भले घर की बहु – सुनील शर्मा : Moral Stories in Hindi

जब कलम लेकर लिखने बैठता हूं तो अपने आस पास बिखरी सैंकडों कहानियां पाता हूं जिनके किरदार आगे आ आकर कहते हैं कि उन पर भी कुछ लिखूं. आज यादों में ऐसा ही एक किरदार उभर कर आया, हमारी गली के नुक्कड़ पर बैठा मोची…रामलाल जबसे होश संभाला, रामलाल को मैंने हर रोज़ बिना नागा … Read more

बहू ससुराल को करे तो अच्छी पर बेटा ससुराल को करता बुरा क्यों लगता… – रश्मि प्रकाश 

“ देखो तुम्हारी चिंता तो जायज है, पर ये भी तो समझो ना वो भी अब उसका ही परिवार है….. सरला अपने बच्चे पर भरोसा रखो….एकतो तुम्हारी वो बेकार सी सहेलियाँ जाने क्या पटी पढ़ा जाती तुम्हें और तुम बस चिन्ता में मरी जाती हो…. अरे अपने दिए संस्कार परभरोसा तो रखो…बेकार की चिंता कर … Read more

आशीर्वाद

“बाबूजी, खाना रख दिया है, खा लीजिए।”रीना, महेश जी के पलंग के पास पड़ी मेज़ पर थाली रखते हुए बोली। “बहु, पता नहीं क्यों आज खाना खाने का मन नहीं कर रहा है। दोपहर का खाना लग रहा है कि जैसे अभी पेट में रखा हो। न हो तो एक गिलास दूध दे दो, खाना … Read more

माँ का कर्ज

“बेटा, क्या तूने सचमुच घर जमाई बनने की ठान ली है?” “हाँ माँ, इसके अलावा कोई चारा नहीं है। अब कंपनी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है, इसलिए कंपनी बंद कर दी गई है और कंपनी में काम करने वाले हम सब बेरोज़गार हो गए हैं। भला हो कि पारुल के मायके वालों ने अपनी … Read more

पिता की अमानत – ज्योति आहूजा 

जयपुर के शास्त्री नगर में रहने वाले विवेक जी का नया मकान अब मोहल्ले में चर्चा का विषय था। जहाँ विवेक अपनी पत्नी कंचन, दस वर्षीय बेटे विवान और पिता रामप्रसाद जी के साथ हाल ही में रहने लगे थे। वो आलीशान मकान विवेक की मेहनत, बड़ों के आशीर्वाद एवं तरक्की का जीता-जागता उदाहरण था। … Read more

जहां चाह वहां राह – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

आज दीप्ति असमंजस में थी। वह जिस जगह खड़ी है वही उसके जीवन में बहुत पहले घटित हो चुका था। आरोही और आरव दोनों दीप्ति के जुड़वा बच्चे थे। दोनों बच्चे साथ- साथ बड़े हुए। दोनों बच्चे संस्कारी एवं पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। देखते-देखते कब बारहवीं पास कर लिये, पता ही नहीं चला।  दोनों … Read more

बड़ा भाई – कविता झा ‘अविका’ : Moral Stories in Hindi

रिक्शे पर बैठी ही थी आरोही कि आसमान में डेरा जमाए काले बादलों ने बरसना शुरू कर दिया। वैसे  तो काफी देर से उसे लग रहा था बारिश होने वाली है। उसकी ट्रेन का समय हो रहा था। जल्द से जल्द उसे स्टेशन पहुंचना होगा वरना बहुत देर न  हो जाए और वो कभी अपने … Read more

अपनों की पहचान -सुनीता वर्मा

आठ बज चुके थे |दुकान बंद करने का समय हो चुका था , इसलिए ‘एरा कॉर्नर’बुटीक का शटर गिरा कर कनु जैसे ही सीढ़ियों से नीचे उतरी ,सामने के मेडिकल स्टोर पर उसे एक परिचित चेहरा दिखा |नाम स्मरण आते ही उसकी आँखें खुशी से चमकने लगीं |जल्दी –जल्दी सड़क पार कर उसने नजदीक पहुँच … Read more

झूठे दिखावे से जिंदगी नहीं चलती – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi :

आज फिर नीता के ही दोनों बच्चे विनर घोषित किए गए हैं। स्कूल मैं फैंसी ड्रेस शो था। मीनल ने अपने बच्चों को फैंसी ड्रेस  शो में बेटी को फूल और बेटे को खरगोश बनाया था और इसके लिए वह बाजार से काफी महंगी ड्रेस किराए पर लाई थी, इसके विपरीत नीता ने बेटे को … Read more

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