बद्दुआ – प्रतिमा श्रीवास्तव

अम्मा भूखी हूं दो दिन से कुछ खाने को दे दो। मेरे बच्चों ने भी कुछ नहीं खाया है। दरवाजे पर खड़ी एक भिखारिन जो भूख से तड़प रही थी और उसकी आवाज भी धीमी सी पड़ने लगी थी।बार – बार पूकार रही थी तभी घर की मालकिन सरोजा जी बाहर आईं और उस पर … Read more

एक मुक्का – लतिका श्रीवास्तव

अन्ततः दांत के डॉक्टर के पास मुझे जाना ही पड़ा .. बकरे की मां कब तक खैर मनाती..!डेंटिस्ट के यहां से घर वापिस आकर बैठा ही था कि पड़ोसी श्यामलाल टपक पड़े।पत्नी से बर्फ लेकर दांत की सिंकाई के लिए तत्पर होता मैं असमय आए श्यामलाल को देख चिढ़ गया।आ गया घाव पे नमक छिड़कने। … Read more

बद्दुआ – दीपा माथुर

शहर के एक छोटे मोहल्ले में, चमचमाती इमारतों के बीच, एक टूटी-फूटी झोपड़ी थी। वहीं रहता था सद्दू — बारह साल का दुबला-पतला बच्चा। माँ पहले ही गुजर चुकी थी और पिता रिक्शा चलाकर जैसे-तैसे पेट पालते थे। घर में चार छोटे भाई और दो बहनें… ज़िम्मेदारी का पहाड़ उस नन्हे कंधे पर था। बच्चा … Read more

रिटायरमेंट – दीपा माथुर

लोग रिटायरमेंट के बाद बीमार क्यों होने लगते है? गार्डन में बोल उछालते हुए अवि ने धीरज से पूछा धीरज ;” हु मेरे दादा जी भी बीमार रहते है दादी दिनभर काम करती है मेरी हर जरूरत का ख्याल रखती है मम्मी,पापा सर्विस पर जाते तो पीछे सारा काम करती है तो व्यस्त रहती है। … Read more

दूसरी पारी – शिव कुमारी शुक्ला

समीर जी के रिटायरमेंट का समय जैसे -जैसे पास आता जा रहा था उनका उत्साह,जोश भी उतना ही बढ़ता जा रहा था।वे अब अपने लिए जीना चाहते थे।जीवन के एक -एक पल का भरपूर आनंद उठाना चाहते थे।जिन खुशियों की चाहत में पूरा जीवन तरसे उन्हें अब उन्हें दोनों हाथों से समेट लेना चाहते थे। … Read more

बद्दुआ लेने वाले काम ही न करो – विमला गुगलानी

“ नई ममी आ गई, नई ममी आ गई” चार साल की रूही खुशी में चिल्लाते हुए बोली।बाहर बाजा बजने की आवाज आ रही थी। कैलाशवती ने आरती की थाली तैयार कर रखी थी। दुल्हा , दुल्हन का पूरे रीति रिवाज से स्वागत किया गया।       जब सब हो गया तो कैलाशवती ने बेटी स्नेहा को … Read more

बचपन की यादें – रीतू गुप्ता

मामू की शादी में सभी बरसों बाद मिल रहे थे। मामू, मौसी और मम्मी तो कभी मुस्करा रहे थे कभी आंख भर लेते । नानी बार बार तीनों बच्चों को, नाती-नातिन को साथ देख बलाएं ले रही थी। “देख रही हो सुगंधा …आज पूरा घर बच्चों के ठहाकों से गूंज रहा है” ~ नानू बोले।  … Read more

बददुआ – खुशी

दुआ और बददुआ ऐसे शब्द है जिनमें सिर्फ एक ही अक्षर का फरक है।दुआ किसी को लग जाए तो आदमी के बारे न्यारे करती हैं और बददुआ जिसे लग जाए उसका सब कुछ छीन लेती हैं। दया और माया दो बहने थी। अपने माता पिता रजत और कमला की दो संतान दया और माया।दया बचपन … Read more

मेरी यादों में दूर्गापूजा – डाॅ उर्मिला  सिन्हा

दशहरा ..शारदीय नवरात्रि के दशमी को नीलकंठ पक्षी का  दर्शन अत्यंत शुभ माना जाता है.. अतः आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है  -नीलकंठ, हे भोलेनाथ आप सभी को सपरिवार विजयादशमी की हार्दिक  शुभकामनाएँ  बधाई.. मां भगवती की  कृपा बनी  रहे।बडों को चरणस्पर्श और छोटों को शुभाशीष..  मेरी यादों में—दुर्गापूजा डॉ उर्मिला सिन्हा    बरसात में निरन्तर … Read more

“हम साथ साथ है” – रीतू गुप्ता

नताशा और उसका परिवार अभी अभी नयी सोसाइटी में शिफ्ट हुआ था । इसी सोसाइटी में उसकी कजन मधु रहती थी। जिस कारण उसे शिफ्ट होने में .. नए दोस्त बनाने में कोई मुश्किल नहीं आयी। मधु की ही सहेली नीलम उसकी भी अच्छी दोस्त बन गयी।   तीनों की दोस्ती सोसायटी में जल्दी ही मशहूर … Read more

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