कर्मो का फल – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

कोटा शहर की एक कॉलोनी जो हाऊसिंग बोर्ड के मकानों से बनी थी। जिसमें लगभग छोटे, मध्य एवं बड़े सब मिलकर लगभग तीन हजार के करीब मकान बने हुए थे। उन्हीं में एक मकान था चिरंजीलाल का जिसमें वह अपनी पत्नी एवं चार बच्चों के साथ सुख पूर्वक रहता था। दो बेटे एवं दो बेटियां। … Read more

शुरुआत कहीं से तो होती है – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

बहु, नंदिनी का रोका वह लोग अगले हफ्ते ही करना चाहते हैं। वह कह रहे हैं अनुपम को अगले महीने ही लंदन जाना है तो वह रोक करके जाना चाहता हैं, फिर एक साल बाद शादी। आशा जी ने अपनी बहू नम्रता से कहा नम्रता:   पर मम्मी जी, इतनी जल्दी सब तैयारी कैसे हो … Read more

अधूरी पूर्णता – अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’ : Moral Stories in Hindi

सुरभि ने रोहन के कॉलर को सँवारते हुए अचानक कहा— “चलो रोहन! क्यों न हम दोनों शादी कर लें?” रोहन ने हल्की मुस्कान के साथ उसकी ओर देखा और बोला— “अरे, ऐसी भी क्या जल्दी है? पिछले पाँच साल से तो हम बिना शादी के ही साथ रह रहे हैं।” सुरभि की आँखों में एक … Read more

दर्द के बदले दर्द ही मिलता है – बीना शर्मा : Moral Stories in Hindi

“अरे तुम फिर से कंपनी आ गई  तुम तो मना कर रही थीं  कि  मैं अब इस कंपनी में काम नहीं करूंगी आशीष के साथ शादी करके अपना घर बसाऊंगी” नेहा ने अपनी सखी सुनंदा से कहा जो आज कई  दिनो के बाद कंपनी में काम करने के लिए आई थी नेहा की बातें सुनकर … Read more

विश्वास घात – सरोजनी सक्सेना : Moral Stories in Hindi

रामकृष्ण और हरिकिशन एक छोटे से गांव में रहते हैं। दोनों ही खेत-खलिहान का काम करते हैं। सादा जीवन, उच्च विचार उनके अंदर कूट-कूट कर भरे थे। उनके विचारों से गांव के लोगों को पूर्ण संतुष्टि होती थी, जबकि दोनों किसान भाई अनपढ़ थे। कई बार गांव के लोग उनकी बातों की खिल्ली उड़ाते, परंतु … Read more

विश्वासघात अपनों से – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ माँ देखो… ताई जी और हर्ष आए हैं।” कविशा ने अपनी माँ जया से दरवाज़ा खोलते ही ज़ोर से बोली ये सुनते ही अपने कमरे में पति नवल के साथ बातचीत में व्यस्त जया की भौहें तन गई… ये दीदी आज अचानक हमारे घर क्यों आए हैं… ,”कहीं तुमने तो उन्हें नहीं बुलाया है?” … Read more

राधा स्वामी सदन – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

“राधा !ओ राधा, कभी तो एक बार में सुन लिया करो।चालीस साल हो गए हमारी शादी को।दुनिया कहां से कहां पहुंच गई, पर तुम जैसी की तैसी रह गई।एक तुम्हीं चलाती हो गृहस्थी इस दुनिया में।कमाल है भई।”  राधा को पति का यूं चिढ़कर ताने मारना बड़ा भाता था। जानबूझकर सुनती नहीं थी एक बार … Read more

लोभ का फल – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

 वैभव,वैभव कहते हुए माँ नें वैभव के कमरा मे प्रवेशकिया। बोलो माँ कुछ काम है क्या?तुम्हारी सारी तैयारी हो गईं?तो जाओ अब जाकर सो जाओ।कल सुबह पांच बजे के बस से चलेंगे तो समय पर भोपाल पहुंच सकेंगे और फ्लाइट पकड़ पाएंगे। सुबह जल्दी उठना पड़ेगा वैभव नें कहा।हाँ सोने ही जा रही थी पर … Read more

हिन्दी पर प्रहार -विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   रोज की तरह अपने सारे निपटाकर मानसी अपने बच्चों के पैरों में मालिश करने लगी।उसने पहले छोटे मनु की मालिश की और फिर बड़े अंकित के पास आई।पैरों की मालिश करने के बाद उसने हाथों में तेल लगाना चाहा तो हथेली लाल लकीरें देखकर वो चौंक उठी। उसने सोए हुए अंकित के गालों पर आँसू … Read more

विश्वासघात – नीलम शर्मा : Moral Stories in Hindi

अरे सुनो..नीरज की मां..देखो! यह लड़की अपने नीरज के लिए कैसी रहेगी। मिस्टर सहाय ने भेजी है। वर्मा जी की पत्नी उनकी आवाज सुनते ही फटाफट अपने हाथ पोंछती हुई उधर आई। जो बर्तन साफ कर रही थी। इतनी जोर से क्यों चिल्ला रहे हो। यहीं तो थी मैं। अरे छोड़ो तुम। ये फोटो देखो। … Read more

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