हमारी ही जिम्मेदारी हैं सास – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

दीदी हमलोग बाहर जा रहें हैं, नहीं तो रख लेते अम्मा को। ये बात नई नहीं थी प्रीति के लिए उसकी देवरानी भाविका का हमेशा एक बहाना तैयार रहता था। प्रीति की सास उसके साथ ही रहतीं थीं लेकिन कभी भी जरूरत पड़ने पर सोचती की सासू मां को कुछ दिनों के लिए देवरानी के … Read more

जायदाद

निशा काम निपटा कर बैठी ही थी कि फोन की घंटी बजने लगी। मेरठ से विमला चाची का फोन था ,”बिटिया अपने बाबू जी को आकर ले जाओ यहां से। बीमार रहने लगे है , बहुत कमजोर हो गए हैं। हम भी कोई जवान तो हो नहीं रहें है,अब उनका करना बहुत मुश्किल होता जा … Read more

“अम्मा का कमरा”

रीना किचन में बर्तन समेट ही रही थी कि अचानक फोन की घंटी बजी।फोन उठाया तो गाँव से बड़े चाचा थे— “बिटिया, अम्मा अब बहुत बूढ़ी हो गई हैं। आँखों से कम दिखता है, घुटनों में दर्द है। अब अकेले रहना मुश्किल हो गया है। तुम लोग दिल्ली में हो, किसी के पास तो होना … Read more

माँ बिना पीहर नहीं, सासू बिना ससुराल नहीं

घर के आँगन में रौनक थी। आज सुषमा की ननद, किरण अपने मायके आई थी। पूरे दो साल बाद उसकी यह मायके यात्रा हुई थी। जैसे ही वह घर में दाखिल हुई, सुषमा दौड़कर उससे लिपट गई। “आइए दीदी, बहुत दिनों से आप नहीं आईं। हम सब आपको बहुत याद कर रहे थे। शायद पूरे … Read more

झूठे दिखावे से जिन्दगी नहीं चलती – अर्चना खण्डेलवाल

सुना है तेरी देवरानी ने नई कार ले ली है? और मिठाई भी नहीं खिलाई, सुलोचना ने पड़ोसन रजनी को कुरेदने की कोशिश की। रजनी ने  हंसी हंसते हुए हामी भरी, मिठाई तू  मेरी देवरानी से मांग आखिर तू उसकी भी तो पड़ोसन है। ये सुनते ही सुलोचना झेंप गई क्योंकि रजनी और उसकी देवरानी … Read more

झूठे दिखावे से जिंदगी नहीं चलती है – रेखा सक्सेना : Moral Stories in Hindi

रितिका बड़े उद्योगपति की बेटी थी। उसका जीवन महँगी कारों, आलीशान घर और शानदार पार्टियों से भरा था। कॉलेज में उसकी मुलाकात ऋषि से हुई, जो एक साधारण परिवार का ईमानदार और संस्कारी युवक था। ऋषि की सादगी ने रितिका का दिल जीत लिया। धीरे-धीरे दोस्ती प्रेम में बदली और एक दिन रितिका ने अपने … Read more

आत्मसम्मान –

“मम्मी जी, मैं जा रही हूँ इनके साथ। अब मुझे मत बुलाइएगा। यहाँ मेरी इज्ज़त नहीं, वहाँ मैं नहीं रहूँगी। फिर चाहे वह मेरा ससुराल ही क्यों न हो। मुझे मेरा आत्मसम्मान प्यारा है। और बड़े पापा जी ने जब मुझे घर से निकलने को कहा, तब आपने और पापा जी ने कुछ भी नहीं … Read more

बदलती ऋतु – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

गर्मियां जा रहीं थीं और सर्द हवाओं ने लोगों को राहत दिया था। हल्की-हल्की फुहार मन के किसी कोने में दबे जज़्बातों को कुरेदने को बेकरार थी। आरुषि चाय की प्याली लेकर बरमादे में जमीन पर ही बैठ गई थी।आज उसके अतीत ने उसे झकझोर दिया था। मृदुल की यादों ने उसे एक पल भी … Read more

आंखें नीची होना – गीता अस्थाना : Moral Stories in Hindi

नमिता जी को रिटायर हुए करीब एक साल हो रहा था। वे एक इण्टरमीडिएट स्कूल में सीनियर अध्यापिका के पद से रिटायर हुईं थीं। बड़ी कुशलता से उन्होंने अपना अध्यापन कार्य समाप्त किया था। उनके पढ़ाने का तरीका इतना रोचक होता था कि बच्चे उन्हीं से हिंदी विषय पढ़ना चाहते थे। कुछ अध्यापक भी अपने … Read more

झूंठा दिखावा – सुनीता माथुर : Moral Stories in Hindi

मीनल जब भी अपनी सहेली राखी के घर जाती राखी मीनल को नया- नया सामान बड़े चाव से दिखती देखा आज—– मैंने नया बेड खरीदा, पुराना टीवी वेंच दिया, नया टीवी बड़ा वाला खरीद लिया! कई बार तो राखी मीनल से कहती है—-अरे तुम्हारे पास तो साड़ी भी नहीं है—- देखो मैं 5000 की 10,000 … Read more

error: Content is protected !!