सीधे साधे बिटवा का मुंहफट बहुरिया – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” हे भगवान, जरा देखो तो कैसे कतर कतर जुबान चल रही है… !! हमारा बिटवा तो बिलकुल गाय है गाय.. और बहू को तो देखो । ,, लेकिन अम्मा. , गाय तो बहु बेटियों को कहते हैं.. भईया तो लड़के हैं ना !! ,, ” चुप कर निगोड़ी…. लगता है तुझपे भी इस बहु … Read more

बहू ये लड्डू भेजें है तेरी माँ ने – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

” बहू ये तेरी माँ ने क्या भिजवाया है तेरे साथ… लड्डुओं का डिब्बा तो इनमें से एक भी नहीं है…माँ बेटी दोनों झूठ बोलने में माहिर हैं… कैसे कह रही थी तेरी माँ समधन जी यहाँ के खालिस घी के मावा लड्डू बनवा कर भिजवा रहे हैं बेटी के साथ आपको जहाँ बाँटना हो … Read more

क्यों माँ का मायका, माँ का ही रह जाता… – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

   दादा जी पूजा ख़त्म हो तो इधर आइये, हम, आप और पापा तीनों की एक सेल्फी तो बनती हैं..। कह अवि दादा जी के साथ सेल्फी लेने लगा..। आज दिवाली हैं… सब लोग पूजा करने के बाद फोटो लेने लगे.। दादा जी के साथ मग्न, अवि को देख आज संध्या को अपने पिता की … Read more

*उलझन* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

      अरे रमेश इतने दिन बाद दिखाई दिये हो,कहाँ थे?        सुरेश तुम,वास्तव में भाई काफी दिनों में मुलाकात हुई है।असल  मे भाई मैं बेटे के पास  विदेश चला गया था।इसी कारण मुलाकात नही हो पायी थी।खैर अब मिलते रहेंगे।        रमेश और सुरेश बचपन के मित्र थे।रमेश के एक बेटा था जो अमेरिका में जॉब कर रहा … Read more

आत्मसम्मान की पहल – अमिता कुचया : Moral Stories in Hindi

एक दिन बच्चों की डायरी में फीस जमा करने का नोटिस लिखा होता है। और फोन पर भी फीस जमा करने की आखिरी डेट का मैसेज देखकर कंचन परेशान होने लगती है। उसको लगता कि ऐसा क्या करु कि पैसों का इंतजाम होने लगे।  कंचन के पति की जॉब छूट हुए छह महीने हो गये … Read more

सौभाग्य वती,चिढ़ होती है मुझे इस शब्द से – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

सौभाग्यवती हो , सौभाग्यवती रहो ये क्या हैं शुभम घर में मैं जब भी मम्मी या दादी के पैर छूती हूं यही सुनने को मिलता है।खुश रहो , हंसते मुस्कुराते रहो ये कोई क्यों नहीं कह सकता ।तो इसमें हर्ज ही क्या है सोनल ये तो बहुत अच्छी बात है कि तुम्हें बड़ों के पैर … Read more

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