आप से बाहर होना – रीतू गुप्ता

कविता का दिमाग खराब हो रहा था .. अकेली.लगी पड़ी थी काम पर … त्यौहार आ रहे थे पर मजाल है बच्चे थोड़ा साथ देदे .. बेटा अमन जो कि मोबाइल पर गेम खेल.रहा था…. अमन जब देखो तब मोबाइल देखते रहते हो.. मोबाइल बंद करते हो तो टीवी चला लेते हो …टी.वी बंद तो … Read more

कॉफी में छुपा प्यार – श्वेता अग्रवाल

“आराध्या, उठ जा बेटा। ले कॉफी पी ले। फिर अपने घाघरे की फिटिंग देख लेना।” माॅं की प्यार भरी आवाज सुनकर आराध्या उठ बैठी और माॅं के हाथ से काफी का मग लेकर काफी पीते पीते अपनी माॅं से बातें करने लगी। कुछ देर तक बेटी की प्यारी बातें सुनने के बाद कुंतल बेचैन होकर … Read more

रिश्ते अहंकार से नहीं त्याग और माफी पर टिकते हैं – विनीता सिंह 

गांव में एक बड़ी सी हवेली थी उस हवेली के मालिक सेठ मूलचंद जी थे। उनकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी, उनकी एक छोटी सी बच्ची जिसका नाम मीनाक्षी था जिसे सेठ जी ने बड़े लाड़ प्यार से पाला था उन्होंने अपनी दूसरी शादी भी नहीं की उनकी बेटी को कोई सौतेली मां परेशान ना … Read more

मन का रिश्ता – करुणा मलिक 

केतकी ! ऊपर वाले स्टोर की सफ़ाई करवा देना  किसी को कहकर कल । कल…. मैं आज  खुद ही सफ़ाई कर दूँगी । कल  सुबह तो अरुण आएगा  भाभी ।  अच्छा….. हाँ…. दिमाग़ से ही निकल गया था ।  सचमुच  बहुत मुश्किल रास्ता तय किया है तूने ।  हाँ भाभी, रास्ता तो कठिन था पर … Read more

“काॅंख में छोरा, गाॅंव में ढिंढोरा” – श्वेता अग्रवाल

नीरजा अपनी चचेरी बहन चेरी की शादी में जयपुर आई थी। उसकी शादी के बाद पीहर में यह पहला बड़ा फंक्शन था तो वह इसे लेकर बहुत एक्साइटेड थी। बचपन से ही सजने-संवरने की शौकीन नीरजा अपनी सबसे अच्छी-अच्छी ड्रेसेस छाँट कर लाई थी इस शादी में।आखिर आज मौका भी था और दस्तूर भी। रही-सही … Read more

माता पिता भगवान का दूसरा रूप होते हैं – बीना शर्मा

उम्र 65 घुटनों में दर्द कहां तक वह भागदौड़ कर सकती थी अपने और अपने पति के लिए खाना बनाते बनाते सरला देवी मन ही मन यही सोच रही थी जिस उम्र में औरतें आराम से बैठकर खाना खाती हैं उस उम्र में वह अभी घर का सारा काम करती थी।        कितने चाव से उसने … Read more

रौशन घर, अंधियारा मन – सविता गोयल

अरे वाह, बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है क्या बना रही हो श्रीमती जी?? घर में घुसते हीं रसोई से आती देसी घी की खुशबू सूंघते हुए मनोहर जी बोले। अजी देसी घी के लड्डू बना रही हूँ। राज को तो बहुत पसंद हैं मेरे हाथ के लड्डू। इस बार दिवाली पर जब राज बहू … Read more

मैं मां हूं ना – बीना शर्मा

कभी-कभी प्यार भरा मन भी रिक्त हो जाता है कमला देवी ने कितने प्यार से अपने बेटे रवि के जन्मदिन की तैयारी की थी । आज रवि का जन्मदिन था। इसलिए उसने सोचा आज रवि की पसंद का चॉकलेट वाला केक, मटर पनीर की सब्जी, गाजर का हलवा, बूंदी का रायता और खसता कचोरी बनाकर … Read more

आँखों देखा कहर – रवीन्द्र कान्त त्यागी

सोने की तैयारी में खाट पर लेटे लेटे मिट्टी के तेल की रोशनी में मेरा ध्यान अचानक खूंटी पर लटके बाबा जी के कुर्ते की जेब पर गया। एक बोतल का ढक्कन सा बाहर झाँक रहा था। बिस्तर छोड़कर उत्सुकता व आश्चर्य से मैंने उनकी जेब को टटोला तो वहां शराब का एक भरा हुआ … Read more

रिटायरमेंट – रंजीता पाण्डेय

शर्मा जी सरकारी स्कूल में अध्यापक थे।उनके परिवार में उनका बेटा रोहनऔऱ उनकी पत्नी रमा जी थी। रमा जी बहुत ही ज्यादा पढ़ी लिखी ,समझदार महिला थी। रमा जी जब शादी करके आयी ,तभी शर्मा जी से बोली की मैं भी कोई नौकरी करना चाहती हूँ। लेकिन शर्मा जी हर बार टाल जाते, की रमा … Read more

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