इत्ती सी बात – लतिका श्रीवास्तव

शहर की व्यस्ततम सड़क। भारी ट्रैफिक ।आवाजाही का शोर।ग्रीन सिग्नल की प्रतीक्षा में कतारबद्ध खड़ी गाड़ियां।आज कुछ ज्यादा ही भीड़ थी। अनुराग का धैर्य समाप्ति पर था।उसका इंटरव्यू था ।टाइम पर पहुंचना कितना बहुमूल्य था आज समझ में आ रहा था उसे। कार की स्टीयरिंग में ठहरे हाथ उतावले हो रहे थे।सिग्नल के परमिशन की … Read more

क्रोध – एम पी सिंह

रामलाल एक माध्यम परिवार से था और पढ़ने मैं बहुत तेज। रामलाल के पिताजी सोहनलाल जी प्राइवेट बैंक मे क्लर्क थे और माताजी गृहणी। रामलाल को पढ़ाई के आलावा कोई शौक नहीं था, किसी से भी ज्यादा बातें नहीं करता था, बस अपनी मॉ से लगाव था। वैसे तो सोहनलाल एक नेक इंसान था पर … Read more

कर्मों का फल – सुनीता माथुर

बहुत समय पहले एक गाँव में हरिदास बहुत ही मेहनती किसान था लेकिन स्वभाव से बहुत आलसी था जब मौसम आता, तो वह बीज तो बो देता, मगर समय पर सिंचाई और निराई-गुड़ाई नहीं करता हरिदास के बचपन का दोस्त गोपी भी इसी गांव में रहता था और उसके पास ही उसका खेत था लेकिन—— … Read more

रिटायरमेंट – क़े कामेश्वरी

श्रेया सुजाता को फोन कर रही थी और वे उठा नहीं रही थी । श्रेया को चिंता होने लगी कि माँ एक रिंग में ही फोन उठा लेती हैं आज क्या हुआ है जो फोन नहीं उठा रही है । उसी समय सुजाता ने फोन उठाया और हेलो कहा । माँ आपको फोन उठाने में … Read more

स्त्री कभी रिटायर नहीं होती – कमलेश राणा 

अरे भाई सुरैया कहां हो तुम सुबह से चाय का रास्ता देख रहा हूं लेकिन अभी तक तुम्हारा कुछ अता- पता ही नहीं है।पहले तो तुम जॉब करती थी तो व्यस्त रहती थी.. मन को तसल्ली थी लेकिन अब तो रिटायर हो गई हो तो लगता है और भी ज्यादा बिजी हो गई हो। अरे … Read more

इतनी-सी बात – विभा गुप्ता

      ” अम्मा जी..जब दिखता नहीं है तो चुपचाप अपने कमरे में ही क्यों नहीं बैठी रहतीं।इतना मंहगा कप तोड़ दिया आपने..मेरा भाई कनाडा से लाया था..आपके बेटे की तो औकात है नहीं कि इतना मंहगा…। ” प्रमिला अपनी बूढ़ी सास पर बरस रही थी कि तभी उसका देवर निशांत आ गया।माँ पर बरसते अपनी भाभी … Read more

रिटायरमेंट – सोनिया अग्रवाल

मोबाइल पर जैसे ही बैंक खाते में पैसे प्राप्त होने का मैसेज मिला तो बुजुर्ग रामलाल जी के चेहरे पर मुस्कान की एक लकीर चमक गई। देखते ही देखते आँखें नम हो गई तो जल्दी से बेटी सपना को फोन कर घर आने के लिए बोल दिया। मासिक पगार  तय तिथि पर आ जाने की … Read more

उधार का अमीर

दोस्तो, यह कहानी नहीं, एक सच्ची घटना है, जो पिछले एक वर्ष से भारत के हर शहर में नित नए रुप में किरदारों के नाम बदल कर घट रहीं है …. (यह  कहानी प्रधान मंत्री जी के आवहान पर इस ग्रुप के सदस्यों को समर्पित…) 100 नम्बर की एक गाड़ी मेन रोड पर एक दो … Read more

मन मार कर जीना भी कोई जीना होता है । – बीना शर्मा

रघुनाथ जी कई दिनों से देख रहे थे उनके बेटे रजत की पत्नी माधुरी पिछले कई दिनों से बेहद उदास रहती थी हर पल कुछ ना कुछ गुनगुनाने वाली बात बात पर खिल खिलाने वाली माधुरी आजकल बेहद खामोश रहती थी। माधुरी का उदास चेहरा देखकर रघुनाथ जी बेहद दुखी थे। महीने भर पहले ही … Read more

विषवृक्ष – रवीन्द्र कान्त त्यागी

छोटे से कस्बे में मेरा आई.आई.टी में उच्च श्रेणी प्राप्त करना कई दिन चर्चा का विषय रहा था. पहले महीने ही एक अंत्तराष्ट्रीय कंपनी में अच्छे पॅकेज की नौकरी लग जाने के बाद पिताजी ने वधु तलाश कार्यक्रम शुरू कर दिया था और ये स्वाभाविक भी था. महानगर की एक पौष कॉलोनी में प्रशासनिक अधिकारी … Read more

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