो चेंज कर सकती है इतने भारी कपड़ों मे अजीब लग रहा होगा ना आपको !” रोहन उसके पास बैठता हुआ बोला।

संजना को बड़ा अजीब लगा पर फिर भी उसने अपना नाईट सूट निकाला और बदलने चल दी। कपड़े बदलते बदलते सोचने लगी ये कैसी सुहागरात है। मेरी सहेलियो ने तो कुछ ओर ही बताया था कि पति आता है घूँघट हटाता है , मुंह दिखाई देता है पर यहाँ तो ऐसा कुछ नही हुआ कही ऐसा तो नही कि रोहन को मुझमे कोई इंटरेस्ट ही नही कही वो किसी ओर से प्यार तो नही करता है। ये सोच कर ही उसकी आंखे नम हो गई पर फिर भी खुद को संभालते हुए वो कपड़े बदल कर आ गई।

” अब ठीक है अब आप आराम से बैठिये !” रोहन उसे देख बोला।

” रोहन क्या आपकी मेरे साथ जबरदस्ती शादी हुई है ?” संजना से जब नही रहा गया तो उसने पूछ ही लिया।

” नही तो आपको ऐसा क्यो लगा ?” रोहन ने कहा।

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” वो आप …हम..असल मे ना आपने मेरा घूँघट उठाया ना कोई बात की सीधा कपड़े चेंज करने को बोल दिया जबकि सुहागरात मे ये सब थोड़ी होता है!” झिझकते हुए आखिरकार संजना ने अपने मन की बात बोल ही दी।

” अच्छा जी आपको बड़ा पता है सुहागरात मे क्या होता है तो जरा मुझे भी बताइये क्या होता है ?” संजना की बात सुन रोहन  हंस पड़ा और उसे छेड़ते हुए बोला।

” वो …वो ..नही मुझे नही पता मैने तो बस फिल्मों मे देखा है !” संजना शर्माते हुए बोली।

” हाहाहाहा …देखो संजना ये जिंदगी है कोई फिल्म नही जो 3 घंटे मे पूरी हो जाये …समझी आप ..और सुहागरात का असली मतलब होता है एक दूसरे को जानना समझना जिससे आने वाली जिंदगी पति पत्नी खुशी खुशी बिता सके ।” रोहन पहले तो संजना की बात सुनकर हंसा फिर एक दम संजीदा हो बोला।

” आपको क्या जानना है मेरे बारे मे ?” संजना रोहन को इस तरह हँसता देख झेंप सा गई थी।

” सिर्फ मुझे नही आपको भी मेरे बारे मे जानना है , एक दूसरे की पसंद नापसंद , इच्छा एक दूसरे के घर वालों के बारे मे जानेगे तभी तो दोस्त बनेगे हम और धीरे धीरे अच्छे दोस्त बनेगे वैसे आपको पता है दो अच्छे दोस्त पति पत्नी बहुत कमाल के बनते है।” रोहन हंस कर बोला।




 

” जी !” संजना केवल इतना बोली।

” देखो संजना मैं जानता हूँ आपके मन मे बहुत से सवाल होंगे पर इतना यकीन रखो मेरी जिंदगी मे आपके सिवा कोईनहीं है ऐसा भी नही कि मुझे आपमें इंटरेस्ट नही मेरी शादी आपसे मेरी रजामंदी से हुई है पर आप जानती है शादी से पहले हमारी ज्यादा बात नही हुई इसलिए मैं कि की रात आपसे दोस्ती करके कुछ आपके बारे मे जानना चाहता हूँ कुछ अपने बारे मे बताना चाहता हूँ तभी पति पत्नी का रिश्ता आगे बढ़ाना चाहता हूँ क्या आपको मेरी दोस्ती मंजूर है ?” रोहन ने अपना हाथ आगे करते हुए कहा।

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” जी बिल्कुल ..और सॉरी मेने आप पर शक किया साथ ही थैंक यू सो मच इस दोस्ती के लिए !” संजना उसका हाथ पकड़ कर बोली।

” मैडम दोस्ती में नो सॉरी नो थैंक यू समझी !” रोहन अदा से बोला तो संजना खिलखिला कर हंस दी उसके बाद दोनो ने ढेरों बातें की सुबह तक दोनो एक दूसरे को बहुत अच्छे से समझने लगे थे ।

” चलिए अब थोड़ी देर सो जाते है !” रोहन ने संजना का माथा चूमते हुए कहा।

संजना जो रात को असमंजस में थी अब खुद को ख़ुशक़िस्मत मान रही पर जो पति के रूप में इतना अच्छा दोस्त जो मिला उसे ।

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल 

 

 

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