अपनों की पहचान – अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’ : Moral Stories in Hindi

प्लेटफ़ॉर्म नंबर 2 पर बारिश की ठंडी बूंदें लगातार गिर रही थीं। बूढ़ी महिला ट्रेन के एसी कम्पार्टमेंट से उतर, इधर-उधर घबराई सी अपने बेटे का इंतजार कर रही थी। उन्हें देख कर ही पता चल रहा था कि वे किसी सम्पन्न परिवार से संबंधित हैं। “माँ जी, आपका सामान उठा दूँ?” नंदू कुली ने … Read more

गुरुर

“मेरे पापा मेरा वो गुरुर हैं, जो आप तो क्या कोई भी नहीं तोड़ सकता। उन्होंने अपनी ज़िंदगी में ढेर सारा पैसा नहीं कमाया लेकिन मान-सम्मान बहुत कमाया। जो इंसान ज़िंदगी भर सर उठाकर चला है, उन्हें मैं अपनी वजह से आपके सामने सर झुकने नहीं दूंगी। मेरे पापा बगैर किसी गलती के आप लोगों … Read more

अपने अपनों की पहचान – ज्योति आहूजा : Moral Stories in Hindi

सुहानी और आकाश की शादी को दो ही साल हुए थे। मगर इन दो सालों में आकाश की एक आदत बार-बार सुहानी को भीतर तक चोट पहुँचाती रही। वह कभी अपनी पत्नी की तारीफ़ नहीं करता था। उसके शब्द हमेशा दूसरों की पत्नियों, भाभियों और कलीग्स की तारीफ़ में ही निकलते। कभी पड़ोसन रीना के … Read more

साथ – नीरज श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

कभी-कभी न चाहते हुए भी हम उस पल के साक्षी बन जाते हैं। जिसकी कल्पना हमने गलती से भी ना की हो। आज ऐसे ही पल के साक्षी नीरज और सुषमा बन चुके थे।           दर्द और वेदना की तूफानी लहरों ने आज सुषमा की आँखों में एक भयावह शैलाब को जन्म दे दिया था। रात्रि … Read more

आँखें नीची होना – रश्मि सिंहल : Moral Stories in Hindi

आज फिर वही दृश्य – फ्लाइओवर के नीचे एक नहीं, बल्कि दो तीन भिखारियों का परिवार फलफूल रहा है। हर परिवार के कम से कम आधा दर्जन बच्चे हैं जो मैले कुचैले  कपड़ों में इधर से उधर घूमते रहते हैं और भीख मांगने की कला को भी परिष्कृत करते जा रहे हैं।लालबत्ती पर गाड़ी रुकते … Read more

आंखें नीची करना – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

  मैं आज सुबह से ही अपने पन्द्रह वर्षीय बेटे साकेत को समझाने में लगी थी! देखो साकेत तुम अपने हर जन्मदिन पर बेवजह ही बेमतलब की चीजों की  फरमाइश करते रहते हो ! हम तुम्हें जितना भी दे दे ! तुम खुश नहीं होते हो । मगर क्या उन बेसहारा बच्चों के बारे में कभी … Read more

असली सुन्दरता – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

आज फिर घर में सुबह से ही अफ़रा-तफ़री मची हुई थीं घर की साफ-सफाई पर्दे सोफे के कवर सब बदले जा रहे थे रसोई में नाश्ते खाने की तैयारियों में स्नेहा की मां और बड़ी बहन लगी हुई थीं। यह सब देखकर स्नेहा मन-ही-मन दुखी हो रही थी उसके मन की उदासी उसके चेहरे पर … Read more

दिखावटी जिंदगी – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

अमित, सुनो ऑफिस जाने के पहले मुझे हज़ार रुपए देकर जाना,निभा नें अमित से रोटी बनाते हुए रसोई घर से कहा। हजार रुपए क्या करोगी,महीना का आखरी सप्ताह है,पैसे कहाँ है इतने मेरे पास?अमित के इतना कहते ही निभा रोटी बनाना छोड़कर ड्राइंग हॉल मे आकर बोलने लगी। मेरे लिए तुम्हारे पास पैसे रहते ही … Read more

ईमानदारी ही धन है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

        मालती का पति एक फ़ैक्ट्री में फोरमैन था।वो अपने पति और बेटे के साथ किराये के छोटे-से घर में बहुत खुश थी।उसके आसपास के घरों में भी फ़ैक्ट्री के ही वर्कर्स के परिवार रहते थें लेकिन उनका आर्थिक स्तर मालती से बहुत अच्छा था।उनके ठाठ-बाट देखकर उसका दस साल का मनु हमेशा उससे प्रश्न करता,” … Read more

झूठे दिखावे से जिंदगी नहीं चलती – आर. एस. कुमार : Moral Stories in Hindi

लंदन की चकाचौंध का बखान करते हुए जब बबलू हर शाम हाथ में दारू की गिलास लेकर बगल में बैठे अपने बहनोई को गरियाता है , उसकी बड़ी बहन खून के आंसू रोती है। अपने बहन बहनोई को भारत के गांव से लेकर आया बबलू डिंग हांकने में कोई कमी नहीं करता है। जबकि सच्चाई … Read more

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