अपनों की पहचान विपत्ति में ही होती है – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

सुमित बेटा… तू किसी भी तरह से जल्दी आजा… बहु को दर्द शुरू हो गए हैं तुझे तो पता है तेरे पापा को गाड़ी चलाना भी नहीं आता घर में गाड़ी होते हुई भी अपाहिज सी हो गई हूं, कैसे अस्पताल लेकर जाऊं दिमाग सुन्न हो गया है, उधर बहू दर्द के मारे चिल्ला रही … Read more

अकेलापन – रीटा मक्कड़  : Moral Stories in Hindi

“मम्मी जी ये लो आपकी चाय…” नीलू ने चाय की ट्रे हाथ मे पकड़े हुए जैसे ही सासु माँ के कमरे में अन्दर आने लगी तो देखा मम्मी जी अखबार हाथ मे पकड़े गुमसुम सी किसी और ही दुनिया मे खोई थी।उन्हें जैसे नीलू के आने का अहसास ही नही हुआ।जबकि रोज़ तो वो पहले … Read more

गृह प्रवेश

सोफे पर बैग पटकते हुए मीना धम्म से बैठ गई।सर भी भारी लग रहा था। इतने में मम्मी (पूनम जी) भी पानी लेकर आ गईं। “क्या हुआ मीना बेटा, बड़ी थकी-थकी सी लग रही हो। तबीयत तो ठीक है ना?” “हाँ, बस थोड़ा सर भारी है… ज़रा अपने हाथों से दबा दो ना।” कहते हुए … Read more

“कौन अपना, कौन पराया”

गिरीजा देवी का चेहरा उस दिन कुछ खास चमक रहा था। वजह थी – उनके सबसे बड़े बेटे नरेश की सरकारी नौकरी से रिटायरमेंट पार्टी।पार्टी बड़े होटल में रखी गई थी, पूरा परिवार सजधज कर पहुँचा था। गिरीजा देवी का छोटा बेटा महेश, उसकी पत्नी दीपा, और बेटी  प्रिया – सब व्यस्त थे मेहमानों को … Read more

दिखावे का सच – विजय लक्ष्मी : Moral Stories in Hindi

बरसों पुरानी हवेली का चौड़ा आँगन सुबह की धूप से नहा रहा था। तुलसी चौरे से आती सुगंध और रसोई से छनती बर्तनों की आवाज़ घर को जीवंत बना रही थी। यह था श्री धर प्रसाद जी का घर—गाँव का सम्मानित और सम्पन्न परिवार, जिसे लोग जमींदार जी कहकर पुकारते थे। श्री धर जी के … Read more

कभी हार नहीं मानना – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

    अजी सुनते हो, जंयत ने तो हमारी नाक कटवा दी, दूसरी बार भी उसका बैंक का पैपर क्लीयर नहीं हुआ, और वो देखो, तुम्हारा भतीजा रोनित , पिछली बार रह गया था लेकिन इस बार क्लर्क की नौकरी मिल गई। आज जब जिठानी मिठाई का डिब्बा देने आई तो बड़ी अकड़ में थी, मेरी तो … Read more

अपनों की पहचान -के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

गोविंद और रमा जिस ऑटो में बैठे थे , वह ऑटो गोविंद के घर के सामने रुकी । वह खुद उतरकर माँ को भी ऑटो से उतारकर उसने जल्दी से घर का दरवाज़ा खोल दिया और माँ से कहा माँ आज रुक जाएगी क्या? रमा ने उत्तर दिया कि नहीं पल्लवी की तबीयत ठीक नहीं … Read more

एन ० आर० आई – करुणा मालिक : Moral Stories in Hindi

मम्मी, रोज़ – रोज़ यहाँ नुमाइश लगाने की ज़रूरत नहीं है । मैं अपनी सहेली के घर जा रही हूँ , फ़ोन मत करना । मैं नहीं आऊँगी फिर मत कहना कि तुम्हारी बेइज़्ज़ती हो गई । सोना …. सुन तो सही , बहुत अच्छा खाते- पीते घर का लड़का है, सरकारी नौकरी है ।  … Read more

अपनों की पहचान – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

वक्त पड़ने पर ही पता चलता है कि कौन अपना है कौन पराया। कुछ भी कहो जो आपकी मुश्किल घड़ी में  काम आए वही रिश्ता ही अपना होता है। मनोज की पोस्टिंग मुम्बई में हुई थी।पूरा परिवार बहुत खुश था। बड़ा शहर चमक दमक, बात ही अलग थी। मनोज छोटे शहर से था तो उसकी … Read more

तमाशा – लतिका श्रीवास्तव :

Short Story in Hind शहर का व्यस्ततम चौराहा….शाम का समय। भारी भीड़,आवा जाही का शोर,एक के बाद एक वाहनों का पैदल यात्रियों का अनवरत तांता लगा था। वहीं फुटपाथ पर एक स्त्री बेहद अव्यवस्थित वेशभूषा जीर्ण वस्त्रों से अपने तन को ढंक पाने में पूर्ण अक्षम हालात की मारी निढाल पड़ी थी।आती जाती  छिद्रान्वेषण करती … Read more

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