मन का रिश्ता – खुशी : Moral Stories in Hindi

दोस्तो कई बार हमारे घर के खून के रिश्ते हमारे साथ नहीं जुड़ पाते अपितु पराए हमारे अपने हो जाते है।जानकी अमेरिका के एयरपोर्ट पर खड़ी थी।आज पहली बार वो अमेरिका आई थीं।बहु रजनी की पहली डिलिवरी के लिए ।जानकी एक 50 वर्ष की महिला थी जिन्होंने अपने घर,पति और बच्चों में ही अपनी जिंदगी … Read more

जहां चाह वहीं राह – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

 राधा ओ राधा …..अरी कहां मर गई, काम की न काज की… । सौतेली मां की आवाज सुनकर राधा हड़बड़ाईं किताब एक तरफ रखकर सीधे रसोईघर में घुस गई माँ के गुजरने के बाद सौतेली माँ ने इसी शर्त में पढ़ने की इजाजत दी थी घर के सारे काम यथा समय उसके द्वारा निपटा दिये … Read more

झूठी मां – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

   तेरे शादी करके चले जाने से मैं अकेली रह जाऊंगी ….इसलिए तू अभी शादी नहीं करेगी….. अरे न जाने किस मिट्टी की बनी है तू मेरी पोती ( श्रुति )…… शायद उसी मिट्टी की ….जिससे तेरी मां बनी थी….!       मेरे कुछ अमानवीय व्यवहार जो मैंने कभी तेरी मां के साथ किया था…. तुझे भी तो … Read more

पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों ??? – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi

पापा मेरे प्यारे पापा , आप यहां नहीं हो लेकिन मुझे मालूम है कि आप मेरी हर बात सुन रहे हैं , मेरे दिल में उठते सवालों को आप समझ रहे हैं।  पापा आख़िर क्यों मैं बड़ी हो गई , मुझे फिर से आप की वही छोटी सी गुड़िया बनना है। जिसे आप ऊँगली पकड़ … Read more

दिल का रिश्ता जरा पुराना है…. – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

रसोई यानि कि वह जगह जहां एक स्त्री, अपने परिवार के लिए भोजन बनाती है,और नई नई ब्याही तो अपनी पाक कला आजमा कर ( या फिर उसका भरपूर प्रदर्शन कर) अपने पति के मन को प्रसन्न करने का उपाय ही ढूंढती रहती थी। हां भाई, हमारे समय की बात है ना, फिर कहते हैं … Read more

पढ़ी-लिखी बहू – नेकराम : Moral Stories in Hindi

सरला अग्रवाल के तीन बेटे थे दो बेटों की शादी हो चुकी थी उनकी पत्नियां कम पढ़ी लिखी थी किंतु तीसरे बेटे की बहू सविता पढ़ी लिखी थी बस यही चिंता घर की दोनों जेठानियों को और सास को सता रही थी सरला ने अपनी दोनों बड़ी बहुओ को अपने पास बुलाया और कहा मैंने … Read more

परिवार की इज्जत – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

विवाह मंडप में बैठे पंडित जी बार-बार कह रहे थे की फेरों का समय हो गया है कन्या को लाइए l कन्या को लाने में देरी हो रही थी l सक्षम दूल्हा बना मंडप में बैठा दुल्हन का इंतजार कर रहा था “ थोड़ी देर बाद साक्षी की मां सक्षम की मां गीता देवी कन्या … Read more

काश! तू बड़ी ना होती – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

      ” पापाजी…मिनी…।”   ” क्या हुआ मिनी को संदीप..बताओ..क्या हुआ..।” फ़ोन पर अपने दामाद की घबराई आवाज़ सुनकर मनोहर चीख पड़े।   ” वो मिनी…।” कहते हुए संदीप ने जो कुछ कहा, उसे सुनकर उन्हें कुछ होश नहीं रहा।उन्होंने पत्नी को आवाज़ लगाई,” मनोरमा..ज़ल्दी से एक थैले में चार कपड़े रखो..हमें तुरंत शहर जाना है।”     ” शहर!..मिनी … Read more

भगवान की लाठी में आवाज नहीं होती – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

80 साल के लक्ष्मी नारायण जी और 75 साल की उमा जी जगह जगह किराए का मकान ढूंढते फिर रहे हैं । तभी रास्ते में अचानक से उनके पुराने मित्र गोपाल दास जी मिल जाते हैं ।अरे लक्ष्मी कहां घूम रहा है , अरे कुछ नहीं बस एक किराए का मकान ढूंढ रहा हूं । … Read more

मन का रिश्ता – सीमा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

“परी, तुम्हें पता है ना! मुझे सिर्फ तुम्हारे हाथ का गर्म खाना अच्छा लगता है। फिर भी तुम इतनी देर से आई। जो लंच तुम सुबह पैक करके देती हो, वह तो मैं ऑफिस में ठंडा ही खा लेता हूं। मैंने कभी शिकायत की क्या? पर यार, मुझे ब्रेकफास्ट और डिनर तो गर्म ही चाहिएं। … Read more

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